Different types of immunotherapy are used to कैंसर के उपचारके लिए विभिन्न प्रकार की इम्यूनोथेरेपी (प्रतिरक्षा चिकित्सा) का उपयोग किया जाता है। ये उपचार या तो इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) को कैंसर पर सीधे तौर से हमला करने में मदद कर सकते हैं या इम्यून सिस्टम को अधिक सामान्य तरीके से उत्तेजित कर सकते हैं। इम्यूनोथेरेपी के प्रकार में निम्न शामिल हैं जो इम्यून सिस्टम को कैंसर के खिलाफ सीधे तौर से कार्रवाई करने में मदद करते हैं:
चेकपॉइंट अवरोधक: वे औषधियों के प्रकार हैं जो इम्यून सिस्टम को किसी ट्यूमर के ख़िलाफ़ अधिक आक्रामक तरीके से प्रतिक्रिया देने में मदद करते हैं। ये औषधियाँ ऐसे काम करती हैं कि सीधे ट्यूमर को टार्गेट न करते हुए, वे इम्यून सिस्टम के हमले से बचने की कैंसर सेल्स की क्षमता में हस्तक्षेप करतीं हैं।
अडॉप्टिव सेल ट्रांसफर (दत्तक कोशिका अंतरण) एक प्रकार का इम्यूनोथेरेपी उपचार है जो कैंसर से लड़ने के लिए आपके टी सेल्स की प्राकृतिक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है। इस उपचार में, टी सेल्स को विकसित ट्यूमर से डिराइव (व्युत्पन्न) किया जाता हैं। ये टी- सेल्स आपके कैंसर को मारने में सबसे अधिक प्रभावशाली होते हैं और ये टी- सेल्स लैब में भारी मात्रा में और विकसित किए जाते हैं। इन विकसितों का आगे ट्यूमर सेल्स को मारने में उपयोग किया जा सकता हैं।
मोनोक्लोनल एंटीबॉडी, जो चिकित्सकीय एंटीबॉडी के रूप में भी जाने जाते हैं, लैब में निर्मित इम्यून सिस्टम प्रोटीन हैं। ये एंटीबॉडी कैंसर सेल्स पर पाए जाने वाले विशेष लक्ष्यों को अटैच करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। कुछ मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कैंसर सेल्स को मार्क करते हैं ताकि वे इम्यून सिस्टम द्वारा बेहतर रूप से देखे जा सकें और नष्ट किए जा सकें। अन्य मोनोक्लोनल एंटीबॉडी सीधे कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकते हैं या उनके आत्म-विनाश का कारण बनते हैं। अभी भी अन्य कैंसर सेल्स में टॉक्सिन (विषाक्त पदार्थों) को ले जाते हैं। चूंकि चिकित्सकीय मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कैंसर सेल्स पर विशेष प्रोटीन को पहचानते हैं, इसलिए उन्हें टार्गेटेड थेरेपियाँ (लक्षित चिकित्साएँ) भी मानी जातीं हैं।
ट्रीटमेंट वैक्सीन (उपचार के टीके कैंसर सेल्स के प्रति आपके इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया को बढ़ाकर कैंसर के ख़िलाफ़ काम करते हैं। उपचार के टीके उन से अलग होते हैं जो बीमारी को प्रिवेंट करने में मदद करते हैं।
इम्यूनोथेरेपी के प्रकार में निम्न शामिल हैं जो कैंसर से लड़ने के लिए शरीर के इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया को बढ़ाते हैं:
साइटोकिन, जो आपके शरीर के सेल्स द्वारा बनाए गए प्रोटीन होते हैं। वे शरीर के सामान्य इम्यून प्रतिक्रियाओं में और इम्यून सिस्टम की कैंसर के प्रति प्रतिक्रिया करने की क्षमता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कैंसर का इलाज करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले दो मुख्य प्रकार के साइटोकिन को इंटरफेरॉन और इंटरल्यूकिन कहा जाता हैं।
बीसीजी, जो बैसिलस कैलमेट-ग्वेरिन के लिए उपयुक्त है, एक इम्यूनोथेरेपी है जिसका उपयोग ब्लैडर कैंसर (मूत्राशय कैंसर) के इलाज के लिए किया जाता है। यह उस बैक्टीरिया का एक कमज़ोर रूप है जो ट्यूबरक्लोसिस (तपेदिक) को जन्म देता है। जब एक कैथेटर से सीधे ब्लैडर में डाला जाता है, तो बीसीजी कैंसर के ख़िलाफ़ एक इम्यून प्रतिक्रिया पैदा करता है। अन्य प्रकार के कैंसर में भी इसका अध्ययन किया जा रहा है।
इम्यूनोथेरेपी कैंसर के ख़िलाफ़ कैसे काम करती है?
