एक नवजात शिशु को पकड़ना

Holding a newborn baby by Famhealth

हम सभी को किसी शिशु को कडल करना और होल्ड करना (अर्थात् पकड़ना) बहुत पसंद है। लेकिन हम में से अधिकांश को यह संदेह होता है कि एक छोटे शिशु को कैसे पकड़ा जाए। नीचे कुछ स्टेप्स दिए गए हैं जो किसी नवजात को संभालने की प्रक्रिया को काफ़ी आसान और सुरक्षित बना सकते हैं:

चरण 1अपने हाथ धोएं - हमेशा सुनिश्चित करें कि अपने शिशु को उठाने से पहले आपके हाथ साफ़ हों। शिशु का इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) अभी भी विकसित हो रहा है, इसलिए आपके द्वारा कैरी किए जानेवाले कोई भी कीटाणु उन्हें बीमार कर सकते हैं। भले साबुन और गुनगुने पानी से झागदार हाथ धोना अच्छी तरह से काम करता है, ऐसे मेहमानों के लिए एक हैंड सैनिटाइज़र भी पास रखने पर विचार करें, जो आपके छोटेवाले/छोटीवाली को कडल करना चाहते हैं। अपने शिशु को पकड़ने से पहले हर बार अपने हाथ साफ़ करें।

चरण 2आरामदायक हो जाए - आराम/सहजता आपके शिशु को पकड़ने में सबसे महत्वपूर्ण चीज़ों में से एक है। न केवल आप शारीरिक रूप से सहज महसूस करना चाहते हैं, बल्कि आप अपनी पकड़ में भी आत्मविश्वास महसूस करना चाहते हैं।

चरण 3सहारा दें - किसी नवजात को पकड़ते समय, सिर और गर्दन को सपोर्ट करने के लिए हमेशा एक हाथ का सहारा देना बहुत महत्वपूर्ण होता है। आखिरकार, आपके शिशु का सिर जन्म के समय उसके शरीर का सबसे भारी हिस्सा होता है। शिशु के फॉन्टेनेल पर विशेष ध्यान दें, जो उसके सिर के शीर्ष पर नरम स्थान होते हैं।

नवजातों में ऐसे क्रिटिकल नेक मसल कंट्रोल (गर्दन की मांसपेशियों के महत्वपूर्ण नियंत्रण) की कमी होती है जिससे उनके सिर को अपने आप ही सपोर्ट मिल सके। यह मील का पत्थर आमतौर पर चार महीने के क़रीब आने तक प्राप्त नहीं होता है।

चरण 4अपनी मुद्रा चुनें - शिशु को पकड़ने की शुरुआत उसको उठाने से होती है। जब आप अपने शिशु को उठाने जाते हैं, तो एक हाथ उनके सिर के नीचे और दूसरा उनके नीचे रखें। वहाँ से, उनके शरीर को अपनी छाती के स्तर तक लाएं। जब तक आप शिशु के सिर और गर्दन को सहारा दे रहें हैं, मुद्रा कैसी हो यह आप पर है। ऐसे कई होल्ड (पकड़) हैं जिनका आप और आपका शिशु आनंद ले सकते हैं। इनमें से कुछ मुद्राएँ स्तनपान कराने या डकार दिलाने के लिए भी बढ़िया होतीं हैं। विभिन्न मुद्राएँ इस प्रकार हैं:

क्रैडल होल्ड (पालना पकड़)

जीवन के पहले कई सप्ताहों के लिए अपने नवजात को पकड़ने के लिए क्रैडल होल्ड सबसे आसान और सर्वोत्तम तरीक़ों में से एक है:

  • अपने शिशु को अपनी छाती के स्तर पर हॉरिज़ॉन्टल (आड़ा) रखकर, उनकी गर्दन को सहारा देने के लिए अपने हाथ को उनके नीचे से ऊपर स्लाइड करें।
  • अपनी कोहनी के बेंड में शिशु के सिर को कोमलतापूर्वक घुसाएँ।
  • उनके सिर को क्रैडल करते (अर्थात् प्यार से पकड़ते) हुए, सपोर्ट करनेवाली बाज़ू से अपने हाथ को उनके नीचे की ओर ले जाएं।
  • आपका ख़ाली हाथ अन्य काम या अतिरिक्त सपोर्ट प्रदान कर पाएगा।

शोल्डर होल्ड (कंधा पकड़)

  • शिशु का शरीर आपके शरीर के पैरेलल (समानांतर) रखकर, उनके सिर को कंधे की ऊँचाई तक उठाएँ।
  • अपने सीने और कंधे पर उनके सिर को रेस्ट कराएं ताकि वे आपके पीछे देख सकें।
  • उनके सिर और गर्दन पर एक हाथ रखें, और आपके दूसरे हाथ को शिशु के निचले हिस्से को सपोर्ट देने के लिए रखें। यह मुद्रा शिशु को आपके दिल की धड़कन सुनने में भी मदद कर सकती है।

