प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ाना (बिल्डिंग इम्यूनिटी)

प्रतिरक्षा प्रणाली ( इम्यून सिस्टम) में सुधार

प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) इन्फेक्शन और बीमारियों से लड़ने
और हमें जीवन भर उन इनफेक्शंस और बीमारियों बचाने में मदद करती है |
कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) वाला व्यक्ति जल्दी बीमार पड़ता है |

प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ाना

Building Immunity by Famhealth

प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करने के बारे में
रिसर्च क्या कहती है?

रिसर्च में लगातार यह बताया और दिखाया गया है कि कैसे आहार, व्यायाम,आयु, साइक्लोजिकल तनाव और दूसरे फैक्टर्स बड़ों और बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रभाव डालते हैं |

अपनी जीवनशैली (लाइफ़ स्टाइल) में अच्छी आदतों को अपनाएं जैसे कि:

  • अच्छी स्वास्थ्य-रक्षा(हाइजीन) - खाना खाने से पहले अच्छे से हाथ धोने जैसी साफ़-सफ़ाई की अच्छी आदतों को अपनाएं। स्वास्थ्य-रक्षा(हाइजीन) के अच्छे तरीकों को बनाए रखें।
  • टीकाकरण (वैक्सिनेशन) - राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम (नेशनल इम्यूनाईज़ेशन प्रोग्राम) के तहत आवश्यक सभी अनिवार्य टीकाकरणों के लिए जाएं।
  • खाद्य सुरक्षा (फ़ूड सेफ़्टी) - हमेशा ताजा, स्वस्थ और शुद्ध भोजन खाएं |
  • शुद्ध पानी - क्लोरीन युक्त और शुद्ध पानी पिएं।
  • धूम्रपान से दूर रहें |
  • ताजे फल और सब्जियों से भरपूर आहार का सेवन करें।
  • नियमित रूप से व्यायाम करें:
  • अपने वज़न का ध्यान रखेंI
  • शराब से बचें।
  • पर्याप्त नींद लें।
  • तनाव को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाएं।

प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को मज़बूत बनाने वाले कुछ हर्ब्स:

रिसर्च में दिखाया गया है कि निम्नलिखित हर्ब्स, सप्लीमेंट्स और ज़रूरी तेल (एसेंशियल ऑयल्स) प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को मज़बूत बनाने में फायदेमंद पाए गए हैं:

 इग्नेशिया

सन 2012 में एविडेंस-बेस्ड कॉमप्लिमेंट्री एंड ऑल्टरनेटिव मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि इग्नेशिया बार-बार होने वाले कुछ इनफेक्शन के खिलाफ़ लड़ने में, और बहुत सारे इंफेक्शन्स से बचाने में फायदेमंद है |

2003 में यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन मेडिकल स्कूल में कंडक्ट किये गए एक अध्ययन में बताया गया कि इग्नेशिया प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत बना सकता है | इग्नेशिया इम्यूनिटी को स्टीमुलेट करने और मज़बूत बनाने के साथ-साथ अपर रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट इन्फ़ेक्शन्स के खिलाफ़ लड़ने में भी फायदेमंद पाया गया है |

एल्डरबेरी

औषधि के जनक (फ़ादर ऑफ़ मेडिसिन) हिप्पोक्रेट्स ने, एल्डरबेरी पौधे से मिलने वाले स्वास्थ्य के फायदों जिसमें सर्दी, फ़्लू, एलर्जीज़ और सूजन से लड़ना शामिल है, उनको ध्यान में रखते हुए इसकी अहमियत को महसूस किया | अध्ययन में दिखाया गया एल्डरबेरी में प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करने की शक्ति होती हैं, खासतौर पर इसलिए क्योंकि यह सामान्य सर्दी और फ्लू के लक्षणों का इलाज करने में मददगार साबित हुआ है |

इंटरनेशनल मेडिकल रिसर्च की जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला की लक्षण दिखने के शुरुआती 48 घंटों के अंदर एल्डरबेरी का इस्तेमाल करने से, उसका एक्सट्रैक्ट फ्लू की अवधि को कम कर देता है |  

कोलॉयडल सिल्वर

पुराने समय से ही बीमारियों की रोकथाम के लिए सिल्वर बहुत लोकप्रिय इलाज रही है | सिल्वर को एक ब्रॉड-स्पेक्ट्रम एंटीमाइक्रोबॉयल एजेंट के रूप में पहचान मिली है | ऑलटरनेटिव एंड कॉमप्लीमेंट्री की जर्नल में प्रकाशित रिसर्च में दिखाया गया कि कोलॉयडल सिल्वर बैक्टीरिया के विकास को रोकने में सक्षम था |

हर रोज़ कोलॉयडल सिल्वर की एक बूंद घाव पर लगाने से काफ़ी फ़ायदा होता है |

प्रोबायोटिक्स

यह देखा गया है कि एक और अस्वस्थ्य गट खाने से संबंधित इंफेक्शन का मुख्य कारण होता है, जिससे ऑटोइम्यून बीमारी और असंतुलित इम्यून या प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर होती है | योगर्ट, दही जैसे प्रोबायोटिक अच्छे बैक्टीरिया को रिलीज़ करते हैं जो प्राकृतिक रूप से इम्यूनिटी को मज़बूत बनाने में मदद करता है |

क्रिटिकल रिव्यूज़ इन फूड साइंस एंड न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक रिसर्च में बताया गया कि प्रोबायोटिक बैक्टीरिया अलग तरह की साइटोकिन प्रतिक्रियाओं को बढ़ावा दे सकते हैं | यह साबित हुआ है कि शुरूआत की स्थिति में प्रोबायोटिक्स को कंज्यूम करने से इम्यून रिस्पांस में सुधार होता है और इन्फेक्शन्स से लड़ने में इम्यूनिटी मज़बूत बनती है |

