मीज़ल्स से निपटना
मीज़ल्स (खसरा) एक अत्यंत कंटेजियस (संक्रामक) इन्फेक्शन है जो मीज़ल्स के वायरस के कारण होता है। प्रारंभिक संकेतों और लक्षणों में आमतौर पर बुखार, अकसर 40° C (104.0° F) से अधिक, खाँसी, बहती नाक और सूजन वाली आँखें शामिल होते हैं। लक्षणों की शुरुआत के दो या तीन दिन बाद, मुंह के अंदर छोटे सफेद स्पॉट (धब्बे) आ सकते हैं, जिन्हें कोप्लिक के स्पॉट (धब्बों) के रूप में जाना जाता है।
- एक बहती या बंद नाक।
- छींकना, पानी वाली आँखें और सूजी हुई पलकें।
- लाल आँखें जो प्रकाश के प्रति संवेदनशील हो सकती हैं।
- एक उच्च तापमान जो 40°. C (104°F) तक जा सकता है।
- मुंह में छोटे-छोटे ग्रे रंग के सफेद स्पॉट (धब्बे)।
- पीड़ा एवं दर्द।
- खाँसी और भूख न लगना।
- थकान, चिड़चिड़ापन और ऊर्जा की सामान्य कमी।
साइनसाइटिस से पीड़ित व्यक्ति का इलाज कैसे कैरे ?
मीज़ल्स का कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, लेकिन आमतौर पर 7 से 10 दिनों के भीतर स्थिति में सुधार हो जाता है। स्कूल या काम से कम से कम चार दिन दूर रहें।
यदि मीज़ल्स के लक्षण आपके या आपके शिशु के लिए परेशानी पैदा कर रहे हैं, तो कुछ चीज़ें हैं जो आप कर सकते हैं इनका इलाज करने लिए, जब तक आप प्रतीक्षा करते हैं अपने शरीर द्वारा वायरस से लड़ने के लिए।
डॉ मे एक उच्च तापमान (बुखार) को कम करने के लिए और यदि आपके बच्चे को असहज महसूस हो रहा हो तो किसी भी दर्द या पीड़ा से राहत के लिए कुछ दवा की सलाह देते हैं।
यदि आपके शिशु का तापमान अधिक है, तो सुनिश्चित करें कि वे बहुत सारे फ्लूइड (तरल पदार्थ) पीते रहें हैं क्योंकि उन्हें डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) का ख़तरा हो सकता है।
वैक्सीनेशन (टीकाकरण):
मीज़ल्स, मम्प्स (कण्ठमाला) और रूबेला (एमएमआर) वैक्सीन नियमित रूप से 12 से 15 महीने की उम्र में दी जाती है, इसके बाद 4 से 6 साल की उम्र में स्कूल में प्रवेश करने से पहले एक बूस्टर शॉट लगाया जाता है।
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