अपने बच्चे के साथ इन्वॉल्वमेंट (सहभागिता) महत्वपूर्ण होती है। एक प्रारंभिक शुरुआत से अपने बच्चे के साथ एक बॉन्ड बनाने और एक क़रीबी रिश्ता विकसित करने के कुछ तरीक़े होते हैं। सही रास्ते पर शुरू करें, अपने शिशु के साथ समय बिताने की प्रतिबद्धता दिखाएं, और रिलैक्स करें; आप एक बढ़िया पिता बनने जा रहे हैं।
शिशु के आने से पहले:
अपने साथी के साथ प्रसवपूर्व कक्षाओं में भाग लें और अपने स्वयं के कुछ शोध करें।
शिशु के आने पर उन्हें आपकी आवाज़ का पता चल सकेगा जो उनके एक बार आ जाने के बाद उन्हें आराम देने में मदद करेगा।
जो भी आपकी मदद करता है, हर एक उस शख्स का धन्यवाद अदा करें, चाहे उन्होंने मदद ऑफर की हो या उनसे आपको पूछना पड़े।
बम्प के बारे में जानें! शिशु के आने से पहले ही, अपने साथी के बम्प को पढ़कर सुनाना, गाना और उससे बातें करना, उन्हें आपकी आवाज़ से अवगत कराएगा जो उनके एक बार आ जाने के बाद उन्हें आराम देने में मदद करेगा।
एक बार शिशु के आ जाने पर:
शिशु को छूने से पहले अपने हाथ धोएं या हैंड रब का इस्तेमाल करें।
कुछ भोजन बनाकर, अपने साथी का यथासंभव सहयोग करने का प्रयास करें।
स्तनपान कराते समय अपने साथी का सहयोग करें।
यह सुनिश्चित करें कि आप शिशु के साथ त्वचा से त्वचा के संपर्क में बहुत आए।
स्तनपान कराने के महत्व को जानना चाहिए।
अपने साथी को डरावने सपनों और रात के भय से बाहर आने के लिए सपोर्ट करें।
बेबी केयर :
शिशु को भूख लगने के इशारों को जानें: उंगलियों पर चबाना, होंठों को चटकारना, स्तन के लिए आग्रह करना, रोना।
शिशु के साथ बातें करें, गाएं और खेलें।
कॉर्ड और / या खतना को साफ़ और सूखा रखें।
स्तनपान की समस्याओं के साथ लैक्टेशन कंसल्टेंट (स्तनपान सलाहकार) को कॉल करें।
एक शिशु सीपीआर / फर्स्ट एड (प्राथमिक चिकित्सा) क्लास लें।
एक फ्रस्टेशन एक्शन प्लान (कुंठा कार्रवाई योजना) पास रखें।
अच्छी तरह से शिशु की चेक-अप अपॉइंटमेंट पर जाएं।
आप और आपका साथी नींद से वंचित रह जाएंगे। शिफ्ट में सोएं।
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Little travelers need a surprising amount of stuff!
Here is a checklist of items that make traveling much easier.
पैकिंग चेकलिस्ट:
डायपर (देरी के लिए एक्स्ट्रा कैरी करें।)
पैड / रबर शीट (डायपर बदलने के दौरान अपने शिशु के नीचे रखने के लिए।)
कंबल 1 या 2 (अपने शिशु को कवर करें और ख़ुद को कवर करें।)
प्लास्टिक बैग (गंदे डायपर, कपड़े और कंबलों को स्टोर करने के लिए कई प्रकार के आकार के कैरी करें।)
डायपर रैश क्रीम।
वाइप्स (पोंछे)।
सैनिटाइज़र, बेबी वॉश और बेबी लोशन।
टिश्यू।
आपके शिशु के कुछ पसंदीदा खिलौने।
कपड़े, मोजे, और जूतियाँ या जूते (प्रति दिन एक से दो पोशाकें एक अच्छा दिशानिर्देश है।)
धोने योग्य बिब्स।
सन हैट (धूप की टोपी।)
हलके वज़न वाला प्लास्टिक का बर्तनों सहित एक फीडिंग सेट, और बेबी फूड (शिशु का खाना) यदि आपका शिशु ठोस आहार खा रहा है।
स्टरलाइज़र (यदि 1 दिन से अधिक बाहर रहना हो।)
यदि उपयुक्त हो, तो फार्मूला, पानी और जूस।
यदि उपयुक्त हो, तो अतिरिक्त बोतलें, निप्पल और सिप्पी कप।
आपके द्वारा चबाने के लिए ऊर्जा बढ़ाने वाले स्नैक्स।
ब्रेस्ट पंप (यदि आप उपयोग करतीं हो।)
नाईट-लाइट (रात की रोशनी) (ताकि आप मध्य-रात्रि डायपर बदलने के दौरान कमरे की रोशनी को राहत भरी कम रख सकें।)
फर्स्ट एड किट (प्राथमिक चिकित्सा किट) (जिसमें शामिल हो शिशु को दर्द से राहत देनेवाली गोली और मामूली चोट, बुखार आदि का इलाज करने के लिए आपूर्तियाँ।)
स्लिंग या फ्रंट कैरियर।
पोर्टेबल क्रिब (पालना) या प्ले यार्ड - आपके शिशु के सोने या खेलने के लिए एक सुरक्षित स्थान।
इन्फ्लेटेबल बेबी बाथ-टब (अपने डेस्टिनेशन [गंतव्य] पर स्नान के समय को आसान बना सकता है।)
कार या विमान से सुरक्षित यात्रा के लिए कार सीट।
कोलैप्सिबल स्ट्रोलर (बंधनेवाला स्ट्रोलर) (यदि आप इसका उपयोग कर रहीं हैं।)
तैयारी की तकनीकें:
यात्रा करने से कुछ दिन पहले पैक करने की तैयारी शुरू करें। साथ ले जानेवाली चीज़ों की एक रनिंग लिस्ट (सूची) बनाए, या उन चीज़ों को टेबल या ड्रेसर पर रखतीं जाए जैसे-जैसे आप वे चीज़ें याद आए।
अपने शिशु के आउटफिट (कपड़ों) में से प्रत्येक को अपने स्वयं के ज़िप वाले प्लास्टिक बैग में पैक करें ताकि आपको छोटे मोजे, शर्ट आदि की तलाश न करनी पड़े।
यदि आपको कुछ सवाल आए जब आप सड़क पर हों, तो आपके शिशु के हेल्थकेयर प्रोवाइडर (स्वास्थ्य सेवा प्रदाता) का फ़ोन नंबर लें।
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मुख्य अंतर: बेबी प्रैम और स्ट्रोलर, पहिएदार उपकरण हैं जिनका उपयोग बच्चों को कैरी करने के लिए किया जाता है। एक बेबी प्रैम एक क्रैडल (पालने) की तरह होता है जिसमें शिशु लेट सकते हैं, जबकि एक स्ट्रोलर एक कुर्सी की तरह होता है जिसमें शिशु सीधे बैठ सकते हैं।
रॉकर:
एक बाउंसर जन्म से लेकर 6 महीने तक के लिए उपयुक्त एक सीट है जो रॉक नहीं करता है (अर्थात् झूलता नहीं है), लेकिन वह थोड़ा फ्लेक्सिबल होता है ताकि यह थोड़ा हिल सके, जब आप इसे धक्का दें या जब आपके शिशु के बड़े/बड़ी होने पर वह लात मारे। एक बाउंसर में आमतौर पर खिलौने और रोशनी के साथ एक बार होता है, और कुछ में आपके शिशु को शांत करने में मदद करने के लिए संगीत और वाइब्रेटिंग (कंपन) विकल्प होते हैं।
बाइंग टिप्स (खरीददारी की युक्तियाँ):