एस्ट्रागैलेस रूट

एस्ट्रागैलेस एक पौधा है जो बीन और लैग्यूम्स परिवार से संबंधित है | ट्रेडिशनल चाइनीज़ मेडिसिन पौधे का इस्तेमाल नेचुरल इम्यूनिटी बनाने के लिए किया | अमेरिकन जनरल ऑफ चाइनीस मेडिसिन में हाल ही में प्रकाशित एक रिव्यू में बताया गया कि एस्ट्रागैलेस पर आधारित इलाजों ने कैंसर कीमोथेरप्यूटिक्स और इम्यून सप्रेसेंट जैसी दवाइयों से बढ़ने वाले टोक्सिंस में सुधार करने में बहुत फ़ायदा दिखाया है |

सर्चस ने यह निष्कर्ष निकाला की एक्स्ट्रा गैलरी एक्सट्रैक्ट का प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) पर बहुत ही फायदेमंद असर होता है, और यह शरीर को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की सूजन और कैंसर्स से भी बचाता है |

अदरक

भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा ने इतिहास लिखे जाने से पहले ही अपने प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को मज़बूत बनाने के लिए अदरक के गुणों पर भरोसा किया है | यह माना जाता है कि अदरक का प्रभाव गर्म होने के कारण यह शुरू से ही जहरीले टॉक्सिंस को निकाल सकता है | यह लिंफेटिक प्रणाली, टिशूज़ और ऑर्गन के नेटवर्क को शुद्ध करने के लिए जाना जाता है, जो शरीर के टॉक्सिंस, वेस्ट और दूसरे अनचाहे पदार्थों से छुटकारा पाने में मदद करते हैं |

अदरक की जड़ ( जिंजर रूट) और अदरक के एसेंशियल ऑयल अपने एंटी-फ्लेमेंट्री और इम्यून न्यूट्रीशन के असर से इनफेक्शंस और बीमारियों को ठीक किया जा सकता है | अदरक में एंटीमाइक्रोबॉयल गुण भी हैं, जो संक्रामक (इन्फैक्शियस) बीमारियों को ठीक करने में मदद करते हैं |.

 विटामिन डी

विटामिन डी सहज और अनुकूल इम्यून के असर को कम ज्यादा कर सकता है और विटामिन डी की कमी बढ़ी हुई ऑटोइम्यूनिटी के साथ-साथ इंफेक्शन की संवेदनशीलता से भी सम्बंधित है | रिसर्च दिखाते हैं कि विटामिन डी सहनशीलता को बनाए रखने और सुरक्षात्मक इम्यूनिटी को बढ़ावा देने का काम करता है | यहां बहुत सारे क्रॉस- सेक्शनल अध्ययन हैं विटामिन डी के निम्न स्तर (लोअर लेवल) को इनफेक्शन के बढ़ने से जोड़ते हैं |

मैसैचुसेट्स जनरल अस्पताल में कंडक्ट किये गए एक अध्ययन में 19000 पार्टिसिपेंट्स शामिल किये गये थे, और यह देखा गया की विटामिन डी के पर्याप्त स्तर (सफिशियेंट लेवल्स) वालों की तुलना में निम्न स्तर वाले व्यक्तियों में, मौसम, आयु, लिंग (जेंडर), बॉडी मास और रेस जैसे कारकों (वेरिएबल्स) के लिए एडजस्ट होने के बाद भी अचानक से अपर रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट इनफेक्शन होने की संभावना ज़्यादा थी | कभी-कभी न्यूट्रीशन की कमी को समझने से पता चलता है की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को मज़बूत कैसे करें |

प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करने वाले अन्य खाद्य पदार्थ हैं:

  • ओट्स और बार्ले
  • लहसुन
  • चिकन सूप
  • अनाज (सीरियल्स)
  • मशरूम

जीवन शैली( लाइफस्टाइल) में बदलाव करने के साथ अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को कैसे मज़बूत करें

सभी को अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली मज़बूत करने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए | 2018 में एजिंग सेल में प्रकाशित एक ह्यूमन स्टडी के अनुसार उच्च स्तर की शारीरिक गतिविधियां (फिज़िकल एक्टिविटी) और व्यायाम सामान्य आयुवर्ग जो शारीरिक रूप से आलसी हैं, उनकी तुलना में 55 से लेकर 79 की आयु वर्ग के व्यक्तियों के इम्यून सेनासेंस (धीरे-धीरे प्रतिरक्षा प्रणाली में गिरावट) में सुधार करता है |अच्छी शारीरिक गतिविधि और व्यायाम की मदद से हेल्दी एजिंग को पाया जा सकता है |सुरक्षा (प्रिकॉशंस) के तौर पर ध्यान रखने योग्य बातें:

प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को मज़बूत बनाने वाली इन हर्ब्स और दवाइयों को थोड़ा-थोड़ा करके (मॉडरेशन) और थोड़े-थोड़े समय में कंज्यूम किया जाना चाहिए | इनका असर बहुत शक्तिशाली होता है इसलिए इन्हें नियमित अंतराल से कंज्यूम करना चाहिए |

अगर आप गर्भवती हैं तो इनका इस्तेमाल ना करें या अपने डॉक्टर की सलाह के हिसाब से इन्हें लें |

सोर्सेज़:

https://draxe.com/how-to-boost-your-immune-system/

https://www.health.harvard.edu/staying-healthy/how-to-boost-your-immune-system

https://www.prevention.com/food-nutrition/healthy-eating/a20503059/power-foods-that-boost-immunity/

प्रशामक देखभाल

प्रशामक देखभाल, जिसे कम्फर्ट केयर (आराम देखभाल), सपोर्ट केयर (सहायक देखभाल) और सिमटम मैनेजमेंट (लक्षण प्रबंधन) भी कहा जाता है, उन मरीज़ों के जीवन की गुणवत्ता को सुधार सकती है, जिन्हें कोई गंभीर या जानलेवा बीमारी है। जीवन के अंत के पास होने वाले शारीरिक बदलावों के लिए उन्हें तैयार करते हुए, मरीज़ों और उनके प्रियजनों के लिए बीमारी के इलाज या कंट्रोल हेतु उपचार से मरणासन्न-आश्रय देखभाल की ओर ट्रांज़ीशन करना सहायक है। यह उन्हें उत्पन्न होनेवाले विभिन्न विचारों और भावनात्मक मुद्दों से निपटने में भी उन्हें मदद करता है और परिवार के सदस्यों के लिए समर्थन प्रदान करता हैं। प्रशामक देखभाल विशेषज्ञ केयरगिवर सपोर्ट (देखभालकर्ता सहायता) भी प्रदान करते हैं, हेल्थकेयर टीम के सदस्यों के बीच संवाद की सुविधा प्रदान करते हैं, और मरीज़ की देखभाल के लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए चर्चा करते हैं।

