गर्भवती बनना
एक परिवार शुरू करना एक अद्भुत अनुभव होता है और कुछ सावधानियाँ इस यात्रा को अधिक सुखद बना सकतीं हैं। प्लानिंग (नियोजन) के और कन्सेप्शन (गर्भाधान) की कोशिश करने के समय भी स्वस्थ जीवनशैली का पालन करना महत्वपूर्ण है क्योंकि पहले तीन महीने शिशु के विकास के लिए बहुत अहम होते हैं और आपको प्रेगनेंसी के बारे में तभी पता चलता है जब कोई पीरियड (मासिक धर्म) मिस हो जाता है।
प्रेगनेंसी के पहले लक्षण:
- बढ़े हुए और कोमल स्तन।
- मुंह में कोई मैटेलिक (धातु जैसा) स्वाद।
- थकान महसूस होना और / या अत्यधिक भावुक महसूस होना।
- चक्कर आना, मतली और / या उलटी।
- वजाइनल डिस्चार्ज (योनि स्राव) का बढ़ना।
- असामान्य भोजन के लिए क्रेविंग और / या तेज़ गंध और धूम्रपान जैसी कुछ चीज़ों के प्रति घृणा।
- लगातार पेशाब आना
अच्छी खबर को कन्फर्म करना
एक बार कुछ संकेत जो प्रेगनेंसी को इंगित करते हैं, देखे जाते हैं, उसकी पुष्टि निम्न के माध्यम से करने की सलाह दी जाती है:
- यूरिन टेस्ट (मूत्र परीक्षण): यूरिन सैंपल का लैब में परीक्षण किया जा सकता है, क्योंकि प्रेगनेंसी में यूरिन में एक हार्मोन दिखाई देता है।
- होम प्रेगनेंसी किट: आप किसी औषधालय के यहाँ से एक होम प्रेगनेंसी किट ख़रीद सकतीं हैं। हमेशा दिन के पहले यूरिन सैंपल का उपयोग करें और पैकेज पर दिए गए निर्देशों का पालन करें। किट में एक केमिकल सलूशन (रासायनिक घोल) होता है जिसके माध्यम से जब यूरिन पास होता है, प्रेग्नेंट होने पर ही उसका रंग बदलता है। हालांकि वे काफ़ी सटीक होते हैं, एक लैब डायग्नोसिस (प्रयोगशाला निदान) करना अधिक सटीक होता है।
- फिज़िकल एग्ज़ामिनेशन (शारीरिक परीक्षण): दो पीरियड्स (मासिक धर्म) मिस होने के बाद, डॉक्टर प्रेगनेंसी की पुष्टि करने के लिए एक वजाइनल एग्ज़ामिनेशन (योनि परीक्षण) कर सकता है।
ईडीडी (एस्टीमेटेड डिलीवरी डेट [अनुमानित प्रसव तिथि]) को कैलकुलेट करना
डिलीवरी की ड्यू डेट (नियत तारीख़) के बारे सोचना शुरू करना सामान्य है। ध्यान रखें कि ये कैलकुलेशन केवल अनुमान हैं और औसत पर आधारित हैं।
ईडीडी = एलएमपी + 280 दिन (एलएमपी = लास्ट पीरियड [आख़िरी मासिक धर्म])
एक सामान्य प्रेगनेंसी 38 से 42 सप्ताह के बीच रह सकती है, हालांकि औसतन यह 40 सप्ताह तक रहती है। ओव्यूलेशन स्टेज (अण्डोत्सर्ग चरण) के दौरान कन्सीव करने की संभावना सबसे अधिक होती है, जो अगले पीरियड के ड्यू होने के 14 दिन पहले होता है।
बचने की बातें
पहली तिमाही के दौरान शिशु के अंग बनते हैं, इसलिए इस दौरान बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। यदि आप एक स्वस्थ शिशु चाहते हैं, तो आपको निश्चित रूप से निम्नलिखित से बचना चाहिए:
- प्रिस्क्रिप्शन (निर्धारण) के बिना दवा लेना: हम अकसर सामान्य शिकायतों के लिए दवाएँ ले लेते हैं, लेकिन इनमें से कई औषधियाँ शिशु को नुकसान पहुँचा सकतीं हैं। जब आपको पता चलें कि आप प्रेग्नेंट हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर को सूचित करना चाहिए, जो या तो दवा बदल सकता है या खुराक कम कर सकता है।
- धूम्रपानI : दोनों, एक्टिव (सक्रिय) और पैसिव (निष्क्रिय) धूम्रपान बढ़ते शिशु के लिए बहुत हानिकारक होता है। यह भ्रूण को आक्सीजन से वंचित करता है और यह विकृति, गर्भपात, मिसकैरिज (मृत जन्म), प्रीमेच्यौर डिलीवरी (पूर्व-परिपक्व प्रसव), या कम वज़न के बच्चे के जन्म जैसी कई जटिलताओं को पैदा कर सकता है। धुएं वाली जगहों से बचें और नए जीवन की खातिर धूम्रपान करना त्याग दें।
- शराब: यदि माँ को शराब पीने की लत है है, तो इससे शिशु को गंभीर रूप से नुकसान पहुँच सकता है। ड्रिंक करने का कोई सुरक्षित स्तर नहीं है, इसलिए सबसे अच्छा है कि इस अवधि के दौरान शराब से पूरी तरह से परहेज़ रखें। अपने स्त्रीरोग विशेषज्ञ से बात करें और अपनी चिंताओं के बारे में उसकी सलाह लें।
- ख़राब हाइजीन (स्वच्छता): कच्चे मांस, मिट्टी के कणों और पालतू जानवरो के मल में में पैरासाइट (परजीवी) होते हैं जो शिशु को गंभीर नुकसान पहुँचा सकते हैं। अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं, विशेषकर कुछ भी खाने से पहले और बाहर खाना खाते समय स्वच्छता के बारे में बहुत सावधान रहें।
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