आधुनिक ग्लाइडर अधिक जगह लेते हैं, लेकिन वे आरामदायक कुशन के साथ आते हैं। एक ऑटोमन जोड़ें ताकि आपके पास थके हुए पैरों को रेस्ट करने के लिए एक जगह हो।
जब आप खरीदारी करतीं हैं, तो प्रत्येक रॉकर या ग्लाइडर को एक टेस्ट राइड (परीक्षण सवारी) दें। वे सुचारु रूप से और चुपचाप चलने चाहिए। आप अपने सोते हुए शिशु को आवाज़ों और दरारों की जुगलबंदी से नहीं जगाना चाहेंगी।
सीट आपके और आपके बढ़ते बच्चे को आराम से फिट करने के लिए काफ़ी बड़ी होनी चाहिए।
यह सुनिश्चित करें कि हेडरेस्ट पर्याप्त उच्च है ताकि आप इसके खिलाफ पीछे झुक सकें। आप देर रात के थका देनेवाली फीडिंग के दौरान उस सुविधा की सराहना करेंगे।
एक आसानी से धोने वाला कपड़ा चुनें। आप इसे शिशु के थूकने और गिराने के बाद साफ़ करना चाहेंगी।
ऐसा रंग चुनें जो शिशु को शांत करने में मदद करें। नीले या हरे रंग अच्छे विकल्प हैं।
स्ट्रोली :
एक शिशु को घुमाने के लिए एक वाहन जिसमें चार पहियों पर एक फ्रेम द्वारा समर्थित एक छोटा बिस्तर शामिल है।
बाइंग टिप्स (खरीददारी की युक्तियाँ):
शिशु को सुरक्षित रखने के लिए, ऐसे एक टी-आकार के बकल की तलाश करें जो आपके शिशु की कमर के चारों ओर जा सके और पैरों के बीच स्ट्रैप हो सके।
स्ट्रोलर के पिछले पहियों पर ब्रेक होने चाहिए और सामने के पहिये लॉक वाले होने चाहिए।
दो जनों के लिए कोई स्ट्रोलर खरीदते समय, टैंडम मॉडल (अग्रानुक्रम मॉडल) (जहाँ एक शिशु दूसरे के सामने बैठता है) साइड-बाय-साइड की तुलना में हिलाने-डुलाने में आसान होते हैं।
स्ट्रोलर सीट को आपके नवजात के लिए पूरी तरह से पीछे जानी चाहिए, और जैसे-जैसे आपका शिशु बढ़ता है यह एक सीट के तौर पर वापस एडजस्ट हो जानी चाहिए।
प्रैम:
एक प्रैम को नवजात शिशुओं और छोटी उम्र वाले शिशुओं को कैरी करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, आमतौर पर जब वे लेटे होते हैं। यह मज़बूत होता है और आमतौर पर फ्लैट फोल्ड नहीं किया जा सकता है। एक स्ट्रोलर हल्के वज़न वाला और कोलैप्सिबल (बंधनेवाला) होता है, जो बड़ी उम्र वाले शिशुओं के लिए आदर्श है। एक बग्गी (छोटी गाड़ी) एक पुशचेयर या एक स्ट्रोलर हो सकती है, जो इस पर निर्भर करता है कि यह आप किससे पूछ रहें हैं!
बाइंग टिप्स (खरीददारी की युक्तियाँ):
यदि आपको हमेशा कहीं जाना होता हैं, तो हल्के वज़न वाला एक छाते वाला स्ट्रोलर खरीदें। बस यह सुनिश्चित करें कि यह पूरी तरह से पीछे जाता हो।
अपने सभी बेबी गियर (शिशु संबंधी वस्तुओं) को रखने के लिए जगह चाहिए? एक फुल-साइज़ वाला स्ट्रोलर आपको अधिक स्टोरेज रूम (भंडारण कक्ष) देगा।
एक वाइड व्हील बेस (व्यापक पहिया आधार) के साथ, यह सॉलिड (ठोस) होना चाहिए। जब आप हैंडल पर हल्के से धक्का देते हैं, तो वह पीछे की तरफ नहीं सरकना चाहिए।
यह सुनिश्चित करें कि आप स्ट्रोलर को एक हाथ से आसानी से खोल सकते हैं। आप अपने दूसरे हाथ में बच्चे को पकड़े हुए उसके साथ कुश्ती नहीं करना चाहेंगी।
शिशु को सुरक्षित रखने के लिए, ऐसे एक टी-आकार के बकल की तलाश करें जो आपके शिशु की कमर के चारों ओर जा सके और पैरों के बीच स्ट्रैप हो सके।
दो जनों के लिए कोई स्ट्रोलर खरीदते समय, टैंडम मॉडल (अग्रानुक्रम मॉडल) (जहाँ एक शिशु दूसरे के सामने बैठता है) साइड-बाय-साइड की तुलना में हिलाने-डुलाने में आसान होते हैं।
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हम सभी को किसी शिशु को कडल करना और होल्ड करना (अर्थात् पकड़ना) बहुत पसंद है। लेकिन हम में से अधिकांश को यह संदेह होता है कि एक छोटे शिशु को कैसे पकड़ा जाए। नीचे कुछ स्टेप्स दिए गए हैं जो किसी नवजात को संभालने की प्रक्रिया को काफ़ी आसान और सुरक्षित बना सकते हैं:
चरण 1अपने हाथ धोएं - हमेशा सुनिश्चित करें कि अपने शिशु को उठाने से पहले आपके हाथ साफ़ हों। शिशु का इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) अभी भी विकसित हो रहा है, इसलिए आपके द्वारा कैरी किए जानेवाले कोई भी कीटाणु उन्हें बीमार कर सकते हैं। भले साबुन और गुनगुने पानी से झागदार हाथ धोना अच्छी तरह से काम करता है, ऐसे मेहमानों के लिए एक हैंड सैनिटाइज़र भी पास रखने पर विचार करें, जो आपके छोटेवाले/छोटीवाली को कडल करना चाहते हैं। अपने शिशु को पकड़ने से पहले हर बार अपने हाथ साफ़ करें।
चरण 2आरामदायक हो जाए - आराम/सहजता आपके शिशु को पकड़ने में सबसे महत्वपूर्ण चीज़ों में से एक है। न केवल आप शारीरिक रूप से सहज महसूस करना चाहते हैं, बल्कि आप अपनी पकड़ में भी आत्मविश्वास महसूस करना चाहते हैं।
चरण 3सहारा दें - किसी नवजात को पकड़ते समय, सिर और गर्दन को सपोर्ट करने के लिए हमेशा एक हाथ का सहारा देना बहुत महत्वपूर्ण होता है। आखिरकार, आपके शिशु का सिर जन्म के समय उसके शरीर का सबसे भारी हिस्सा होता है। शिशु के फॉन्टेनेल पर विशेष ध्यान दें, जो उसके सिर के शीर्ष पर नरम स्थान होते हैं।
नवजातों में ऐसे क्रिटिकल नेक मसल कंट्रोल (गर्दन की मांसपेशियों के महत्वपूर्ण नियंत्रण) की कमी होती है जिससे उनके सिर को अपने आप ही सपोर्ट मिल सके। यह मील का पत्थर आमतौर पर चार महीने के क़रीब आने तक प्राप्त नहीं होता है।
चरण 4अपनी मुद्रा चुनें - शिशु को पकड़ने की शुरुआत उसको उठाने से होती है। जब आप अपने शिशु को उठाने जाते हैं, तो एक हाथ उनके सिर के नीचे और दूसरा उनके नीचे रखें। वहाँ से, उनके शरीर को अपनी छाती के स्तर तक लाएं। जब तक आप शिशु के सिर और गर्दन को सहारा दे रहें हैं, मुद्रा कैसी हो यह आप पर है। ऐसे कई होल्ड (पकड़) हैं जिनका आप और आपका शिशु आनंद ले सकते हैं। इनमें से कुछ मुद्राएँ स्तनपान कराने या डकार दिलाने के लिए भी बढ़िया होतीं हैं। विभिन्न मुद्राएँ इस प्रकार हैं:
क्रैडल होल्ड (पालना पकड़)
जीवन के पहले कई सप्ताहों के लिए अपने नवजात को पकड़ने के लिए क्रैडल होल्ड सबसे आसान और सर्वोत्तम तरीक़ों में से एक है:
अपने शिशु को अपनी छाती के स्तर पर हॉरिज़ॉन्टल (आड़ा) रखकर, उनकी गर्दन को सहारा देने के लिए अपने हाथ को उनके नीचे से ऊपर स्लाइड करें।
अपनी कोहनी के बेंड में शिशु के सिर को कोमलतापूर्वक घुसाएँ।
उनके सिर को क्रैडल करते (अर्थात् प्यार से पकड़ते) हुए, सपोर्ट करनेवाली बाज़ू से अपने हाथ को उनके नीचे की ओर ले जाएं।
आपका ख़ाली हाथ अन्य काम या अतिरिक्त सपोर्ट प्रदान कर पाएगा।
शोल्डर होल्ड (कंधा पकड़)
शिशु का शरीर आपके शरीर के पैरेलल (समानांतर) रखकर, उनके सिर को कंधे की ऊँचाई तक उठाएँ।
अपने सीने और कंधे पर उनके सिर को रेस्ट कराएं ताकि वे आपके पीछे देख सकें।
उनके सिर और गर्दन पर एक हाथ रखें, और आपके दूसरे हाथ को शिशु के निचले हिस्से को सपोर्ट देने के लिए रखें। यह मुद्रा शिशु को आपके दिल की धड़कन सुनने में भी मदद कर सकती है।
बेली होल्ड (पेट पकड़)
अपने शिशु को पेट के बल लेटाएं, फोरआर्म (अग्र बाहु) पर, और उसका सिर आपकी कोहनी की तरफ ऊपर हो।
उनके पैर आपके हाथ के दोनों साइड लैंड करने चाहिए, और हाथ ज़मीन के करीब झुका होना चाहिए ताकि शिशु एक ज़रा से एंगल (कोण) पर हो।
यह मुद्रा सहायक होती है अगर शिशु को गैस है और उसे डकारने की ज़रूरत है। गैस बाहर निकालने के लिए कोमलतापूर्वक शिशु की पीठ थपथपाएं।
लैप होल्ड (गोद पकड़)
अपने पैरों को ज़मीन पर मज़बूती से टिकाकर, किसी कुर्सी पर बैठें और अपने शिशु को अपनी गोद में रखें। उनका सिर आपके घुटनों पर, व चेहरा ऊपर की ओर होना चाहिए।
सपोर्ट के लिए अपने दोनों हाथों से उनके सिर को ऊपर उठाएं और उनके शरीर के नीचे अपने फोरआर्म हों। शिशु के पैर आपकी कमर पर टक-इन होने चाहिए।
क्या करें:
शिशु को पकड़ते समय कोशिश करें कि त्वचा का त्वचा से संपर्क हो। यह बॉन्ड करने और उन्हें गर्म रखने का एक शानदार तरीक़ा है। आप शिशु को उनके डायपर तक नंगा कर, उन्हें अपने खुले सीने पर रख सकते हैं, और एक कंबल के साथ कवर कर सकते हैं।
यदि आप शिशु को पकड़ने के बारे में घबराहट महसूस करते हैं, तो एक बैठी हुई मुद्रा चुनें। नीचे बैठना किसी के लिए भी एक अच्छा विचार है, जिसमें शिशु के वज़न को सपोर्ट करने की ताकत नहीं हो सकती है, जैसे बच्चे और बुज़ुर्ग व्यक्ति।
बिना हाथों के पकड़ने के लिए एक बेबी कैरियर (शिशु वाहक) का उपयोग करें। कैरियर की पैकेजिंग पर दिए सभी निर्देशों का पालन करें। यह उम्र-उपयुक्त पकड़ और मुद्राओं का सुझाव देता है।
जब शिशु को विस्तारित अवधियों के लिए पकड़ना हो या स्तनपान कराने में मदद करनी हो, तो शिशु को सहारा देनेवाले तकिए का प्रयोग करें।
अतिरिक्त सुरक्षा के लिए, अपने शिशु को दोनों हाथों से पकड़ें जब आप सीढ़ियों से ऊपर और नीचे जा रहे हों।
क्या न करें:
शिशु को पकड़ते समय खाना न पकाएँ नहीं या गर्म ड्रिंक्स (पेय) कैरी न करें। चाकू, आग और अतिरिक्त गर्मी ख़तरनाक होती हैं और दुर्घटना से चोट लग सकती है। उन लोगों से दूर रहें जो आपके पास ऐसी चीज़ों के साथ काम कर रहे हैं।
कभी भी अपने शिशु को शेक न करें (अर्थात् हिलाएं नहीं), चाहे खेलने के लिए या फ्रस्टेशन (कुंठा) व्यक्त करने के लिए। ऐसा करने से मस्तिष्क में ब्लीडिंग (रक्तस्राव) हो सकती है और मृत्यु भी हो सकती है।
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त्वचा को चिकना करने के लिए शिशु को बॉडी मसाज (शरीर की मालिश) दिया जाता है, जिससे शिशु को ताज़गी महसूस होती है, वह रिलैक्स होता है और ब्लड सर्कुलेशन (रक्त परिसंचरण) में सुधार होता है।
आप स्नान के बाद या स्नान से पहले बॉडी मसाज कर सकतीं हैं। माँ की अनुमति के अनुसार, आप तेल या बेबी बॉडी लोशन का उपयोग कर सकतीं हैं।
आवश्यक चीज़ें:
रबर या प्लास्टिक की चादर/शीट।
बेबी बॉडी लोशन या तेल।
लपेटने वाला कपड़ा
प्रक्रिया:
अपने हाथ धो लो
आवश्यक चीज़ों को इकट्ठा करें।
ए/सी या पंखा बंद करें।
बिस्तर या फर्श पर रबर शीट या प्लास्टिक शीट बिछाएं।
Take the oil in bowl, warm the oil if required and check the warmth before applying on Baby
ड्रेस और नैपकिन को निकालकर, शिशु को तैयार करें और शिशु को प्लास्टिक शीट पर रखें।
फॉलो किए जानेवाले स्टेप्स:
पाँव,
पिंडलियाँ (काफ),
जांघें,
छाती,
पेट,
दोनों हाथ,
चेहरा,
पीठ।
पाँव: तेल या लोशन लें, पैर के तलवे पर लगाएं और अपनी अंगूठे के ज़रिए एड़ी से लेकर पैर की उंगलियों की ओर, कम से कम 5 बार मालिश करें, फिर 5 बार पैर की उंगलियों को फैलाएं।
इसके बाद, अपने अंगूठों का उपयोग करके, टखने के दोनों जोड़ों की पाँच बार मालिश करें।
पिंडलियाँ (काफ): पिंडलियों की मालिश दो प्रकार की होती है।
स्वीडिश मिल्किंग–
स्वीडिश मिल्किंग: पहले पाँवों पर तेल या लोशन लगाएं, फिर टखने के जोड़ से लेकर घुटने के जोड़ तक 5 बार (दोनों तरफ) मालिश शुरू करें; फिर, घुटने के जोड़ से ग्रॉइन एरिया (उरुसंधि क्षेत्र) तक 5 बार (दोनों तरफ)।
भारतीय मिल्किंग– (Prefer to give type 1, If the mother ask for type 2 then u can also give type 2 massage.)