कैंसर आपके शरीर को नष्ट कर देता है क्योंकि यह मुख्य रूप से आपके इम्यून सिस्टम पर आक्रमण करता है। कुछ इम्यूनोथेरेपियाँ कैंसर सेल्स को निशाना बनातीं हैं और बाद में उन्हें मार देती हैं। अन्य इम्यूनोथेरेपियाँ आपके इम्यून सिस्टम को इस तरह से बढ़ाने में आपकी मदद करतीं हैं कि यह कैंसर सेल्स को नष्ट कर देता है। इम्यूनोथेरेपी एक नवीन कैंसर उपचार है। इम्यूनोथेरेपी अभी तक व्यापक रूप से सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी (विकिरण चिकित्सा) के रूप में इस्तेमाल नहीं की जाती है। हालांकि, इम्यूनोथेरेपियाँ धीरे-धीरे महत्व प्राप्त कर रहीं हैं और कई डॉक्टरों द्वारा उपचार के एक चॉइस के रूप में व्यापक रूप से स्वीकार की जा रहीं हैं।
कैंसर पर अधिक पढ़ने के लिए, नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें,
कैंसर का डायग्नोसिस डरावना और भयभीत करने वाला होता है, फिर भी शायद ही कभी समझा जाता है। भले भारत और दुनिया भर में कैंसर के मामले बढ़ने की ओर इशारा करते हैं, फिर भी आमतौर पर बड़े 'सी' के रूप में निर्देशित इस बीमारी के कारणों और इलाजों के बारे में बहुत कम समझ के साथ इसके चारों ओर रहस्य की एक भावना का बना रहना जारी है। कैंसर के डायग्नोसिस के बाद आम तौर पर मरीज़ के साथ-साथ देखभालकर्ता के लिए चिंता, तनाव और भय की तीव्र अवधियों का अनुसरण होता है। पहली बार अपने कैंसर का पता चलने पर, कैंसर फाइटर्स सदमे की भावनाओं को पुनः याद करते हैं, तत्पश्चात क्रोध और इनकार की भावनाओं को, अकसर उसके आसपास के मिथकों की वजह से। कई सवाल सामने आते हैं तथा "यह मेरे साथ कैसे हो सकता है?" से लेकर "मेरी कोई बुरी आदत नहीं है, तो मैं क्यों?" तक उठते हैं और इसके बाद अनिवार्य रूप से वह मंडराता अकथ्य प्रश्न उठता है कि "क्या मैं इससे जीवित बच पाऊँगा या पाऊँगी?"। भले ये सवाल मरीज़ों और देखभाल करने वालों को घेरते हैं, डॉक्टर, ऑन्कोलॉजिस्ट और कैंसर सहायता समूह हमें आश्वस्त करते हैं कि कैंसर का डायग्नोसिस मौत की सज़ा नहीं है। सही परिस्थितियों को देखते हुए, कोई भी कैंसर को कंट्रोल कर सकता है और जीत भी सकता है। कैंसर के बारे में सटीक जानकारी और एक बेहतर समझ निश्चित रूप से इसके आसपास की नकारात्मकता को कम करने में मदद करेगी ताकि इसका अन्य स्वास्थ्य अवस्थाओं की तरह उपचार किया जा सकें। 'कैंसर फाइटर्स' और 'कैंसर थ्राइवर्स' ने इस शोध के दौरान हमारे साथ अपनी यात्रा साझा की है और लंबे समय तक चलने वाले उपचार से निपटने के लिए और बड़े 'सी' को पराजित करने के लिए सही जानकारी और एक तनाव मुक्त मन के महत्व को एको (प्रतिध्वनित) किया हैं।
क्या आप जानते थे?
