प्रेगनेंसी के बारे में सोचना 

प्रेगनेंसी के बारे में सोचना

Thinking About Pregnancy by Famhealth

बच्चे को जन्म देना एक अद्भुत अनुभव हो सकता है और निश्चित रूप से इसके लिए अच्छी तरह से सोची-समझी प्लानिंग (नियोजन) की ज़रूरत होती है। हम प्लानिंग करना कैसे शुरू कर सकते हैं और प्लानिंग में क्या-क्या शामिल होता है, ऐसे सवाल जो उन महिलाओं और पुरुषों को चिंतित करते हैं जो एक परिवार शुरू करना चाहते हैं। इन सभी सवालों और कई और के जवाब इस मदर एंड चाइल्ड देखभाल नामक सीरीज़ में दिए जाएंगे।

प्रेगनेंसी क्यों प्लान की जानी चाहिए?

  • इससे कन्सेप्शन (गर्भाधान) की और एक सामान्य स्वस्थ शिशु होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • यह माता को जल्द से जल्द सामान्य स्वास्थ्य और आकार में वापस लाने में मदद करता है।

प्लानिंग के लिए कितना समय दिया जाना चाहिए?

शिशु के कन्सीव (गर्भाधान) किए जाने के 3 महीने पहले का समय आदर्श समय होगा क्योंकि शुरुआती सप्ताहों में शिशु रैडिकल रूप से (अमूल रूप) विकसित होता है और फिर भी किसी को पता नहीं चल पाएगा कि कन्सेप्शन (गर्भाधान) हो गया है।  

प्लानिंग स्टेज (नियोजन चरण) के दौरान आवश्यकताएँ?

  • पौष्टिक आहार: न्यूट्रीशनिस्ट (पोषण विशेषज्ञ) निधि अग्रवाल खेमका माता-पिता दोनों के लिए एक अच्छा आहार लेने पर ज़ोर देती हैं और सुझाव देती हैं कि उन्हें ये बदलाव एक साथ करने चाहिए। माता को एक स्वस्थ पौष्टिक भोजन की आवश्यकता इसलिए होती है कि वह शिशु को नर्चर (पालन-पोषण) करेगी जबकि पिता को एक स्वस्थ आहार की आवश्यकता होती है क्योंकि स्पर्म क्वालिटी (शुक्राणु की गुणवत्ता) ख़राब आहार, शराब और धूम्रपान से बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। कन्सीव (गर्भाधान) करने से पहले यह जानना एक अच्छा विचार है कि क्या पोषण के दृष्टिकोण से किसी भी विटामिन या मिनरल की कमी तो नहीं हैं क्योंकि फोलिक एसिड की कमी से शिशु में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (दोष) हो सकते हैं जबकि आयरन के निम्न स्तर से अत्यधिक थकान और जटिलताएँ हो सकतीं हैं।
  • फिटनेस: शारीरिक रूप से फिट और सक्रिय रहना।
  • तनाव से बचना: जब कोई कन्सीव करने का प्लान करें, तो काम से संबंधित तनाव से बचना अनिवार्य है।
  • रिकार्ड रखना: पुराने वैक्सीनेशन (टीकाकरण) कार्ड जांचे यह देखने के लिए कि क्या सभी टीके दिए गए हैं क्योंकि कुछ टीकों का अभाव शिशु के लिए जानलेवा हो सकता है और बर्थ डिफेक्ट (जन्म दोष) का कारण बन सकता है। केमिकल और एक्स-रे के संपर्क में आने से भी बचें, जिससे कन्सीव करने में समस्याएँ पैदा हो सकतीं है। प्रेगनेंसी प्लान करने से पहले थायराइड, डायबिटीज़, हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) या एपिलेप्सी (मिर्गी) जैसी अवस्थाओं के बारे में डॉक्टर से जानें।
  • सही वज़न: वज़न के काँटे पर नज़र रखें क्योंकि दोनों, ओवरवेट (अधिक वज़न वाली) और अंडरवेट (कम वज़न वाली) माताओं को आदर्श वज़न पर आने के लिए डॉक्टर की सलाह की आवश्यकता पड़ सकती है। प्रेगनेंसी प्लानिंग (गर्भावस्था नियोजन) के दौरान कभी भी हालिया ट्रेंड में चल रहें आहारों का पालन नहीं करना चाहिए।

कपल (दंपति) को शिशु के लिए प्लानिंग के बारे में एक-दूसरे से और क़रीबी परिवार से बात करनी चाहिए क्योंकि इससे सभी लोग जुड़ते हैं और तैयार होते हैं। यह किन्हीं भी ऐसे मुद्दों को हल करने के लिए अत्यावश्यक समय भी प्रदान करता है जो प्रेगनेंसी के दौरान पैदा हो सकते हैं, और साथ ही आसपास के सपोर्ट सिस्टम (समर्थन प्रणाली) को बढ़ाता है।

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