भारतीय मिल्किंग: मसाज ग्रॉइन एरिया (उरुसंधि क्षेत्र) से शुरू होता हुआ पैरों की ओर जाता है। (यह केवल वैकल्पिक है यदि माँ पूछे तो।)
छाती:तेल या लोशन लें, छाती के ऊपर से लेकर कंधे तक लगाएँ और नीचे से ऊपर और भीतर से बाहर की साइड 5 बार मालिश करें (जैसे छाती को चौड़ा करना हो)
इसके बाद, अपने हाथों को बाएं से दाएं और दाएं से बाएं तरफ क्रॉस तरीक़े से घुमाएं।
एब्डोमेन (उदर): एब्डोमेन के ऊपर तेल या लोशन लगाएं और ऊपर से नीचे की ओर 5 बार मालिश करें, फिर घुमावदार गति से। (हमेशा एब्डोमिनल मसाज [पेट की मालिश] को अम्बिलिकल कॉर्ड [गर्भ नाल] को छूए बिना क्लॉकवाइज़ [दक्षिणावर्त] तरीक़े से करना चाहिए)।
हाथ: स्वीडिश मिल्किंग भारतीय मिल्किंग की तुलना में दोनों हाथों और पैरों के लिए बेहतर है। यदि आप हाथों और पैरों के लिए भारतीय मिल्किंग करते हैं, तो स्वीडिश मालिश से समाप्त करें।
चेहरा: अंगूठे का उपयोग करके घुमावदार गति से कोमलतापूर्वक गाल की मालिश करें, फिर माथे की। (चेहरे की मालिश अनिवार्य नहीं है)
पीठ: तेल लगाकर ऊपर से नीचे की ओर पाँच बार मालिश करें, फिर एक तरफ से दूसरी तरफ पाँच बार मालिश करें।
बटक्स (नितंब): नितंबों की नीचे से ऊपर तक 5 बार मालिश करें।
मालिश पूरी करने के बाद, शिशु को धीरे-धीरे टर्न करें, शिशु को चादर/शीट पर रखें, और शिशु को लपेटने वाले कपड़े में लपेटें।
चीज़ों को उचित स्थान पर रिप्लेस करें।
क्या करें:
हमेशा हाथ और पैर की मालिश हृदय की ओर की जानी चाहिए।
हमेशा एब्डोमिनल मसाज (पेट की मालिश) केवल क्लॉकवाइज़ (दक्षिणावर्त) की जानी चाहिए।
क्या न करें:
3 महीने से कम उम्र के शिशुओं को टर्न न करें,
सिर की मालिश न करें,
सिर और चेहरे पर तेल न लगाएं (गालों और माथे को छोड़कर)
बेबी बाथ (शिशु की स्नान)
एक नवजात को हर रोज़ स्नान कराने की आवश्यकता नहीं है। वास्तव में, शिशु को सप्ताह में कई बार से अधिक नहलाना उसकी त्वचा को सुखा सकता है।
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कब स्नान कराते हैं और यह सुनिश्चित करें कि खिलाने-पिलाने के तुरंत बाद न कराएं।
आवश्यक चीज़ें:
बाथ टब
2 कॉटन बॉल (कपास की गेंदों) सहित एक कटोरा - आँखों को साफ़ करने के लिए
बॉडी वॉश (साबुन/शैंपू)
बड़ा तौलिया
लपेटने वाला कपड़ा
कॉर्ड केयर (नाल देखभाल) के लिए अल्कोहल स्वैब
बेबी ड्रेस, नैपकिन या डायपर
कचरे का डिब्बा
नाखून काटने के लिए नेल कटर वाली कैंची
प्रक्रिया:
अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं।
आवश्यक चीज़ों को इकट्ठा करें।
एक टब में 2 से 3 इंच तक गर्म पानी और ठंडा पानी डालें और कोहनी से पानी का तापमान जाँचें।
शिशु के कपड़े निकालें और वेट वाइप्स (गीले पोंछें) का उपयोग करके डायपर की जगह को ऊपर से नीचे तक साफ़ करें। (शिशु ने पेशाब या शौच किया या नहीं यह चेक करें)
फॉलो किए जानेवाले स्टेप्स::
दोनों आँखों को कॉटन बॉल के ज़रिए इनर कैंटस से बाहरी कैंटस तक साफ़ पानी से साफ़ करें।
इसके बाद, गर्म पानी से चेहरा साफ़ करें। याद रखें, चेहरे पर साबुन न लगाएं और आँखों को न छूए।
बालों को पानी से गीला करें और शैम्पू लगाएं, फिर बालों को कोमलतापूर्वक साफ़ करें।
ताज़ा गुनगुना पानी सिर पर डालें।
इसे बाद, शरीर के सामने वाले हिस्से को गीला करें और शैम्पू लगाएं, फिर कोमलतापूर्वक साफ़ करें; हाथ, गर्दन, ग्रॉइन (उरुसंधि), अंगुलियों के बीच के भाग और फोल्डिंग हिस्सों जैसी जगहों पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है। (याद रखें, अम्बिलिकल कॉर्ड [गर्भ नाल] को न छूएं)।
फिर, शिशु को धीरे-धीरे टर्न करें और शिशु की पीठ को नहलाएं।
पूरे शरीर पर ताज़ा गुनगुना पानी डालें और शिशु को तौलिया में रख दें।
शिशु का चेहरा पहले सुखाएं, फिर सिर और आख़िर में शरीर।
हाथ, कान के पीछे, गर्दन, ग्रॉइन (उरुसंधि), उंगलियों के बीच के भाग, डायपर की जगह, फोल्डिंग हिस्सों और पैर की उंगलियों के बीच जैसी जगहों को सुखाते समय अधिक ध्यान देना चाहिए।.
अम्बिलिकल कॉर्ड [गर्भ नाल] को अल्कोहल स्वैब से साफ़ करें।
शिशु को ड्रेस करें और नैपकिन या डायपर पहनाएं और लपेटने वाले कपड़े का उपयोग करके बच्चे को लपेटें।
अपने हाथ धोएं।
आखिरकार, आप उसे खिला-पिला सकते हैं।
डायपर कैसे पहनाएं
एक डायपर या एक नैपी (लंगोट) एक प्रकार का अंडरवियर होता है, जो बाहरी कपड़ों या बाहरी वातावरण के गंदे होने को प्रिवेंट करने के लिए वेस्ट प्रोडक्ट्स (अपशिष्ट उत्पादों) को अब्ज़ॉर्ब (अवशोषित) करके या रोककर, पहनने वाले को बिना किसी टॉयलेट का इस्तेमाल किए, शौच करने या पेशाब करने की अनुमति देता है। जब डायपर गंदे हो जाते हैं, तो उन्हें बदलने की आवश्यकता होती है, आमतौर पर माता-पिता या देखभालकर्ता जैसे किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा। पर्याप्त रूप से नियमित तौर पर डायपर बदलने में विफलता के परिणामस्वरूप डायपर द्वारा कवर हुई जगह के आसपास, त्वचा की समस्याएँ पैदा हो सकतीं हैं।
डायपर पहनने के लिए फॉलो किए जानेवाले स्टेप्स:
अपने शिशु को उसकी पीठ पर लेटाएं। डायपर तक पहुँच को बाधित करने वाले किसी भी कपड़े को निकाल दें। इस उम्र में, रोमपर्स लोकप्रिय कपड़े के आइटम हैं; उनमें डायपर तक आसन पहुँच के लिए स्नैप्स होते हैं।
गंदे डायपर को निकाल दें। डिस्पोज़ेबल (इस्तेमाल के बाद फेंक दिए जानेवाले) डायपरों के लिए, स्टिकी टैब्स को ऊपर खींचें। रीयूज़ेबल (पुन: प्रयोज्य) कपड़े के डायपर के लिए, अपने शिशु की कमर के चारों ओर से डायपर कवर और स्नैप्स या वेल्क्रो को निकाल दें।
अपने शिशु को कोमलतापूर्वक उठाएं, ताकि आप उसके नीचे से डायपर को बाहर निकाल सकें।
अपने शिशु के डायपर की जगह को साफ़ करने के लिए वाइप्स का उपयोग करें। इन्फेक्शन (संक्रमण) से बचने के लिए, हमेशा आगे से पीछे की ओर पोंछें, खासकर लड़कियों के लिए।
यदि वह जगह लाल या सूजी हुई है, तो इसे डायपर मरहम के ज़रिए राहत दें।