यूनानी शब्द 'ऑन्कोस' और 'कार्सिनोस' का श्रेय हिप्पोक्रेट्स को जाता है और वे क्रमशः एक 'सौम्य सूजन' और एक 'घातक सूजन' को निर्देशित करते हैं।
कैंसर क्या है?
कैंसर, एक शब्द जो बहुत भय और काफ़ी अनिश्चितता से घिरा हुआ है, सेल्स के अनियंत्रित विकास को निर्देशित करता है जो सामान्य टिश्यू में घुसकर डैमेज पहुँचाता है। ये सेल्स 'ट्यूमर' नामक किसी मास (द्रव्यमान) का निर्माण कर सकते हैं जो घातक या सौम्य हो सकता है। एक घातक ट्यूमर बढ़ता है और शरीर के अन्य हिस्सों में फैलता है जबकि एक सौम्य ट्यूमर बढ़ सकता है लेकिन फैलेगा नहीं।
के लक्षण
कैंसर आम तौर पर सामान्य अंगों, नर्व और ब्लड वेसल्स (रक्त वाहिकाओं) को डिस्टॉर्ट (विकृत) करता है जिससे शरीर के उस विशेष भाग से संबंधित लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं। कैंसर फैलने वाले पहले स्थानों में से एक है लिम्फ नोड्स (लसीका पर्व) - वे बीज के आकार के अंग हैं जो गर्दन में, ग्रॉइन (उरुसंधि) में और बाजुओं के नीचे गुच्छों में स्थित होते हैं।
भले बुखार, थकान और वज़न घटने जैसे सामान्यीकृत लक्षण उन कैंसरों में आम हैं जो अपने उत्पत्ति के स्थान से परे फैल गए हैं, यह कैंसर का आकार और आक्रामकता है जो इसके लक्षणों को निर्धारित करता है।
कैंसर के प्रकार
कार्सिनोमा - ये सबसे आम प्रकार के कैंसर हैं और त्वचा या टिश्यू में शुरू होते हैं जो आंतरिक अंगों और ग्रंथियों की सतह को कवर करते हैं। कार्सिनोमा आमतौर पर ठोस ट्यूमर बनाते हैं।
सार्कोमा - ये उन टिश्यू में शुरू होते हैं जो शरीर को सपोर्ट और कनेक्ट करते हैं। एक सार्कोमा फैट, मांसपेशियों, नर्व (तंत्रिकाओं), टेंडन (पेशियों), जोड़ों, ब्लड वेसल्स (रक्त वाहिकाओं), लिम्फ वेसल्स (लसीका वाहिकाओं), कार्टिलेज (उपास्थि) या हड्डी में विकसित हो सकता है।
ल्यूकेमिया - ये रक्त के कैंसर होते हैं और तब शुरू होते हैं जब स्वस्थ ब्लड सेल्स (रक्त कोशिकाएँ) बदल जाते हैं और अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगते हैं।
लिम्फोमा - यह वह कैंसर है जो लिम्फैटिक सिस्टम (लसीका प्रणाली) में शुरू होता है। लिम्फैटिक सिस्टम वेसल्स और ग्रंथियों का एक नेटवर्क है जो इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करता है।
रिस्क फैक्टर (जोखिम कारक)
भले ही कैंसर के 75 प्रति शत से अधिक मामले 55 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों में डायग्नोज़ किए जाते हैं, अकेली बढ़ती उम्र कैंसर के लिए रिस्क फैक्टर नहीं है। आंकड़े बताते हैं कि 5 से 10 प्रति शत कैंसर जेनेटिक रूप से विरासत में मिलते हैं और वे कैंसर जीवन में प्रारंभ में आने लगते हैं।
रिस्क फैक्टर में शामिल हो सकते हैं जेनेटिक्स (आनुवांशिकी) (बीआरसीए जीन, उदाहरण के लिए), जीवनशैली (जैसे धूम्रपान, आहार और धूप से टैन होना), पर्यावरणीय अनावरण या हानिकारक पदार्थों की उपस्थिति। वायरल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन से भी कुछ कैंसर हो सकते हैं, जैसे कि लीवर कैंसर में हेपेटाइटिस वायरस, पेट के कैंसर में हेलिकोबैक्टर पाइलोरी और सर्वाइकल कैंसर में एचपीवी वायरस।
कैंसर के स्टेज