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कैंसर

कैंसर के साथ जीने वाले लोगों के दोस्त और परिवार सहायता समूह

कैंसर का डायग्नोसिस पाने पर अकसर एक ज़ोरदार भावनात्मक प्रतिक्रिया ट्रिगर होती है। कुछ लोग सदमे, क्रोध और अविश्वास का अनुभव करते हैं जबकि अन्य लोग तीव्र उदासी, भय और नुकसान की भावना महसूस कर सकते हैं। सबसे अधिक सहायक परिवार के सदस्यों और दोस्तों को भी यह सटीक रूप समझ में नहीं आता है कि कैंसर से ग्रस्त होना कैसे लगता है जिससे मरीज़ में अकेलेपन और अलगाव की भावना पैदा होती है।

सहायता समूह तनाव के कुछ स्तर को कम करते हैं क्योंकि समूह के सदस्य भावनाओं और अनुभवों को साझा कर सकते हैं जो परिवार और दोस्तों के साथ साझा करना बहुत अजीब या बहुत मुश्किल लग सकता है।
इसके अतिरिक्त, ग्रुप डायनामिक्स अपनेपन की एक ऐसी भावना पैदा करती है जो प्रत्येक व्यक्ति को अधिक समझा हुआ और कम अकेला महसूस करने में मदद करती है।
 

सहायता समूह के सदस्य व्यवहारिक जानकारी पर भी चर्चा कर सकते हैं जैसे उपचार के दौरान क्या उम्मीद की जाए, दर्द और उपचार के अन्य दुष्प्रभावों को कैसे मैनेज किया जाए, स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं और परिवार के सदस्यों के साथ कैसे संवाद किया जाए। भले कई अध्ययनों से पता चला है कि सहायता समूह कैंसर वाले लोगों को कम उदास और चिंतित महसूस करने में मदद करते हैं, सहायता समूह सभी के लिए सही फिट नहीं हैं। कुछ लोग समर्थन के अन्य स्रोतों से लाभान्वित हो सकते हैं। इंटरनेट सहायता समूह हाल के वर्षों में तेज़ी से लोकप्रिय हुए हैं और दूरदराज़ के क्षेत्रों में उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है जिनके पास परिवहन के लिए आसान पहुँच नहीं है या व्यक्तिगत रूप से अपने अनुभव साझा करने में सहज महसूस नहीं करते हैं। वे दुर्लभ प्रकार के कैंसर वाले लोगों को उसी प्रकार के कैंसर वाले अन्य लोगों के साथ संवाद करने देते हैं, व ऐसा वे चर्चा समूहों, मेसेज बोर्ड या बुलेटिन बोर्ड के माध्यम से कर सकते हैं जिस पर लोगों को एक मेसेज पोस्ट करने दिया जाता है और अन्य लोग भी मेसेजों को आगे-पीछे टाइप करके इसका उत्तर दे सकते हैं।

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कैंसर

एड्स

एड्स के लक्षण
कारण और बचाव

एड्स एचआईवी का एक आक्रामक रूप है। एड्स, एचआईवी वायरस के कारण
होने वाला एक संक्रमण है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को इस हद तक प्रभावित
करता है जिससे प्रभावित व्यक्ति कुछ मिनटों के लिए संक्रमण के प्रभाव से
अतिसंवेदनशील हो सकता है।

एड्स के लक्षण
कारण और बचाव

एड्स एचआईवी का एक आक्रामक रूप है। एड्स, एचआईवी वायरस के कारण होने वाला एक संक्रमण है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को इस हद तक प्रभावित करता है जिससे प्रभावित व्यक्ति कुछ मिनटों के लिए संक्रमण के प्रभाव से अतिसंवेदनशील हो सकता है। एक व्यक्ति एचआईवी संक्रमण के साथ रह सकता है यदि वह उचित उपचार चिकित्सा लेता है और उचित देखभाल करता है। लेकिन अगर उचित देखभाल और उपचार न दिया जाए तो संक्रमण फैल सकता है और एचआईवी संक्रमण से आंतरिक रूप से एड्स हो सकता है।

एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी एचआईवी संक्रमण के लिए उपचार लिए अच्छी विधि है, जो अन्य दवाओं के संयोजन के साथ से संक्रमित व्यक्ति के जीवन काल को लम्बा खींच सकती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ ) के अनुसार एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति उपचार के साथ जीवन की उच्च गुणवत्ता को फिर से शुरू कर सकता है।

जाने की एचआईवी संक्रमण क्या होता है?

ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस ( एचआईवी ) एक वायरस है, जो सीडी 4 कोशिकाओं नामक प्रतिरक्षा कोशिकाओं पर हमला करता है, जो एक प्रकार का टी सेल है। ये कोशिकाएँ श्वेत रक्त कोशिकाएँ होती हैं, जो शरीर को संक्रमणों से बचाती हैं। जब एचआईवी इन कोशिकाओं को नष्ट करता है और इनमे घुस जाता है, तो यह शरीर की अन्य बीमारियों से लड़ने की क्षमता को कम कर देता है। जब एचआईवी संक्रमण होता है, तो कई संक्रमणो का खतरा बढ़ जाता है और इससे प्रभावित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।

एड्स संक्रमण क्या है?

एड्स एचआईवी संक्रमण का एक अतिरंजित रूप है। यदि संक्रमित व्यक्ति एचआईवी संक्रमण का इलाज नहीं करता है तो एड्स के विकसित होने की संभावना है क्योंकि प्रतिरक्षा प्रणाली धीरे-धीरे कमजोर हो जाती है। हालांकि, यदि एचआईवी संक्रमण ऊपर उठा रहा है तो ये एड्स के संक्रमण की ओर जाता है।

व्यक्ति में एचआईवी संक्रमण होने के कारण है?