एक ताज़ा डायपर पहनाने से पहले, अपने शिशु की त्वचा के सूखने की प्रतीक्षा करें।
एक ताज़ा डायपर लें और इसे अपने शिशु के नीचे रखें। सामने वाले हिस्से को अपने शिशु के पेट पर ऊपर लाएं और उसकी कमर पर डायपर को बाँधने के लिए टैब्स को जकड़ें।
नए डायपर पर पहनाए जानेवाले कपड़ों को रिप्लेस कर दें।
डायपर रैश को कैसे प्रिवेंट करें
डायपर रैश को प्रिवेंट करने के लिए ये सावधानियाँ बरतें। यदि आपको संदेह है कि कोई डायपर रैश इन्फेक्टेड (संक्रमित) हो रहा है, तो हमेशा डॉक्टर को कॉल करें।
अपने शिशु के डायपर को अकसर (हर दो घंटे में) जाँचें और इसे तुरंत बदलें।
बदलने के दौरान अपने शिशु के डायपर की जगह को अच्छी तरह से साफ़ करें।
अपने शिशु के डायपर की जगह पर सुगंधित वाइप्स (पोंछे) या साबुन का उपयोग न करें।
आपके शिशु को स्नान के बाद सुखाने के दौरान, शिशु के निचले हिस्से को थपथपाएं, रगड़ें नहीं।
प्लास्टिक पैंट से बचें और स्किन मार्क्स (त्वचा के निशानों) पर नज़र रखें, जो इंगित करता है कि डायपर बहुत टाइट है।
नैपी रैश से निपटना
शिशु के निचले हिस्से पर लाल पैच हो सकते हैं, या पूरा क्षेत्र लाल हो सकता है। त्वचा सूजी हुई दिख सकती है और छूने में गर्म महसूस हो सकती है, और धब्बे, पिम्पल (फुंसी) या फफोले हो सकते हैं।
नैपी रैश निम्न की वजह से हो सकता है:
मूत्र या मल के साथ लंबे समय तक संपर्क
संवेदनशील त्वचा
घिसना या रगड़ना
साबुन, डिटर्जेंट या बबल बाथ
बेबी वाइप्स
डायरिया (दस्त) या अन्य बीमारी
ये सरल स्टेप्स सहायता करेंगे:
जितनी जल्दी हो सके गीले या गंदे नैपी बदलें। छोटे शिशुओं के लिए दिन में 10 या 12 बार बदलने की आवश्यकता पड़ती हैं; उम्र में थोड़े बड़े शिशुओं के लिए कम से कम छह से आठ बार।
हमेशा नैपी (लंगोटों) की एक अच्छी आपूर्ति पास रखें।
गीले वाइप्स (पोंछे) या साबुन आदि के प्रति किसी भी एलर्जी के लिए नज़र रखें।
यदि आप डायपर की जगह पर रेडनेस (लालिमा) पाते हैं, तो डायपर का उपयोग करने से बचें और उस जगह को हमेशा सूखा रखें।
डॉक्टर की सलाह के अनुसार डायपर रैश क्रीम का उपयोग करें।
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बेबी प्रूफिंग बच्चों के लिए किसी पर्यावरण या वस्तु को सुरक्षित बनाने का कार्य है।
खिलौनों के लिए सेफ्टी टिप्स (सुरक्षा युक्तियाँ)
वॉकर: उनसे बचें, क्योंकि उनसे सिर की चोट लगने की उच्च संभावनाएँ जुड़ी होतीं हैं।
चोकिंग खतरा: 3 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए छोटे खिलौने या एक रुपये के सिक्के से कम डिटैचेबल (वियोज्य) भागों वाले खिलौने न खरीदें। कभी भी छोटे बच्चों को छोटे बॉल (गेंद), बलून (गुब्बारा) न दें - क्योंकि कोई शिशु उन्हें निगल सकता है या उनसे खेलते समय ख़ुद को चोक कर सकता है।
मैग्नेटिक खिलौने: छह साल से कम उम्र के बच्चों से शक्तिशाली मैग्नेट वाले मैग्नेटिक खिलौने दूर रखें।
टॉक्सिक केमिकल (विषाक्त रसायन): पीवीसी प्लास्टिक से बने खिलौनों से बचें और लेड (सीसा) से पेंट किए हुए लकड़ी के खिलौनों से बचें; एक लकड़ी का खिलौना खरीदते समय, विशेष रूप से यह पूछें कि क्या उसके पेंट में लेड है या नहीं।
शोर: बच्चों के कान सेंसिटिव (संवेदनशील) होते हैं। यदि किसी खिलौना की आवाज़ आपके कान के लिए ज़ोरदार की है, तो यह संभवतः आपके बच्चे के लिए बहुत तेज़ है।
स्ट्रैंगुलेशन हैज़र्ड (दम घुटने का ख़तरा): स्ट्रिंग, प्लास्टिक बैग और रस्सियाँ आपके बच्चे के गले में उलझ सकती हैं।
घर के आसपास
फिसलने से रोकने के लिए, रबर मैट लगाएं। फर्नीचर स्थिर है या नहीं इसकी जाँच करें। भारी वस्तु जैसे किताबें, इलेक्ट्रिकल सामान, सिक्के, घर की चीज़ें आदि सुरक्षित स्थान पर रखें। घर को साफ़ रखें; इससे इन्फेक्शन (संक्रमण) से बचाव होता है।
किचन (रसोईघर) में, निचली अलमारी में ग़ैर-टूटने योग्य चीज़ें और प्लास्टिक की चीज़ें रखें। धारदार सामान जैसे चाकू, कैंची आदि ऊपरी अलमारी में रखें। जगह को साफ़ रखें। शिशु को रसोई के अंदर न आने दें। किचन का दरवाज़ा हमेशा बंद रखें।
बाथरूम में, सभी ब्यूटी प्रोडक्ट्स, फर्श क्लीनर, साबुन पाउडर, टॉयलेट क्लीनर, साबुन, शैम्पू आदि जैसे क्लीनिंग प्रोडक्ट्स (सफ़ाई के उत्पाद) एक लॉक करने योग्य अलमारी में रखें, जहाँ शिशु का हाथ नहीं पहुँचता हो। अपने बाथरूम को साफ़ रखें। बाथरूम का दरवाज़ा हमेशा बंद रखें।
सुरक्षा और अनुशासन
लगभग 9 महीने के आसपास, आपका शिशु स्वाभाविक रूप से जिज्ञासु होगा और जल्दी-जल्दी हलचलें करेगा। जब आप अपने बच्चे को किसी बुरी स्थिति से गुज़रता हुआ देखता है, तो उसे उस स्थिति से हटा दें और दृढ़तापूवर्क 'ना' कहें। वह अभी तक अपने माता-पिता को विकसित रूप से समझ नहीं पा सकता हो और उस कृत्य को दोहरा सकता है। यह कोई अवज्ञा नहीं है; केवल प्राकृतिक जिज्ञासा और एक्सप्लोरेशन (अन्वेषण) है। अपने बच्चे को पनिश (दंडित) न करें, बल्कि एक सुरक्षित घर प्रदान करके उसकी स्वतंत्रता और एक्सप्लोरेशन को प्रोत्साहित करें।
कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका घर कितना सुरक्षित है, इस उम्र के बच्चों पर लगातार नज़र रखने की आवश्यकता होती है, जब तक कि वे प्लेपेन या किसी क्रिब (पालने) में न हों।
उनके गिरने की आशंका होती है। सीढ़ियों पर फाटकों का उपयोग करें। सभी तेज़ धार वाली वस्तुओं को ज़मीन से हटा दें, जैसे कांच का टेबल और टूटने योग्य वस्तुएँ।
यह सुनिश्चित करें कि क्रिब (पालने) के गद्दे जितने हो सकें नीचे हों। यदि क्रिब रेलिंग बच्चों के छाती के स्तर पर आती है, तो आपके बच्चे के इससे गिरने की संभावना है।
टेबल क्लॉथ का उपयोग न करें, क्योंकि बच्चे अपने आप को ऊपर खींचने के लिए इन्हें पकड़ सकते हैं, बदले में उन पर रखी भारी या गर्म वस्तुओं का गिराते हुए।
दवाओं और जहरीली वस्तुओं जैसे डिटर्जेंट, टॉयलेट क्लीनर आदि को ऊँचे या लॉक किए हुए स्थानों पर रखें।