स्टेज 0: इस स्टेज पर कैंसरों की पहचान उस स्थान के अनुसार की जाती हैं, जहाँ वे शुरू में उभरे थे और गुना हुए थे, तथा परिणामस्वरूप ट्यूमर पास के टिश्यूज़ में नहीं फैला होता है। स्टेज 0 कैंसर का प्रोग्नोसिस (रोगनिदान) होना बहुत अच्छा है और इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देने से कैंसर उलट सकता है।
स्टेज 1: छोटे कैंसर वाले ट्यूमर पास के टिश्यू में फैल चुकें हो लेकिन परे नहीं फैलें होते हैं, जैसे कि ब्लड स्ट्रीम या लिम्फ सिस्टम (लसीका प्रणाली) में। "प्रारंभिक स्टेज" कैंसर का प्रोग्नोसिस (रोगनिदान) होना भी काफी अच्छा है, तथा स्वस्थ परिवर्तनों के साथ इसकी वापसी को प्रिवेंट किया जा सकता है।
स्टेज 2 और 3: "रीजनल स्प्रेड (क्षेत्रीय प्रसार)" यह इंगित करता है कि कैंसर का आसपास के टिश्यू में विस्तार हुआ है और वह जड़ चुका है। भले ही यह स्टेज चिंता का कारण हो सकता है, कैंसर शरीर में अन्य अंगों में नहीं फैला है।
स्टेज 4: जब कैंसर प्रारंभिक स्थल से शरीर के अन्य अंगों या क्षेत्रों में फैलता है, तो इसे "डिस्टेंट स्प्रेड (दूरस्थ प्रसार)" कैंसर, एडवांस्ड कैंसर (उन्नत कैंसर) या मेटास्टेटिक कैंसर (अपररूपांतरित कैंसर या रूप-परिवर्तित कैंसर) कहा जाता है। मेटास्टेसिस (अपररूपांतरण या रूप-परिवर्तन) कैंसर सेल्स का, जहाँ वे पहली बार बनें थे उस जगह से शरीर के अन्य हिस्से में, प्रसार या फैलाव को निर्देशित करता है।
क्या आप जानते थे? भले कैंसर से इतना सारा डर जुड़ा हुआ है, आँकड़े पूरी तरह से निराशाजनक नहीं हैं। 1. पूरी दुनिया में कैंसर से डायग्नोज़ हुए लगभग 70% लोग पाँच साल से अधिक समय तक जीवित रहते हैं। 2. बचपन के कैंसर के 85% से अधिक मामले इलाज योग्य हैं। 3. यहाँ तक कि सबसे प्रतिरोधी कैंसर, जैसे मेलनोमा, इम्यून-मोड्यूलेटिंग (प्रतिरक्षा-आपरिवर्ती) उपचारों का जवाब देते हैं।
कैंसरवाद
कैंसर सर्वाइवर्स अकसर एक कलंक से जूझते हैं जिसे जागरूकता के ज़रिए हटाया जा सकता है। नई दिल्ली में HOPE ऑन्कोलॉजी क्लिनिक के प्रसिद्ध ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ अमीश वोरा 'कैंसरवाद' के खिलाफ चेतावनी देते हैं, जो नस्लवाद और लिंगवाद से भी बदतर है क्योंकि इसे सटीक रूप से इंगित करना कठिन है। “कैंसर इन्फेक्शस (संक्रामक) नहीं है, फिर भी लोग उनसे दूरी बनाते हैं जो इससे डायग्नोज़ हुए हैं और मरीज़ों को अकसर सोशलाइज़ करना मुश्किल होता है। जॉब इंटरव्यू के दौरान या रिश्तों में भी उनके साथ भेदभाव किया जा सकता है", वोरा समझाते है।
फैक्ट शीट (तथ्य पत्रक)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सबसे आम प्रकार के कैंसर जो पुरुषों को फ्रीक्वेंसी के क्रम में मारते हैं, वे हैं लंग कैंसर (फेफड़ों का कैंसर), पेट का कैंसर, लीवर कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर (मलाशय कैंसर) और ईसोफेगल कैंसर (ग्रसिका कैंसर)। डब्ल्यूएचओ के आंकड़े बताते हैं कि पाँच सबसे आम कैंसर जो महिलाओं को फ्रीक्वेंसी के क्रम में मारते हैं, वे हैं स्तन कैंसर, लंग कैंसर (फेफड़ों का कैंसर), पेट का कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर (मलाशय कैंसर) और सर्वाइकल कैंसर (गर्भग्रीवा कैंसर)। विशेषज्ञ ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ (कर्नल) आर रंगा राव के अनुसार, भारत में हर साल 17 लाख नए मरीज़ कैंसर से डायग्नोज़ होते हैं, जो चीन और अमेरिका के बाद कैंसर के मामलों में तीसरे स्थान पर हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन रिसर्च (एनआईसीपीआर) के आंकड़ों से पता चलता है कि स्तन कैंसर से नई-नई डायग्नोज़ हुई हर दो महिलाओं में, देश में एक महिला की उससे मृत्यु हो जाती है, और लगभग आधी मिलियन मौतें बीमारी के बारे में अज्ञानता के कारण होती हैं। भारत में हर 8 मिनट में एक महिला की सर्वाइकल कैंसर (गर्भग्रीवा कैंसर) से मृत्यु हो जाती है। लगभग एक तिहाई कैंसर तम्बाकू के इस्तेमाल के कारण होते हैं जबकि शराब और तम्बाकू मिलकर मौखिक और अन्य कैंसरों के विकसित होने के उच्च जोखिम पैदा करते हैं।
ग्लोबोकैन के विश्वव्यापी डेटा बताते हैं कि 2012 में, कैंसर के 14.1 मिलियन नए मामले सामने आए, कैंसर से 8.2 मिलियन कैंसर मौतें हुईं और डायग्नोसिस के 5 वर्षों के भीतर 32.6 मिलियन लोग कैंसर के साथ जी रहें थे। उन नए कैंसर के मामलों में से 57% (8 मिलियन), कैंसर से होने वाली मृत्युओं में से 65% (5.3 मिलियन), और 5-साल वाले प्रचलित कैंसर के मामलों में से 48% (15.6 मिलियन) कम विकसित क्षेत्रों में सामने आए। कुल एज-स्टैण्डर्डाज़्ड कैंसर इंसिडेंस रेट (आयु-मानकीकृत कर्करोग घटना दर) महिलाओं की तुलना में पुरुषों में लगभग 25% अधिक है, जिसमें दर है प्रति 100000 व्यक्ति-वर्ष में क्रमशः 205 और 165 मामले।
एंटी-कैंसर डाइट (कैंसर-विरोधी आहार)
खाने का रोगों से एक महत्वपूर्ण संबंध है और (कीमोथेरेपी के दौरान) कैंसर को प्रिवेंट करने या उससे लड़ने के लिए इम्युनिटी के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने के परिणामस्वरूप प्लांट-बेस्ड (वनस्पति-आधारित) आहारों पर शोध हुआ है जो कैंसर को प्रिवेंट करने में मदद करते हैं। कुछ वनस्पति के केमिकल सीधे तौर पर कैंसर सेल्स से लड़ते हैं, जबकि अन्य कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए एक स्वस्थ इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देते हैं। फल, सब्ज़ियाँ, चॉकलेट, चाय, और वाइन को फायदेमंद माना जाता है क्योंकि इनमें पॉलीफेनोल होते हैं। फ्लेवनॉइड और करोटिनॉइड से युक्त मसाले और जड़ी-बूटियाँ भी ऑक्सीकरण और सूजन को कम करतीं हैं और वे इस प्रकार कई लाभ प्रदान करतीं हैं।
कैंसर पर अधिक पढ़ने के लिए, नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें,
प्रशामक देखभाल, जिसे कम्फर्ट केयर (आराम देखभाल), सपोर्ट केयर (सहायक देखभाल) और सिमटम मैनेजमेंट (लक्षण प्रबंधन) भी कहा जाता है, उन मरीज़ों के जीवन की गुणवत्ता को सुधार सकती है, जिन्हें कोई गंभीर या जानलेवा बीमारी है। जीवन के अंत के पास होने वाले शारीरिक बदलावों के लिए उन्हें तैयार करते हुए, मरीज़ों और उनके प्रियजनों के लिए बीमारी के इलाज या कंट्रोल हेतु उपचार से मरणासन्न-आश्रय देखभाल की ओर ट्रांज़ीशन करना सहायक है। यह उन्हें उत्पन्न होनेवाले विभिन्न विचारों और भावनात्मक मुद्दों से निपटने में भी उन्हें मदद करता है और परिवार के सदस्यों के लिए समर्थन प्रदान करता हैं। प्रशामक देखभाल विशेषज्ञ केयरगिवर सपोर्ट (देखभालकर्ता सहायता) भी प्रदान करते हैं, हेल्थकेयर टीम के सदस्यों के बीच संवाद की सुविधा प्रदान करते हैं, और मरीज़ की देखभाल के लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए चर्चा करते हैं।