निम्न स्थितियों के माध्यम एचआईवी संक्रमण का खतरा रहता है।

  • संक्रमित रक्त।
  • संक्रमित वीर्य।
  • संक्रमित योनि स्राव।
  • संक्रमित गुदा तरल पदार्थ।
  • संक्रमित स्तन का दूध।

संक्रमित व्यक्ति के साथ संभोग करने के कारण भी एचआईवी संक्रमण होता है। संक्रमित सुइयों, सिरिंजों को साझा करने से एचआईवी संक्रमण संक्रमित मां से बच्चे में भी स्थानांतरित हो सकता है।

व्यक्तियों में कुछ करक है जिनके द्वारा एचआईवी संक्रमण से एड्स फैलता है :

एचआईवी से एड्स बढ़ने का जोखिम व्यक्तियों के बीच व्यापक रूप से भिन्न होता है और यह कई कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें निम्न शामिल हैं।

  • आयु।
  • शरीर की आंतरिक प्रतिरक्षा प्रणाली।
  • स्वास्थ्य देखभाल और उचित एआरटी थेरेपी।
  • अन्य संक्रमणों का संचरण।

लक्षण

  • अधिकांश भाग के लिए, अन्य बैक्टीरिया, वायरस , कवक या परजीवी द्वारा संक्रमण एचआईवी के अधिक गंभीर लक्षण का कारण बनते है।
  • ये स्थिति उन लोगों में आगे बढ़ने की है जो स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों की तुलना में एचआईवी से ग्रस्त हैं। आम तौर पर, अगर आंतरिक प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है, तो यह संक्रमण से लड़ती है, पर एचआईवी इस प्रक्रिया को बाधित करता है। सटीक एचआईवी वायरस होने से यह व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है।

निवारण

एड्स को रोकने या एचआईवी संक्रमण होने की संभावना को रोकने का एकमात्र तरीका है। दवाओं के साथ एचआईवी वायरल लोड के प्रबंधन के अलावा, एक व्यक्ति जो बीमारी के साथ रहता है, उसे निम्न चरणों सहित सावधानी बरतनी चाहिए।

  • सुरक्षित सेक्स करें, अन्य एसटीआई को रोकने के लिए कंडोम पहनें।
  • यदि व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित है तो संक्रमण से सुरक्षित रहें अपने डॉक्टर से बात करें और उचित एआरटी थेरेपी लें।
  • उन खाद्य पदार्थों से बचें जो संदूषण के जोखिम में हैं, जैसे कि अंडरकुकड अंडे, अनपेस्टुराइज्ड डेयरी और फलों का रस , या कच्चे स्प्राउट्स।
  • सुरक्षित और साफ पानी पिएं। यह गैस्ट्रिक संक्रमण की संभावना को कम करता है।
  • उचित उपचार चिकित्सा से एंटीबायोटिक , एंटीफंगल या एंटीपैरासिटिक से संक्रमण को रोका जा सकता है।

सोर्सेज़:

https://www.hiv.gov/hiv-basics/overview/about-hiv-and-aids/what-are-hiv-and-aids

https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/hiv-aids/symptoms-causes/syc-20373524

https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/hiv-aids/expert-answers/early-hiv-symptoms/faq-20058415

https://medlineplus.gov/hivaids.html

हाइपोकौंड्रियासिस

हाइपोकौंड्रियासिस एक तरह का एंजाइटी डिसऑर्डर है |अगर कोई लगातार
अपने स्वास्थ्य के बारे में चिंतित रहता है, भले ही उसका डॉक्टर कहे कि सब
कुछ ठीक है, तो इसे हेल्थ एंजाइटी, या इलनेस एंजाइटी डिसऑर्डर, या
हाइपोकौंड्रियासिस के नाम से जाना जाता है |

हाइपोकौंड्रियासिस

Hypochondriasis by Famhealth
लोगों द्वारा अपने स्वास्थ्य की चिंता करना स्वाभाविक है | लेकिन हाइपोकौंड्रियासिस अपने स्वास्थ्य को लेकर ज़रूरत से ज़्यादा चिंतित रहते हैं और उन्हें लगता है कि वह बहुत गंभीर रूप से बीमार हैं, या किसी गंभीर बीमारी के शिकार होने वाले हैं | ऐसे लोगों में या तो किसी तरह का लक्षण नहीं दिखता है या वह बहुत कम लक्षण महसूस करते हैं | यहां तक की कम से कम लक्षण भी उनके लिए चिंता का कारण बन जाते हैं |

हाइपोकौंड्रियासिस वाले कुछ लोग एक मेडिकल कंडीशन से पीड़ित होते हैं जो आमतौर पर बहुत गंभीर नहीं होती, लेकिन उन्हें ऐसा महसूस होता है कि वह किसी बड़ी बीमारी से जूझ रहे हैं | हाइपोकौंड्रियासिस वाले कुछ दूसरे लोग स्वस्थ होते हैं, लेकिन भविष्य में बीमार पड़ने की चिंता से भयभीत रहते हैं | उदाहरण के लिए, वह सोच सकते हैं: “कहीं मुझे कैंसर हो गया तो?”

हाइपोकौंड्रियासिस वाले लोग जीवन की लो क्वालिटी से प्रभावित होते हैं और यह कंडीशन उनकी हर दिन की गतिविधियों पर प्रभाव डालती है |

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हाइपोकॉन्ड्रिया के कारण?