सभी इलेक्ट्रिकल आउटलेट को कवर करें और उनसे मोबाइल चार्ज आदि को लटका कर न छोड़ें।
स्टोव के किनारे से बर्तनों और स्किलेट (एक फ्राइंग पैन) के हैंडल को दूसरी तरफ़ टर्न करें। उपयोग में नहीं होने पर, गैस सिलेंडर को बंद कर दें।
कभी भी अपने बच्चे को बाथ-टब, पूल या पानी की बाल्टी में अकेला न छोड़ें।
बेबी सेफ्टी [क्रिब या बेड]
एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करना आपके नए शिशु की देखभाल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। शिशुओं को सुरक्षित महसूस करना चाहिए जब वे घर पर हों और जब वे घर से दूर हों। कुछ सरल चीज़ें हैं, जो अपने बेबी को सुरक्षित और कुशल रखने में मदद करने के लिए आप कर सकते हैं। अगर आपको अपने शिशु के बारे में चिंताएँ सता रहीं हैं, तो हमेशा अपने हेल्थकेयर प्रोफेशनल (स्वास्थ्य सेवा पेशेवर) से कंसल्ट करें।
अच्छी नींद की आदतें आपके शिशु के शारीरिक और भावनात्मक भलाई के लिए महत्वपूर्ण होतीं हैं। एक वर्ष से कम उम्र के शिशुओं को अपने पालने में पीठ के बल सोना चाहिए।
शिशु की सोते समय सेफ्टी:
सभी शिशुओं को उनकी पीठ के बल सुलाना चाहिए, ताकि सडन इन्फंट सिंड्रोम (अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम) के जोखिम को कम किया जा सकें, जिसे SIDS भी कहा जाता है। सोने से पहले अपने शिशु को एक पैसिफायर दें। ... नरम बिस्तर से बचें जो आपके शिशु का दम घोंट सकते हैं, जैसे कि तकिए, कंबल, प्लश खिलौने और क्रिब (पालने) में बम्पर।
जब आप एक क्रिब (पालना) खरीदते हैं, तो यह उन अशुभ शब्दों के साथ आता है: "कुछ असेंबली की आवश्यकता है।" इंस्ट्रक्शन मैनुअल का सावधानीपूर्वक पालन करें, और सुनिश्चित करें कि हार्डवेयर ठीक से टाइट किया हुआ है और कोई तेज़ धार वाले किनारे नहीं हैं। जब आप इसका उपयोग शुरू करते हैं, तो यह सुनिश्चित करने के लिए कि कुछ भी ढीला नहीं निकला है, समय-समय पर क्रिब (पालने) की जाँच करें।
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रोगी की पोस्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी होने पर रोगी अपना ख्याल कैसे रखे
प्रत्यारोपण के बाद, आपके निर्णय और घर पर स्वयं की देखभाल के प्रति समर्पण आपके स्वास्थ्य और आपके प्रत्यारोपण की सफलता के लिए महत्वपूर्ण होगा। रोगी को निम्नलिखित जीवन शैली में बदलाव की सलाह दी जाती है। इन पर ध्यान देने दे, प्रत्यारोपण सफल प्राप्तकर्ता को इसका सबसे अच्छा परिणाम मिलता है।
रोगी अपनी सभी दवाओं के बारे में जानें : की आप खुराक कब , किस टाइम और आप उन्हें क्यों ले रहे हैं, व्यक्ति दवाएँ लेते समय क्या- क्या परहेज करें।
रोगी अपनी दवा के शेड्यूल का रोजाना पालन करें और केवल अपने ट्रांसप्लांट चिकित्सक द्वारा बताने पर ही कोई बदलाव करें।
अपने प्रत्यारोपण समन्वयक के माध्यम से अपनी प्रत्यारोपण टीम के साथ नियमित संपर्क बनाए रखें।
निर्देश के अनुसार अनुवर्ती नियुक्तियों और या प्रत्यारोपण की प्रक्रिया को सही बनाये रखे ।
रोगी आवश्यकतानुसार रक्त परीक्षण नियमित रूप से करवाएं।
रोगी आवश्यकतानुसार अपने वजन , रक्तचाप और तापमान की निगरानी रखे।
एक स्वस्थ जीवन शैली बनाए , रखें जिसमें संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और नियमित जांच शामिल हो।
धूम्रपान और मद्यपान से बचें क्योंकि यह दुर्भावना और संवहनी रोगों (दिल के दौरे और स्ट्रोक) की संभावना को बढ़ाता है।
यदि टीकाकरण के लिए विदेश की यात्रा की योजना है, तो आपको प्रत्यारोपण टीम से पूछना चाहिए। हमेशा नवीनतम चिकित्सा नुस्खे और दवाइयाँ साथ मे ले जाएँ।
प्रत्यारोपण कराने वाला व्यक्ति निम्न सावधानियां अपनाकर संक्रमण से बचें।
रोगी अक्सर अपने हाथ धोएं और सर्दी या अन्य संक्रमण से ग्रस्त व्यक्तियों से दूर रहें।
यदि रोगी को घाव है, तो उसे रोजना अपनी ड्रेसिंग को बदलना होगा, इसे करने के बाद रोगी हाथ धोएं।
पीड़ित व्यक्ति जानवरों के संपर्क में न आये या उन्हे संभालने से बचें और बाहर घूमने वाले जानवरों के संपर्क से बह रोगी अपना बचाव करे।
प्रत्यारोपण के बाद 6 महीने तक मिट्टी में काम करने से बचें। इसके बाद, दस्ताने का इस्तेमाल करे ।
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शिशुओं को पहले साल भर में रोने की पारियाँ आतीं हैं क्योंकि यह उनके खाने-पीने और आराम के लिए संवाद का एकमात्र साधन है।
जब आपका शिशु रोता है, तो आपकी पहली इंस्टिंक्ट (वृत्ति) उन्हें उठाने की होगी। भले इस विषय पर परस्पर विरोधी विचार हैं, अपनी वृत्ति को आपका मार्गदर्शन करने दें और बच्चे को बिगाड़ने से न डरें।
आपका शिशु दुनिया में नया आया है और उसे यह जानने की ज़रूरत है कि आप विश्वसनीय है और हमेशा उपलब्ध हैं। हालांकि, अगर आपको लगता है कि आपका शिशु बहुत रो रहा है और यह आपको धैर्य खोने पर बाध्य कर रहा है या बहुत थका रहा है, तो अन्य माताओं, सेल्फ हेल्प (स्वयं सहायता) और सहायता समूहों या स्वैच्छिक संगठनों के साथ संपर्क में आए जो आपको इससे निपटने के तरीक़े खोजने में मदद कर सकते हैं। आइए जानें कि शिशु क्यों रो सकता है और आपके लिए क्या समाधान उपलब्ध हैं।
आपका शिशु क्यों रो रहा होगा
यदि रोने की आवाज़ दयनीय या सामान्य से अलग सुनाई देती है, तो शिशु अस्वस्थ हो सकता है, या एक बंद नाक इस समस्या का कारण हो सकता है। अन्य संभावित कारण निम्न हो सकते हैं:
नैपी रैश (लंगोट से चकत्ते आन) या नितम्ब (बटक्स) में दर्द।
कोलिक (उदरशूल)
बहुत गर्मी या बहुत ठंडी लगना।
स्नान या कपड़े पहनने आदि की प्रक्रिया के दौरान।
आपका खुद का बुरा मिजाज आपके शिशु को रोने की पारियों के साथ प्रतिक्रिया देने पर मजबूर कर सकता है।
बहुत अधिक झंझट करना शिशु को परेशान कर सकता है।
रोते हुए शिशु को प्रशांत करने के तरीक़े
अगर आपको डर है कि आपका शिशु शायद बीमार है, तो डॉक्टर को कॉल करने में संकोच न करें क्योंकि वह कुछ ऐसे उपायों को प्रिस्क्राइब कर सकता है, जैसे नेज़ल ड्रॉप्स (नाक के लिए ड्रॉप्स) जिससे शिशु को बेहतर साँस लेने में और अतः शांत होने में मदद मिल सकें।