कैंसर पर अधिक पढ़ने के लिए, नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें,
शोक हानि के अनुभव के लिए व्यक्ति की एक भावनात्मक प्रतिक्रिया है जबकि वियोग किसी हानि का अनुभव होने की स्थिति है। हानि के प्रति प्रतिक्रियाओं को शोक की प्रतिक्रियाएँ कहा जाता हैं। सामान्य शोक की प्रतिक्रियाओं में कठिन भावनाएँ, विचार, शारीरिक संवेदनाएँ और व्यवहार शामिल हैं। जिन लोगों ने हानि का अनुभव किया होता हैं उनमें कई तरह की भावनाएँ आतीं हैं। इसमें सदमा, सुन्नता, उदासी, इनकार, निराशा, चिंता, क्रोध, अपराधबोध, अकेलापन, अवसाद, लाचारी, राहत और तड़प शामिल हो सकतीं हैं।
आम विचार पैटर्न में अविश्वास, भ्रम, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, सनक और मतिभ्रम शामिल हैं। शोक शारीरिक संवेदनाओं को जन्म दे सकता है। इनमें शामिल हैं छाती या गले में जकड़न या भारीपन, मतली या एक परेशान पेट, चक्कर आना, सिरदर्द, शारीरिक सुन्नता, मांसपेशियों में कमज़ोरी या तनाव और थकान। यह आपको बीमारी की चपेट में भी ला सकता है। कोई व्यक्ति जो शोक कर रहा है वह सो पाने या सोए रहने के लिए संघर्ष कर सकता है और यहाँ तक कि सुखद क्रियाओं के लिए भी ऊर्जा खो सकता है।
विलाप के चरणों में शामिल हैं हानि की वास्तविकता को स्वीकार करना, शोक की पीड़ा से गुज़रना, शारीरिक रूप से अनुपस्थित व्यक्ति के बगैर जीवन को एडजस्ट (समायोजित) करना और उस मृत व्यक्ति से जुड़े रहने के नए तरीक़े खोजना। शोक की प्रक्रिया अकसर और कठिन होती है, जब व्यक्ति की उस मृत व्यक्ति के साथ अनसुलझी भावनाएँ हों या उसके प्रति संघर्ष हों।
किसी प्रियजन की मृत्यु के बाद का वर्ष बहुत भावुक होता है। मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट (मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ) सुझाव देते हैं कि कोई भी बड़ा निर्णय लेने से पहले कम से कम एक साल का इंतज़ार करना चाहिए, जैसे कि घर बदलना या नौकरी बदलना। निर्णयों और कार्यों की एक सूची बनाने पर विचार करें, और यह पता लगाए कि कौन से काम तुरंत पूरे किए जाने चाहिए। ऐसे महत्वपूर्ण निर्णयों को कुछ देर तक टालने की कोशिश करें जो प्रतीक्षा कर सकते हैं। वर्षगांठ, जन्मदिन और उत्सव के अवसर बहुत मुश्किल भरे हो सकते हैं, ख़ासकर पहले वर्ष के दौरान। समय के साथ, ये भावनाएँ अकसर कम तीव्र हो जाएंगी। किसी वर्षगांठ, जन्मदिन को मार्क करने हेतु कुछ विशेष करना या अपने रिश्तेदार या दोस्त को याद करने के लिए किसी उत्सव के लिए समय निकालना आपके लिए मददगार साबित हो सकता है।
कैंसर पर अधिक पढ़ने के लिए, नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें,