लोगों को हाइपोकॉन्ड्रिया होने का का कारण अभी तक पता नहीं चला है, लेकिन यह उन लोगों में ज़्यादा होता है जो:

  • जो तनाव में हो,बीमार हो या परिवार में किसी की मृत्यु हुई हो
  • जिसके बचपन में उपेक्षा (निग्लेकटिड) या दुर्व्यवहार (अब्यूज़) हुआ हो
  • जो किसी गंभीर शारीरिक बीमारी का अनुभव कर चुका हो
  • जो गंभीर मानसिक स्वास्थ्य संबंधी इशु जैसे एंगज़ाइटी, अवसाद (डिप्रेशन), एक कंपल्सिव डिसऑर्डर, या एक मनोरोगी बीमारी (साइकोटिक इलनेस) का अनुभव कर चुका हो
  • वह लोग जो जीवन के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण (नेगेटिव आउटलुक) रखते हैं

यहां कुछ ऐसी गतिविधियां बताई गई हैं जिनके कारण एक व्यक्ति में हाइपोकॉन्ड्रिया होने की संभावना बढ़ जाती है:

  • इंटरनेट पर बीमारियों के बारे में पढ़ते रहना
  • बीमारियों की जानकारी के लिए बहुत ज़्यादा टीवी देखना
  • यह जानने के लिए कि अगर वह व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति को जानता हो जो किसी गंभीर मेडिकल कंडीशन से पीड़ित हो

हाइपोकॉन्ड्रिया के क्या लक्षण हैं?

 हाइपोकॉन्ड्रिया के कुछ सामान्य लक्षण है:

  • इससे प्रभावित व्यक्ति लगातार किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने के बारे में सोचता रहता है
  • इससे प्रभावित व्यक्ति डॉक्टर के आश्वासन के बाद भी बार-बार डॉक्टर से जांच कर आता रहता है
  • बार-बार मेडिकल टेस्ट कराता रहता है
  • हमेशा परिवार और दोस्तों के साथ स्वास्थ्य के बारे में बात करता रहता है
  • लक्षणों के बारे में जानकारी के लिए अपना काफी समय इंटरनेट पर बिताता है
  • रात को ठीक से सो नहीं पाता है
  • अपने स्वास्थ्य के बारे में चिंतित रहने के कारण परिवार, कार्यस्थल और समाज में संबंध अच्छे नहीं बना पाता है

हाइपोकॉन्ड्रिया का क्या इलाज है?

डॉक्टर शारीरिक समस्याओं को जानने की कोशिश करेगा जिसकी वजह से एक व्यक्ति हाइपोकॉन्ड्रिया से पीड़ित होता है:

  • वह इससे प्रभावित व्यक्ति को सलाह देता है और स्वयं की मदद करने की तकनीक सिखाता है
  • कुछ मरीजों पर कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी की जाती है
  • ऐसे व्यक्ति को काउंसलर या मनोचिकित्सक (साइकेट्रिस्ट) के पास रेफर करता है
  • एंगज़ाइटी को कम करने के लिए एंटीडिप्रेसेंट प्रिसक्राइब किए जाते हैं
  • व्यायाम, पौष्टिक आहार,और परिवार का साथ हाइपोकॉन्ड्रिया के लक्षणों को कम करने में मदद करता है

अगर हाइपोकॉन्ड्रिया का इलाज ना किया जाए, तो क्या समस्याएं (कॉम्प्लिकेशंस) हो सकती हैं?

हाइपोकॉन्ड्रियावाले व्यक्ति में नीचे बताई गई समस्याएं (कॉम्प्लिकेशंस) होना संभव है

  • इससे प्रभावित व्यक्ति अक्सर दिखावे के संबंधों से प्रभावित रहता है क्योंकि उसके करीबी और प्रियजन मरीज़ के लगातार बात करने से चिड़चिड़ाने लगते हैं
  • इससे प्रभावित व्यक्ति कार्यस्थल पर अच्छे से काम पूरा करने में असमर्थ रहता है
  • व्यक्ति अपने दैनिक जीवन की गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ रहता है; इसलिए छोटे-छोटे कार्य करने में भी मुश्किल होने लगती है
  • लगातार डॉक्टर के पास जाने और स्वास्थ्य जांच करवाने के कारण फाइनेंशियल क्राइसिस पैदा हो सकता है
  • अंत में, व्यक्ति सोमेटिक सिम्टम डिसऑर्डर, दूसरे एंगज़ाइटी डिसऑर्डर, अवसाद (डिप्रेशन) या एक पर्सनैलिटी डिसऑर्डर से पीड़ित हो जाता है

हाइपोकॉन्ड्रिया को कैसे रोका जा सकता है?

हाइपोकॉन्ड्रिया होने से रोकने के लिए यहां डॉक्टर द्वारा कुछ सुझाव दिए गए हैं

  • अगर कोई एंजायटी से पीड़ित है तो, इससे होने वाली समस्याओं (कॉम्प्लिकेशंस) को रोकने के लिए जल्द से जल्द प्रोफेशनल मदद लेने की सलाह दी जाती है |
  • अपने जीवन में तनाव को नियंत्रित करने की कोशिश करें,मदद मांगे, मेडिटेशन और व्यायाम आपको तनाव से राहत देने में मदद कर सकते हैं |
  • नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह लें और अगर आपको यह डायग्नोज हुआ है तो हाइपोकॉन्ड्रिया को वापस होने से रोकने के लिए अपने ट्रीटमेंट प्लान से जुड़े रहें |

सोर्सेज़:

https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/illness-anxiety-disorder/symptoms-causes/syc-20373782

https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/9886-illness-anxiety-disorder-beyond-hypochondriasis

http://beyondocd.org/expert-perspectives/articles/hypochondriasis-what-is-it-and-how-do-you-treat-it