यदि शिशु के नितम्ब (बटक्स) में दर्द हो, तो नैपी (लंगोट) उतार दें और नितम्ब को अच्छी तरह से साफ़ करें। बचे हुए दिन के लिए आप नैपी उतारी हुई ही छोड़ सकतीं हैं।
यदि आपका शिशु कोलिक (उदरशूल) से पीड़ित है, तो पहले ही दवाइयों का सहारा न लें और शिशु को झुलाकर उसकी पीड़ा कम करें या नाके के आसपास टहलने के लिए बाहर ले जाए।
शिशु के कमरे को अधिक गर्म करने या अधिक ठंडा करने से बचें। शिशु के लिए आदर्श कमरे का तापमान वह है जो हल्के कपड़े पहने हुए वयस्कों के लिए आरामदायक होता है।
शिशु भूखा या प्यासा हो सकता है, इसलिए खाने-पीने को ऑफर करें।
शिशु को कडल के ज़रिए आपका ध्यान चाहिए हो सकता है या उसे गैस हुई हो सकती है जो आपकी बाँहों में या रॉकिंग कुर्सी में ताल से उसे झुलाकर निकल सकती है।
शिशु को एक शाल में कसकर लपेटें और एक बंडल बनाने के लिए सिरों को टक करें। 'स्वॉडल' (लपेटना) नामक यह प्रक्रिया एक शिशु को सकुशल और सुरक्षित महसूस कराती है।
शिशु को शांत करने का एक और तरीक़ा है कि धीरे से पेट या पीठ को थपथपाकर उन्हें शांत किया जाए या पेट में से गैस निकालकर राहत दी जाए।
एक पैसिफ़ायर (प्रशांत करनेवाला उपकरण) या चूसने के लिए कोई चीज़, जो ठीक से स्टरलाइज़ (विसंक्रमित) किया गया हो, एक और सामान्य इलाज है।
शिशुओं को चमकीले रंग की चीज़ें बहुत पसंद होती हैं, इसलिए उन्हें चित्र पुस्तक, दर्पण या नए खिलौने से भी डिस्ट्रैक्ट (विचलित) कर सकते हैं।
रोना एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसे सभी शिशु दर्शाते हैं। हालांकि, अपने हेल्थकेयर प्रोवाइडर (स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता) से पूछें कि क्या आपका शिशु आपके सभी प्रयासों के बावजूद लगातार रोने की पारियाँ दिखा रहा है। डॉक्टर एक परीक्षण कर सकते हैं जो कुछ ऐसी मेडिकल कंडीशन को चित्रित कर सकता है जिसे आप समझ नहीं पा सकतीं हो।
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Different types of immunotherapy are used to कैंसर के उपचारके लिए विभिन्न प्रकार की इम्यूनोथेरेपी (प्रतिरक्षा चिकित्सा) का उपयोग किया जाता है। ये उपचार या तो इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) को कैंसर पर सीधे तौर से हमला करने में मदद कर सकते हैं या इम्यून सिस्टम को अधिक सामान्य तरीके से उत्तेजित कर सकते हैं। इम्यूनोथेरेपी के प्रकार में निम्न शामिल हैं जो इम्यून सिस्टम को कैंसर के खिलाफ सीधे तौर से कार्रवाई करने में मदद करते हैं:
चेकपॉइंट अवरोधक: वे औषधियों के प्रकार हैं जो इम्यून सिस्टम को किसी ट्यूमर के ख़िलाफ़ अधिक आक्रामक तरीके से प्रतिक्रिया देने में मदद करते हैं। ये औषधियाँ ऐसे काम करती हैं कि सीधे ट्यूमर को टार्गेट न करते हुए, वे इम्यून सिस्टम के हमले से बचने की कैंसर सेल्स की क्षमता में हस्तक्षेप करतीं हैं।
अडॉप्टिव सेल ट्रांसफर (दत्तक कोशिका अंतरण) एक प्रकार का इम्यूनोथेरेपी उपचार है जो कैंसर से लड़ने के लिए आपके टी सेल्स की प्राकृतिक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है। इस उपचार में, टी सेल्स को विकसित ट्यूमर से डिराइव (व्युत्पन्न) किया जाता हैं। ये टी- सेल्स आपके कैंसर को मारने में सबसे अधिक प्रभावशाली होते हैं और ये टी- सेल्स लैब में भारी मात्रा में और विकसित किए जाते हैं। इन विकसितों का आगे ट्यूमर सेल्स को मारने में उपयोग किया जा सकता हैं।
मोनोक्लोनल एंटीबॉडी, जो चिकित्सकीय एंटीबॉडी के रूप में भी जाने जाते हैं, लैब में निर्मित इम्यून सिस्टम प्रोटीन हैं। ये एंटीबॉडी कैंसर सेल्स पर पाए जाने वाले विशेष लक्ष्यों को अटैच करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। कुछ मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कैंसर सेल्स को मार्क करते हैं ताकि वे इम्यून सिस्टम द्वारा बेहतर रूप से देखे जा सकें और नष्ट किए जा सकें। अन्य मोनोक्लोनल एंटीबॉडी सीधे कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकते हैं या उनके आत्म-विनाश का कारण बनते हैं। अभी भी अन्य कैंसर सेल्स में टॉक्सिन (विषाक्त पदार्थों) को ले जाते हैं। चूंकि चिकित्सकीय मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कैंसर सेल्स पर विशेष प्रोटीन को पहचानते हैं, इसलिए उन्हें टार्गेटेड थेरेपियाँ (लक्षित चिकित्साएँ) भी मानी जातीं हैं।
ट्रीटमेंट वैक्सीन (उपचार के टीके कैंसर सेल्स के प्रति आपके इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया को बढ़ाकर कैंसर के ख़िलाफ़ काम करते हैं। उपचार के टीके उन से अलग होते हैं जो बीमारी को प्रिवेंट करने में मदद करते हैं।
इम्यूनोथेरेपी के प्रकार में निम्न शामिल हैं जो कैंसर से लड़ने के लिए शरीर के इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया को बढ़ाते हैं:
साइटोकिन, जो आपके शरीर के सेल्स द्वारा बनाए गए प्रोटीन होते हैं। वे शरीर के सामान्य इम्यून प्रतिक्रियाओं में और इम्यून सिस्टम की कैंसर के प्रति प्रतिक्रिया करने की क्षमता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कैंसर का इलाज करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले दो मुख्य प्रकार के साइटोकिन को इंटरफेरॉन और इंटरल्यूकिन कहा जाता हैं।
बीसीजी, जो बैसिलस कैलमेट-ग्वेरिन के लिए उपयुक्त है, एक इम्यूनोथेरेपी है जिसका उपयोग ब्लैडर कैंसर (मूत्राशय कैंसर) के इलाज के लिए किया जाता है। यह उस बैक्टीरिया का एक कमज़ोर रूप है जो ट्यूबरक्लोसिस (तपेदिक) को जन्म देता है। जब एक कैथेटर से सीधे ब्लैडर में डाला जाता है, तो बीसीजी कैंसर के ख़िलाफ़ एक इम्यून प्रतिक्रिया पैदा करता है। अन्य प्रकार के कैंसर में भी इसका अध्ययन किया जा रहा है।
इम्यूनोथेरेपी कैंसर के ख़िलाफ़ कैसे काम करती है?
