अपनी भावनाओं को कैसे संभालें: अमन गौरी

भावनाओं के मामले में एक रूढ़िवादी सोच बनी हुई हैं, एक तरफ जहां पुरुष ज्यादा भावुक नहीं हो सकते, रो नहीं सकते, वहीं दूसरी तरफ महिला को ज्यादा भावुक होना चाहिए I ये सोच सिर्फ हमारे कल्चर (संस्कृति) में ही नहीं बाकी कई जगहों पर भी हैं

लेकिन सभी पुरुष और महिलाएं ऐसे नहीं होते | अब समय हैं इन स्टीरियो टाइप ( रूढ़िवादी सोच) को तोड़ने का, इंसानों में कुछ बातों को लेकर भावनाएं होती हैं किसी में कम किसी में ज्यादा |

आइये बात करते हैं कि कैसे हम हमारी भावनाओं को संभाल सकते हैं, इनमें मुख्य तीन बातों का हमें ध्यान रखना चाहिए

  1. आइडेन्टिफ्यिंग (पहचानना) सबसे पहले हमें ये समझना होगा कि हम क्या महसूस कर रहे हैं, खुद को हमें जागरूक करना होगा इसके लिए ताकि हम समझ पाए की किस समय हमारे मन में कौन सी भावना हैं
  2. इवेलुएटिंग (जांचना ) फिर आता हैं इवेलुएटिंग मतलब हम जो भी महसूस कर रहे हैं , हो सकता हैं कि थोड़ी कोशिश करके उसे ठीक कर पाएं , और उस भावना से बाहर निकल पाएं.
  3. माड्यूलेटिंग(ठीक करना) इसमें सबसे जरूरी बात होती हैं माड्यूलेटिंग , इसमें हमें ये समझना हैं कि किस वक्त हमें कैसे अपनी भावनाओं को एक्स्प्रेस (दिखाना) करना हैं और कितना | ये सबसे इम्पोर्टेन्ट (मुख्य) होता हैं, क्योंकि अगर हमने अपने भावनाओं को ठीक करना सीख लिया तो हम अपने नकारात्मक भावनाओं को संभाल पाएंगे.

अगर कभी किसी परिस्थिति में एकदम से कोई बहुत नकारात्मक भावना महसूस हो रही हैं तो बहुत जरूरी हैं कि पहले कुछ सेल्फ अवेयरनेस टूल्स के जरिये अपने दिमाग को शांत करें और सोचें कि आप क्या महसूस कर रहे हैं, यदि वो एक नकारात्मक भावना हैं जैसे गुस्सा, दुख तो उसे स्वीकार करें, यदि आप किसी सार्वजनिक स्थान पर हैं तो आप चीख चिल्ला नहीं सकते क्योंकि ये सही नहीं होगा| उस समय आपको ये सोचना होगा कि इस तरह आपका ऐसा करना जरूरी हैं ? अगर नहीं तो कैसे आप अपने आप को शांत करें और उस परिस्थिति को सही तरीके से संभालने की कोशिश करें | इस तरह धीरे धीरे आपके इन प्रयासों से आप आपकी भावनाओं को संभालने में सफल होते जाएंगे |

और अधिक जानकारी के लिए देखें - https://www.youtube.com/watch?v=hAYXe27VZ3w&feature=youtu/be.

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