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC181122/

https://www.healthdirect.gov.au/hypochondria


MEMBER GROUPS – CANCER CARE INDIA 

Kolkata

S.no. Member Support GroupsAddress and Contact DetailsContact Person
1.CANCER FIGHT FOUNDATION 9/2, Central Park, Jadavpur, Kolkata-700032. Email:susmitabanerjee2810@gmail.comEmail:cancerfightfoundation@gmail.comWeb:www.cancerfightfoundation.org Dr Achintya Das, M:09830039132, Email:achintyadas.kol@gmail.com Ms Susmita Banerjee, M:09836246972. 
2.CANCERNIRVANA  C/O Soni Emporium, Mani Link Road, Kalimpong-73430  Mr. Naveen Soni,M:09832549000.Email: sonikpg@gmail.com
3.IDTAISIDNICD-54,Salt Lake,Sec-1, Kolkata-700064. Te1:033-23375817Email:hitaishiniindia@yahoo.com Ms. Vijaya Mukherjee,M: 09830219414Email:vjayamukherjee@yahoo.comMs. Nupur ChakrabortyM:09831999969,Tel: 033-24304800 
4.Laryngectomee Club, CCWH & RIMahatma Gandhi Road, Thakurpur, Kolkata-700063 Tel: 033-2467801 /03Web: www.cancercentrecalcutta.org  Mrs. Chakraverty,M: 9831818088,Tel: 033-24610068, Email:bibhutichakraverty@hotmail.com

उपचार लागत

यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (अंतरराष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ) द्वारा चलाई जा रही विश्व कैंसर दिवस (वर्ल्ड कैंसर डे) की वेबसाइट का कहना है, "यह एक मिथक है कि कैंसर केवल एक स्वास्थ्य-संबंधी मुद्दा है। दरअसल, कैंसर परिवारों की आय कमाने की क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है, व उच्च उपचार लागतों के साथ उन्हें ग़रीबी की ओर और धकेलता है।"

भारत सरकार के राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम का अनुमान है कि किसी भी समय देश में 2 से 2.5 मिलियन कैंसर के मरीज़ हैं। 2010 में एक बीसीजी अध्ययन के अनुसार, वर्तमान में मौजूद 200 कैंसर केंद्रों के विपरीत, भारत को कम से कम 840 की आवश्यकता थीं। यह अनुमान है कि भारत में केवल 2000 ऑन्कोलॉजिस्ट हैं, जबकि इससे तीन गुना की आवश्यकता है। यह स्पष्ट है कि डॉक्टरों की कमी कैंसर देखभाल प्रदान करने वाले अस्पतालों की संख्या को नुकसान पहुँचाएगा। एक फुल-फ्लेज (सभी सुविधाओं वाले) कैंसर अस्पताल की स्थापना करना कैपिटल-इंटेंसिव (पूंजी-गहन) होता है - एक शहर में 100-बिस्तर के अस्पताल में कथित तौर पर 50 करोड़ की लागत आ सकती है। और मानव संसाधन भी, डॉक्टरों से लेकर नर्सों तक और तकनीशियनों तक,
एक सतत चुनौती है।

कैंसर के इलाज में लाखों रुपये लगते हैं, विशेषकर जब एडवांस्ड स्टेज (उन्नत चरणों) में रोग का पता चलता है, जिसमें सर्जरी या व्यापक उपचार की आवश्यकता पड़ती है। एक अनुमान के अनुसार, एक कैंसर रोगी वाले 45 से अधिक प्रति शत परिवारों को भयावह ख़र्चो का सामना करना पड़ता है और 25 प्रति शत गरीबी रेखा (बीपीएल) से नीचे धकेल दिए जाते हैं। बढ़ते हुए खर्चों से निपटने का एकमात्र तरीक़ा है मेडिकल बीमा और चूंकि भारत ने स्वास्थ्य में बहुत अधिक निवेश नहीं देखा है, इसलिए आगे यह एक लंबा रास्ता है।

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कैंसर क्या है?

कीमोथेरेपी

कीमोथेरेपी

कीमोथेरेपी कैंसर के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला उपचार है और कैंसर के उपचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली औषधियों को निर्देशित करता है जिसके उद्देश्य हैं इलाज, कंट्रोल और उपशमन।

अधिकांश कीमोथेरेपी (कीमो) औषधियाँ तेज़ दवाइयाँ होतीं हैं जिन्हें आमतौर पर नियमित अंतराल पर दिया जाता है, जिन्हें चक्र (साइकिल) कहा जाता है - जो एक या एक से अधिक औषधियों की खुराक होती है और बाद में कई दिन या हफ़्ते बिना उपचार के होते हैं। यह सामान्य सेल्स को औषधि के दुष्प्रभावों से उबरने का समय देता है।

अधिकतम लाभ के लिए, व्यक्ति को कीमो का पूरा कोर्स, पूरी खुराक प्राप्त करनी चाहिए और साइकिल को शेड्यूल पर रखना चाहिए। ज़्यादातर मामलों में, विशेष कैंसरों के उपचार के लिए औषधियों के सबसे प्रभावी खुराक और शेड्यूल क्लिनिकल ट्रायल्स (नैदानिक परीक्षणों) में टेस्ट करके खोजें गए हैं।

दुष्प्रभाव

भले कीमो औषधियाँ तेज़ी से बढ़ने वाले सेल्स को मारतीं हैं, वे दुष्प्रभाव के रूप में स्वस्थ सेल्स को भी नुकसान पहुँचाते हैं। कुछ दुष्प्रभावों से उबरने के लिए लिया गया समय एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग-अलग होता है और यह आपके संपूर्ण स्वास्थ्य और आपको दी जाने वाली औषधियों पर निर्भर करता है। कई दुष्प्रभाव उपचार समाप्त होने के बाद काफ़ी जल्दी चले जाते हैं, लेकिन कुछ को पूरी तरह से दूर होने के लिए महीने लग सकते हैं।

कीमोथेरेपी के कुछ अधिक सामान्य दुष्प्रभाव हैं थकान, बालों का झड़ना, एनीमिया (रक्ताल्पता), मतली और उलटी, कब्ज, दस्त, घाव और निगलने पर दर्द होना। बालों का झड़ना कीमो उपचार का एक सामान्य दुष्प्रभाव है, लेकिन यह अस्थायी है क्योंकि अंतिम उपचार के बाद कुछ सप्ताहों में नए बालों आने शुरू हो जाते हैं।