कैंसर के साथ जीने वाले लोगों के दोस्त और परिवार सहायता समूह
कैंसर का डायग्नोसिस पाने पर अकसर एक ज़ोरदार भावनात्मक प्रतिक्रिया ट्रिगर होती है। कुछ लोग सदमे, क्रोध और अविश्वास का अनुभव करते हैं जबकि अन्य लोग तीव्र उदासी, भय और नुकसान की भावना महसूस कर सकते हैं। सबसे अधिक सहायक परिवार के सदस्यों और दोस्तों को भी यह सटीक रूप समझ में नहीं आता है कि कैंसर से ग्रस्त होना कैसे लगता है जिससे मरीज़ में अकेलेपन और अलगाव की भावना पैदा होती है।
सहायता समूह तनाव के कुछ स्तर को कम करते हैं क्योंकि समूह के सदस्य भावनाओं और अनुभवों को साझा कर सकते हैं जो परिवार और दोस्तों के साथ साझा करना बहुत अजीब या बहुत मुश्किल लग सकता है। इसके अतिरिक्त, ग्रुप डायनामिक्स अपनेपन की एक ऐसी भावना पैदा करती है जो प्रत्येक व्यक्ति को अधिक समझा हुआ और कम अकेला महसूस करने में मदद करती है।
सहायता समूह के सदस्य व्यवहारिक जानकारी पर भी चर्चा कर सकते हैं जैसे उपचार के दौरान क्या उम्मीद की जाए, दर्द और उपचार के अन्य दुष्प्रभावों को कैसे मैनेज किया जाए, स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं और परिवार के सदस्यों के साथ कैसे संवाद किया जाए। भले कई अध्ययनों से पता चला है कि सहायता समूह कैंसर वाले लोगों को कम उदास और चिंतित महसूस करने में मदद करते हैं, सहायता समूह सभी के लिए सही फिट नहीं हैं। कुछ लोग समर्थन के अन्य स्रोतों से लाभान्वित हो सकते हैं। इंटरनेट सहायता समूह हाल के वर्षों में तेज़ी से लोकप्रिय हुए हैं और दूरदराज़ के क्षेत्रों में उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है जिनके पास परिवहन के लिए आसान पहुँच नहीं है या व्यक्तिगत रूप से अपने अनुभव साझा करने में सहज महसूस नहीं करते हैं। वे दुर्लभ प्रकार के कैंसर वाले लोगों को उसी प्रकार के कैंसर वाले अन्य लोगों के साथ संवाद करने देते हैं, व ऐसा वे चर्चा समूहों, मेसेज बोर्ड या बुलेटिन बोर्ड के माध्यम से कर सकते हैं जिस पर लोगों को एक मेसेज पोस्ट करने दिया जाता है और अन्य लोग भी मेसेजों को आगे-पीछे टाइप करके इसका उत्तर दे सकते हैं।
कैंसर पर अधिक पढ़ने के लिए, नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें,
Anand Niketan,King George V Memorial Infirmary, Dr.E.Moses Road, Mahalaxmi, Mumbai-400011 Tel: 022-249240001 8775Email: webmaster@,coaaindia.orgWeb: www.cpaaindia.org
Basavatarakam Indo American Cancer Hospital & Research Institute (BIACH&RI)
Road No.10, Banjara Hills, Hyderabad-500044 T: 040-23551235/23607944 E: info@induscancer.com
Mr Nandamuri Balakrishna Chairman Dr Ch Satyanarayana E: ms@induscancer.com G Sreenivas Rao Sr Manager M: 09963550037 E: srinu_gopa@lycos.com R Ramesh M: 09953798500 Dr T Subramanyshwar Rao Director Medical,
3.
SWASTAVA CANCER CARE SOCIETY
401, Legal Classic, Street No.4, Domalguda, Hyderabad-500002 E: svastava.cancercare@gmail.com
R P Singh, IPS (Retd.) President M: 09949977366 Dr. Vasudev Chaturvedi Secy M: 09849398879 E: vchaturvedi47@gmail.com