कैंसर आपके शरीर को नष्ट कर देता है क्योंकि यह मुख्य रूप से आपके इम्यून सिस्टम पर आक्रमण करता है। कुछ इम्यूनोथेरेपियाँ कैंसर सेल्स को निशाना बनातीं हैं और बाद में उन्हें मार देती हैं। अन्य इम्यूनोथेरेपियाँ आपके इम्यून सिस्टम को इस तरह से बढ़ाने में आपकी मदद करतीं हैं कि यह कैंसर सेल्स को नष्ट कर देता है। इम्यूनोथेरेपी एक नवीन कैंसर उपचार है। इम्यूनोथेरेपी अभी तक व्यापक रूप से सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी (विकिरण चिकित्सा) के रूप में इस्तेमाल नहीं की जाती है। हालांकि, इम्यूनोथेरेपियाँ धीरे-धीरे महत्व प्राप्त कर रहीं हैं और कई डॉक्टरों द्वारा उपचार के एक चॉइस के रूप में व्यापक रूप से स्वीकार की जा रहीं हैं।
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वृद्धावस्था (SILVER YEAR ) में शारीरिक, मानसिक, व भावनात्मक बीमारी का होना
Some Diseases Associated With Old Age
Old age is also known as senescence. Normally silver years or old age is defined as period of the life from 60-65 years. A regular exercise and eating a well balanced diet can help to fight against many infections and diseases associated with the old age.
वृद्धावस्था (silver year ) में शारीरिक, मानसिक, व भावनात्मक बीमारी का होना
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ( सीडीसी ) के अनुसार, यदि 65 वर्ष की आयु के बाद उचित स्वास्थ्य देखभाल के उपाय किए जाते हैं, तो एक व्यक्ति अन्य व्यक्ति की अपेक्षा 19.3 साल तक अधिक जीवित रह सकता हैं।
लिटिल रॉक में चिकित्सा विज्ञान के लिए अरकंसास विश्वविद्यालय में रेनॉल्ड्स इंस्टीट्यूट के कार्यकारी निदेशक जीन वेई, पीएचई, एमडी, पीएचडी के अनुसार, जो लोग स्वस्थ जीवन शैली विकल्पों को अपनाते हैं, जैसे धूम्रपान छोड़ना और वजन कम करना, तो वे व्यक्ति उम्र से संबंधित स्वास्थ्य जोखिमों से बचने में स्वयं की मदद कर सकते हैं।
बुढ़ापे से सम्बंधित कुछ मुख्य बीमारियों की निम्नलिखित है।
1. व्यक्ति में गठिया रोग :
सीडीसी के अनुसार 49.7 प्रतिशत बुजुर्ग गठिया से पीड़ित हैं। बुजुर्ग व्यक्ति ज्यादातर ऑस्टियोआर्थराइटिस नामक दर्दनाक स्थिति से पीड़ित होते हैं, जो दर्दनाक है और बुजुर्गों में गतिशीलता को सीमित करता है।
2. उम्र के साथ हृदय रोग का होना :
बुजुर्ग व्यक्तियों में उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसे जोखिम कारक होने के साथ , स्ट्रोक की तरह, हृदय के रोगों के विकास होने की उच्च प्रवृत्ति की संभावना होती हैं। व्यायाम के साथ-साथ संतुलित और लगातार भोजन खाने से बुजुर्गों को दिल से संबंधित विकारों से बचाया जा सकता है।
3. व्यक्तियों में कैंसर की संभावना :
सीडीसी की रिपोर्ट के अनुसार, 65 वर्ष से अधिक आयु के 28 प्रतिशत पुरुष और 21 प्रतिशत महिलाएं कैंसर से पीड़ित हैं। इसलिए नियमित जांच जैसे मैमोग्राम, कॉलोनोस्कोपी, और त्वचा की जाँच से विभिन्न प्रकार के कैंसर को रोका जा सकता है।
4. बुजुर्ग व्यक्ति में श्वसन संबंधी रोग :
सीडीसी ने बताया है कि पुरानी कम श्वसन संबंधी बीमारियां, जैसे कि क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), 65 और इससे अधिक उम्र के लोगों में मृत्यु का तीसरा सबसे आम कारण है। बुजुर्ग अस्थमा, पुरानी ब्रोंकाइटिस या वातस्फीति जैसे पुराने श्वसन संक्रमण से पीड़ित हो सकते हैं। ये समस्याएं बुजुर्गों को निमोनिया जैसी स्थितियों के लिए आसानी पैदा कर सकती हैं। शुरुआती जांच से बुजुर्गों में निमोनिया को रोका जा सकता है।
5. व्यक्ति में अल्जाइमर रोग का होना :
अल्जाइमर एसोसिएशन के अनुसार, नौ लोगों में से एक की उम्र 65 और उससे अधिक है, जो लगभग 11 प्रतिशत है, अल्जाइमर रोग पीड़ित है, लेकिन निदान चुनौतीपूर्ण है, क्योकि यह जानना मुश्किल है कि कितने लोग इस पुरानी स्थिति के साथ जी रहे हैं। एक प्रारंभिक चरण में इस बीमारी का निदान करने से शुरुआती पकड़ इससे निपटने में मदद मिल सकती है
6. ऑस्टियोपोरोसिस :
ऑस्टियोपोरोसिस बुजुर्गों में भी एक उम्र से संबंधित समस्या है, खासकर महिलाओं में, यह ऑस्टियोपोरोसिस कम गतिशीलता और बुजुर्गों में एक विक्षिप्त कद की ओर योगदान कर सकता है।
7. वयस्क व्यक्तियों में मधुमेह रोग की संभावना :
सीडीसी के अनुसार 65 और उससे अधिक उम्र के 25 प्रतिशत लोग मधुमेह के साथ जी रहे हैं। पूर्व मधुमेह की स्थिति की जांच करना आवश्यक है और रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करने से रोग को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
8. इन्फ्लुएंजा और निमोनिया रोग का होना :
सीडीसी के अनुसार, 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में फ्लू और निमोनिया के संक्रमण के शीर्ष आठ कारणों में से एक हैं। बुजुर्ग व्यक्ति इन बीमारियों की चपेट में अधिक आते हैं और उनसे लड़ने में सक्षम नहीं होते हैं। टीकाकरण इन संक्रमणों के लिए बुजुर्गों निपटने की क्षमता प्रदान कर सकता है।
9. बुजुर्ग व्यक्तियों के फिसलने की समस्या :
सीडीसी रिपोट्स के अनुसार, 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 2.5 मिलियन लोगों का इलाज आपातकालीन विभागों में गिरने के कारण होता है। बुजुर्गों को सावधानी से चलना चाहिए और फिसलन वाले स्नान कक्षों का उपयोग करने से बचना चाहिए।
10. व्यक्ति का मोटा हो जाना :
मोटापा हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर के लिए एक महत्वपूर्ण वरिष्ठ स्वास्थ्य जोखिम कारक है। यह बुजुर्गों में उच्च रक्तचाप और एथेरोस्क्लेरोसिस जैसी विभिन्न जटिलताओं के बढ़ने ओर अग्रसर करता है।
11. बुजुर्ग व्यक्ति का अवसाद में रहना :
सीडीसी के अनुसार कई बुजुर्ग अवसाद से पीड़ित होते हैं। मित्रों और परिवार से सहायता और सामाजिक मेलजोल में वृद्धि से बुजुर्गों में अवसाद को रोका जा सकता है
12. मुँह के स्वास्थ की समस्या :
कार्यात्मक और शारीरिक परिवर्तनों के कारण बुजुर्गों में मौखिक स्वास्थ्य से समझौता हो जाता है। नियमित मूल्यांकन के लिए बुजुर्गों को हर 6 महीने के बाद दंत चिकित्सक से मिलने की सलाह दी जाती है। दंत चिकित्सकों द्वारा बुजुर्गों में दंत स्वास्थ्य को बहाल करने के लिए दंत चिकित्सा और मौखिक पुनर्वास के उपाय किए जाते हैं।
13. दाद के होने की समस्या :
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार , 60 में से तीन लोगों में से एक को दाद मिलेगा। जो लोग बचपन में चिकन पॉक्स से पीड़ित होते हैं, वे उम्र बढ़ने के साथ दाद का सामना करते हैं। एक अच्छी प्रतिरक्षा प्रणाली और अच्छी स्वास्थ्य स्थिति बुजुर्गों को तेज गति से दाद से उबरने में मदद करती है।