विटामिन डी: लाभ, कमी, और उपचार
विटामिन डी: लाभ, कमी, और उपचार
विटामिन डी का अभाव
Vitamin D, or the “Sunshine Vitamin,” is essential for healthy bones. The best ways to absorb vitamin D in your system is through your skin. The body naturally produces vitamin D in the presence of sunlight, but overexposure of sunlight should be avoided as it can lead to skin ageing and can even cause cancer. Thus, it is necessary to supplement our natural production of vitamin D with the right diet and supplements.
हर रोज सभी को एक सही मात्रा में विटामिन डी लेना चाहिए, हालांकि नीचे बताए गए लोगों को सामान्य वृद्धि और पोषण के लिए विटामिन डी की अतिरिक्त मात्रा लेना ज़रूरी है:
- बुज़ुर्ग
- स्तनपान करने वाले बच्चे
- गहरे रंग की त्वचा वाले लोग
- Individuals with certain conditions, such as liver diseases, cystic fibrosis and Crohn’s disease
- इसके अलावा वह लोग जिन्हें मोटापा है या जिनकी गैस्ट्रिक बायपास सर्जरी हुई है |
विटामिन डी के क्या स्रोत हैं?
- इस विटामिन को आपका शरीर सूरज की रोशनी में रहकर प्रोड्यूस कर सकता है |
- वसा युक्त मछली (फैटी फिश), फिश लिवर ऑयल
- पनीर
- अंडे की पीली ज़र्दी (एग योक)
विटामिन डी के क्या फ़ायदे हैं?
विटामिन डी के बहुत सारे फायदे हैं | इसकी मुख्य भूमिका गट के द्वारा कैल्शियम के अवशोषण (अब्ज़ोर्ब) को बढ़ाना है | दांत और हड्डियों की मज़बूती को बनाए रखने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है |
- हमारी हड्डियों को मज़बूत रखने के अलावा यह मांसपेशियों (मसल्स) को भी स्वस्थ रखता है |
- Vitamin D helps to boost the body’s immunity and protects from frequent infections.
- यह शरीर की सूजन को कम करता है और इस वजह से रूमेटॉइड अर्थराइटिस (गठिया रोग) जैसी बीमारी होने से बचाता है |
- विटामिन डी ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करके हृदय स्वास्थ्य को अच्छा रखता है |
किन लोगों में विटामिन डी की कमी होने की संभावना अधिक होती है?
- इन दिनों, सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने से और घर से काम करने की प्रचलित संस्कृती के कारण विटामिन डी की कमी बहुत आम बात हो गई है |
- ऊंचाई पर रहने वाले लोगों में विटामिन डी की कमी की संभावना बहुत ज्यादा होती है क्योंकि ऊंचाई पर यूवी बी की मात्रा बहुत कम होती हैं | शरीर को विटामिन डी प्रोड्यूस करने के लिए यूवीबी की जरूरत होती है |
- ज्यादातर समय घर में रहने वाले लोग - जिसमें बुजुर्ग और वह लोग शामिल हैं जो स्वास्थ्य संबंधी कारणों की वजह से घर में रहना पसंद करते हैं |
- गहरे रंग की त्वचा वाले लोगों को विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा के लिए सूरज की रोशनी के संपर्क में रहना ज़रूरी है |
- विटामिन डी से भरपूर स्रोतों की कमी वाला आहार खाने से व्यक्ति में विटामिन डी की कमी की संभावना होती है |
- बूढ़े लोगों का शरीर विटामिन डी कम प्रोड्यूस करता है |
- मोटापा भी विटामिन डी के अंदरूनी प्रोडक्शन में रुकावट डालता है |
- किडनी और लिवर डिसीज़ वाले लोगों में भी विटामिन डी का लेवल कम होता है |
- गट डिसऑर्डर के कारण व्यक्ति में आहार से मिलने वाले पोषक तत्वों का अवशोषण(अब्ज़ोर्ब्शन) कम हो जाता है |
- कुछ दवाइयों की वजह से भी विटामिन डी का अवशोषण (अब्ज़ोर्ब्शन) कम हो सकता है | इसमें ट्यूबरक्लोसिस (टी.बी) और सिज़र्स के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां शामिल हैं |
मुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे विटामिन डी की कमी है?
- It’s not easy to detect vitamin D deficiency. Some people with low levels of vitamin D have no symptom or take many years to show signs of its deficiency.
- बच्चों में विटामिन डी की कमी के कारण रिकेट्स रोग होता है जिसमें पैर टेढ़े हो जाते हैं |
- वयस्कों में, विटामिन डी की कमी के कारण ओस्टियोमलेशिया जैसी बीमारी होती है, जिसके कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और उनमें जल्दी फ्रैक्चर होने की संभावना रहती है |
- विटामिन डी की कमी के कारण खास तौर पर बच्चों में, मांसपेशियों और हड्डियों (मसल्स और बोंस) में दर्द हो सकता है, हाथों, पैरों या रीड की हड्डी में विकृति(टेड़े-मेढे) या फैक्चर्स हो सकते हैं|
- विटामिन डी का लेवल कम होने के कारण बार-बार इनफेक्शंस हो सकते हैं |
- विटामिन डी की कमी वाले लोगों को कॉग्निटिव डिसेबिलिटी हो सकती है | जिसमें थकान महसूस होना, याद रखने या कोंसंट्रेट करने की असमर्थता शामिल है |
- बार-बार इनफेक्शंस भी हो सकते हैं |
- इसमें डायबिटीज या ह्रदय रोग होने की संभावना भी बढ़ सकती हैं |
- ऑटोइन्फ्लेमेटरी रिस्पांस कम होने के कारण शरीर में ऑटोइम्यून डिसीज़ जैसी बीमारी विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है | जिसमें कुछ प्रकार के थायराइड डिसऑर्डर, रूमेटॉइड अर्थराइटिस (गठिया रोग) और अन्य शामिल हैं |
क्या विटामिन डी के स्तर (लेवल) की जांच के लिए कोई टेस्ट उपलब्ध है?
Yes. The best way to diagnose vitamin D deficiency is to get tested for it. Serum levels of less than 12 nanograms per ml is considered to be diagnostic of vitamin D deficiency, but the level might vary depending on the type of testing equipment. So, it’s best to check with the testing lab for its normal values.
विटामिन डी की कमी को कैसे दूर किया जाता है?
- अपने विटामिन डी लेवल्स के आधार पर डॉक्टर द्वारा प्रिसक्राइब सप्लीमेंट्स, लेने से विटामिन डी की कमी को ठीक किया जा सकता है | आमतौर पर, व्यस्को के लिए, हर रोज़ 600 आईयू की मात्रा लेने की सलाह दी जाती है | डॉक्टर आपके विटामिन डी के लेबल्स को बहुत बारीकी से मॉनिटर करेगा क्योंकि जरुरत से ज्यादा विटामिन डी आपके शरीर में स्टोर हो जाता है और यह वास्तव में नुकसान दायक हो सकता है |
विटामिन डी लेवल्स को बनाए रखने के लिए जीवन शैली में किस तरह का बदलाव मदद कर सकता है?
There are some lifestyle changes that can help in building up the body’s vitamin D levels
- विटामिन डी से भरपूर आहार खाना | जिसमें मछली, चीज़, अंडे की पीली जर्दी (एग योक),और मीट शामिल है |
- हर रोज 15 से 20 मिनट के लिए सूरज की धूप के संपर्क में रहना |
- यदि आवश्यक हो तो विटामिन डी सहित पूरक विटामिन लें |