वज़न कम होना और ऊर्जा की कमी समान रूप से आम है जिससे स्वस्थ खाद्य पदार्थों को खाना जारी रखना आवश्यक हो जाता है। कीमोथेरेपी का एक और आम दुष्प्रभाव डाइजेशन (पाचन) को प्रभावित करता है और आपके मुंह में मैटेलिक (धातु जैसा) स्वाद आ सकता है या आपकी जीभ पर कोई पीली या सफेद परत आ सकती है। मरीज़ को वायरस, बैक्टीरिया और अन्य कीटाणुओं के संपर्क में आने से बचना चाहिए क्योंकि कीमो के दौरान इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो जाता है।

कीमोथेरेपी औषधियों से याददाश्त की समस्याएँ हो सकती हैं और ध्यान केंद्रित करना या स्पष्ट रूप से सोचना मुश्किल हो सकता है। इस लक्षण को कभी-कभी "कीमो फॉग" ("कीमो कोहरा") या "कीमो ब्रेन" ("कीमो दिमाग़") कहा जाता है। कीमोथेरेपी औषधियों से हार्मोन में परिवर्तन हो सकता है और इसके परिणामस्वरूप मूड स्विंग हो सकते हैं। कुछ मामलों में यौन क्रिया और फर्टिलिटी (प्रजनन क्षमता) भी प्रभावित हो सकती है।

कैंसर के साथ जीना और कीमोथेरेपी को संभालना भावनात्मक रूप से नुकसान पहुँचा सकता है। मरीज़ों को यह ज़बरदस्त लग सकता है और वे उदास भी हो सकते हैं जैसे वे काम, परिवार, और वित्तीय जिम्मेदारियों को टटोलते हैं या दर्द और परेशानी से निपटते हैं।

मालिश और ध्यान जैसी कॉम्प्लीमेंटरी थेरेपियाँ (पूरक चिकित्साएँ) आराम और राहत के लिए एक सहायक उपाय हो सकतीं हैं। कैंसर सहायता समूह, जहाँ आप कैंसर के उपचार से गुज़रने वाले अन्य लोगों के साथ बातचीत कर सकते हैं, सहायक होते हैं, लेकिन यदि अवसाद की भावनाएँ बनीं रहें, तो पेशेवर काउंसिलिंग की आवश्यकता पड़ सकती है।

उपचार लागत

यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (अंतरराष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ) द्वारा चलाई जा रही विश्व कैंसर दिवस (वर्ल्ड कैंसर डे) की वेबसाइट का कहना है, "यह एक मिथक है कि कैंसर केवल एक स्वास्थ्य-संबंधी मुद्दा है। दरअसल, कैंसर परिवारों की आय कमाने की क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है, व उच्च उपचार लागतों के साथ उन्हें ग़रीबी की ओर और धकेलता है।" 

भारत सरकार के राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम का अनुमान है कि किसी भी समय देश में 2 से 2.5 मिलियन कैंसर के मरीज़ हैं। 2010 में एक बीसीजी अध्ययन के अनुसार, वर्तमान में मौजूद 200 कैंसर केंद्रों के विपरीत, भारत को कम से कम 840 की आवश्यकता थीं। यह अनुमान है कि भारत में केवल 2000 ऑन्कोलॉजिस्ट हैं, जबकि इससे तीन गुना की आवश्यकता है। यह स्पष्ट है कि डॉक्टरों की कमी कैंसर देखभाल प्रदान करने वाले अस्पतालों की संख्या को नुकसान पहुँचाएगा। एक फुल-फ्लेज (सभी सुविधाओं वाले) कैंसर अस्पताल की स्थापना करना कैपिटल-इंटेंसिव (पूंजी-गहन) होता है - एक शहर में 100-बिस्तर के अस्पताल में कथित तौर पर 50 करोड़ की लागत आ सकती है। और मानव संसाधन भी, डॉक्टरों से लेकर नर्सों तक और तकनीशियनों तक, एक सतत चुनौती है। कैंसर के इलाज में लाखों रुपये लगते हैं, विशेषकर जब एडवांस्ड स्टेज (उन्नत चरणों) में रोग का पता चलता है, जिसमें सर्जरी या व्यापक उपचार की आवश्यकता पड़ती है। एक अनुमान के अनुसार, एक कैंसर रोगी वाले 45 से अधिक प्रति शत परिवारों को भयावह ख़र्चो का सामना करना पड़ता है और 25 प्रति शत गरीबी रेखा (बीपीएल) से नीचे धकेल दिए जाते हैं। बढ़ते हुए खर्चों से निपटने का एकमात्र तरीक़ा है मेडिकल बीमा और चूंकि भारत ने स्वास्थ्य में बहुत अधिक निवेश नहीं देखा है, इसलिए आगे यह एक लंबा रास्ता है।

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कैंसर क्या है?

दर्द से निपटना

कैंसर या उपचारों से होने वाला दर्द दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है और सोने और खाने में परेशानी पैदा कर सकता है और यहाँ तक कि चिड़चिड़ापन, निराशा, दुःख और गुस्सा महसूस करा सकता है। अच्छी खबर यह है कि सभी दर्द का इलाज किया जा सकता है और अधिकांश दर्द को कंट्रोल किया जा सकता है या राहत दी जा सकती है। जब दर्द कंट्रोल किया जाता है, तो लोग बेहतर ढंग से सो सकते हैं और खा सकते हैं, परिवार और दोस्तों के साथ आनंद ले सकते हैं, और अपने काम और शौक़ जारी रख सकते हैं।

दर्द अकसर कैंसर के ही कारण होता है। दर्द की मात्रा कैंसर के प्रकार, उसके स्टेज और मरीज़ के दर्द की सीमा पर निर्भर करती है। कैंसर के किसी एडवांस्ड स्टेज (उन्नत चरण) वाले लोगों में दर्द होने की संभावना अधिक होती है, जो हड्डियों, नर्व (तंत्रिकाओं) या शरीर के अंगों पर किसी ट्यूमर के दबाव के कारण हो सकती है। सर्जरी अकसर कैंसर के उपचार का हिस्सा होती है और आमतौर पर दर्द की कुछ मात्रा की अपेक्षा की जा सकती है। सर्जरी के कारण दर्द कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक रह सकता है, जो सर्जरी के प्रकार पर निर्भर करता है।
जब कोई ट्यूमर रीढ़ में फैलता है, तो यह रीढ़ की हड्डी पर दबाव डाल सकता है और स्पाइनल कॉर्ड कम्प्रेशन (रीढ़ की हड्डी के संपीड़न) का कारण बन सकता है। अन्य समय, कैंसर हड्डियों में फैलता है जिससे हड्डियों में दर्द होता है जिसका एक्सटर्नल रेडिएशन (बाहरी विकिरण) के माध्यम से इलाज किया जा सकता है।

कैंसर को डायग्नोज़ करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ टेस्ट्स दर्द का कारण बन सकते हैं और आमतौर पर प्रक्रिया के बाद इससे राहत मिलती है। भले ही जब आपको बताया जाता है कि प्रक्रिया से होने वाले दर्द से बचा नहीं जा सकता है या यह लंबे समय तक नहीं रहता है, तब भी आप ज़रूरत पड़ने पर दर्द की दवा मांग सकते हैं। आपके दर्द का प्रकार उपचार के प्रकार को निर्धारित करता है। नियमित शेड्यूल पर दर्द की दवाइयाँ लेने से क्रॉनिक दर्द को कंट्रोल किया जा सकता है। क्रॉनिक दर्द वाले लोगों को भी ब्रेकथ्रू (चीरने वाला) दर्द हो सकता है जो तीव्रता में अलग-अलग होता है और आमतौर पर इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। यह आम तौर पर उस दर्द के राहत से "चीर निकलता" है जो उन्हें नियमित दर्द की दवा लेने से मिल रहा था।

फैंटम दर्द (आभास दर्द) सर्जरी का एक लंबे समय तक टिकने वाला प्रभाव है, जो सामान्य सर्जिकल दर्द से परे होता है। यदि आपका कोई एक हाथ, पैर, या यहाँ तक कि एक स्तन हटाया गया हो, तो आप फिर भी दर्द या अन्य असामान्य या अप्रिय भावनाओं को महसूस कर सकते हैं जो शरीर के अनुपस्थित (फैंटम/आभास वाले) हिस्से से आती हुईं लगतीं हैं। दर्द के अन्य प्रकार हैं:

  • परिधीय न्यूरोपैथी (परिधीय तंत्रिकाविकृति) (पीएन)। जलन, झुनझुनी, सुन्नता, कमज़ोरी, क्लम्ज़ीनेस (ठीक न लगना), चलने में परेशानी या हाथों और बाजुओं और / या पैरों और पाँवों में असामान्य महसूस होना मुख्य संकेत हैं।
  • परिधीय न्यूरोपैथी कुछ प्रकार की कीमोथेरेपी, विटामिन की कमी, कैंसर और अन्य समस्याओं के कारण नर्व डैमेज (तंत्रिका क्षति) की वजह से होती है।
  • मुंह के छाले (स्टोमटाइटिस या म्यूकोसाइटिस [श्लेष्माशोथ])। कीमोथेरेपी से मुंह और गले में घाव (छाले) और दर्द हो सकते हैं। दर्द से लोगों को खाने, पीने और यहाँ तक कि बात करने में भी परेशानी हो सकती है।
  • रेडिएशन म्यूकोसाइटिस (विकिरण श्लेष्माशोथ) और अन्य रेडिएशन चोटों से त्वचा की जलन, म्यूकोसाइटिस (मुंह के छाले), और निशान पड़ सकते हैं - ये सभी दर्द का कारण बन सकते हैं। गला, आंत और ब्लैडर (मूत्राशय) को भी रेडिएशन इंजरी से ग्रस्त होने का ख़तरा हैं, और यदि इन क्षेत्रों का इलाज किया जाता हैं तो आपको दर्द हो सकता है।

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कैंसर

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MELANOMA

Melanoma is a type of skin cancer. It gets its name from the pigment producing cells of the skin, called melanocyte. Sometimes, these melanocytes get triggered to start replicating very rapidly and erratically and they are termed to have turned cancerous.

What are the causes for Melanoma?

Melanomas are most commonly caused by sun damage- the harmful ultraviolet sun rays damage the DNA of the cells. Melanomas can run in families and tends to be more common in people of Caucasian descent.

How to recognize Melanoma?

The most common way that people recognize melanomas is by seeing changes in a mole. Most melanomas tend to be brown but they can be pink, purple or even white.

It also helps to know some things that you need to keep a watch for

  • Asymmetry in a mole- Moles tend to be uniform in their shape. Any change in their shape would be a warning sign that needs to be checked.
  • Uneven border of a mole- Most moles are quite smooth to touch. But, if the edge feels rough or irregular, then it’s a significant change.
  • Any colour change in a mole is another warning sign and should be examined by a doctor.
  • Any bleeding or itching in a mole should be checked.
  • A sudden increase in the size of the mole is another warning sign.

If you notice any of these signs, a visit to your doctor is called for. Your doctor might recommend a skin biopsy in which a small piece of skin is removed and examined. In case required, a biopsy of lymph nodes, CT scans and other tests might also be advised.

If diagnosed early, most melanomas are easily cured by surgery which involves removing the affected part of the skin. If the cancer is more advanced, the surgery might also involve removing the lymph nodes in the surrounding area. In case of the cancer having spread to other parts of the body, immunotherapy or chemotherapy might be recommended. Immunotherapy involves energizing the body’s own immune system to fight the cancer. In chemotherapy, strong drugs are used to destroy the cancer causing cells.

Can I prevent Melanoma?

  • The commonest cause of melanomas is excess sun exposure. So, a few precautions, like using sunscreen with an SPF of 20-30 and a four or five star UVA protection can help. Reapplying sunscreen every 2-3 hours is also important.  Also, avoiding prolonged exposure to the sun, especially between 11 am and 3 pm, can actually help in preventing melanoma. It’s also advisable to avoid tanning rooms as these are also damaging.
  • Self-monitoring of moles can also help. By keeping the warnings signs in mind, any change in a mole can be checked immediately.

Just a few precautions and timely detection can help in keeping a check on melanomas.

 We strongly recommend that you consult your doctor before starting any treatment regime.

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