बेली होल्ड (पेट पकड़)

  • अपने शिशु को पेट के बल लेटाएं, फोरआर्म (अग्र बाहु) पर, और उसका सिर आपकी कोहनी की तरफ ऊपर हो।
  • उनके पैर आपके हाथ के दोनों साइड लैंड करने चाहिए, और हाथ ज़मीन के करीब झुका होना चाहिए ताकि शिशु एक ज़रा से एंगल (कोण) पर हो।
  • यह मुद्रा सहायक होती है अगर शिशु को गैस है और उसे डकारने की ज़रूरत है। गैस बाहर निकालने के लिए कोमलतापूर्वक शिशु की पीठ थपथपाएं।

लैप होल्ड (गोद पकड़)

  • अपने पैरों को ज़मीन पर मज़बूती से टिकाकर, किसी कुर्सी पर बैठें और अपने शिशु को अपनी गोद में रखें। उनका सिर आपके घुटनों पर, व चेहरा ऊपर की ओर होना चाहिए।
  • सपोर्ट के लिए अपने दोनों हाथों से उनके सिर को ऊपर उठाएं और उनके शरीर के नीचे अपने फोरआर्म हों। शिशु के पैर आपकी कमर पर टक-इन होने चाहिए।

क्या करें:

  • शिशु को पकड़ते समय कोशिश करें कि त्वचा का त्वचा से संपर्क हो। यह बॉन्ड करने और उन्हें गर्म रखने का एक शानदार तरीक़ा है। आप शिशु को उनके डायपर तक नंगा कर, उन्हें अपने खुले सीने पर रख सकते हैं, और एक कंबल के साथ कवर कर सकते हैं।
  • यदि आप शिशु को पकड़ने के बारे में घबराहट महसूस करते हैं, तो एक बैठी हुई मुद्रा चुनें। नीचे बैठना किसी के लिए भी एक अच्छा विचार है, जिसमें शिशु के वज़न को सपोर्ट करने की ताकत नहीं हो सकती है, जैसे बच्चे और बुज़ुर्ग व्यक्ति।
  • बिना हाथों के पकड़ने के लिए एक बेबी कैरियर (शिशु वाहक) का उपयोग करें। कैरियर की पैकेजिंग पर दिए सभी निर्देशों का पालन करें। यह उम्र-उपयुक्त पकड़ और मुद्राओं का सुझाव देता है।
  • जब शिशु को विस्तारित अवधियों के लिए पकड़ना हो या स्तनपान कराने में मदद करनी हो, तो शिशु को सहारा देनेवाले तकिए का प्रयोग करें।
  •  अतिरिक्त सुरक्षा के लिए, अपने शिशु को दोनों हाथों से पकड़ें जब आप सीढ़ियों से ऊपर और नीचे जा रहे हों।

क्या न करें:

  • शिशु को पकड़ते समय खाना न पकाएँ नहीं या गर्म ड्रिंक्स (पेय) कैरी न करें। चाकू, आग और अतिरिक्त गर्मी ख़तरनाक होती हैं और दुर्घटना से चोट लग सकती है। उन लोगों से दूर रहें जो आपके पास ऐसी चीज़ों के साथ काम कर रहे हैं।
  • कभी भी अपने शिशु को शेक न करें (अर्थात् हिलाएं नहीं), चाहे खेलने के लिए या फ्रस्टेशन (कुंठा) व्यक्त करने के लिए। ऐसा करने से मस्तिष्क में ब्लीडिंग (रक्तस्राव) हो सकती है और मृत्यु भी हो सकती है।

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बच्चे की देखभाल के लिये आवश्यक टिप्स

बेबी मसाज (शिशु की मालिश) 

Baby Care Essentials Baby Massage by Famhealth

त्वचा को चिकना करने के लिए शिशु को बॉडी मसाज (शरीर की मालिश) दिया जाता है, जिससे शिशु को ताज़गी महसूस होती है, वह रिलैक्स होता है और ब्लड सर्कुलेशन (रक्त परिसंचरण) में सुधार होता है।

आप स्नान के बाद या स्नान से पहले बॉडी मसाज कर सकतीं हैं। माँ की अनुमति के अनुसार, आप तेल या बेबी बॉडी लोशन का उपयोग कर सकतीं हैं।

आवश्यक चीज़ें:

  • रबर या प्लास्टिक की चादर/शीट।
  • बेबी बॉडी लोशन या तेल।
  • लपेटने वाला कपड़ा

प्रक्रिया:

  • अपने हाथ धो लो
  • आवश्यक चीज़ों को इकट्ठा करें।
  • ए/सी या पंखा बंद करें।
  • बिस्तर या फर्श पर रबर शीट या प्लास्टिक शीट बिछाएं।
  • Take the oil in bowl, warm the oil if required and check the warmth before applying on Baby
  • ड्रेस और नैपकिन को निकालकर, शिशु को तैयार करें और शिशु को प्लास्टिक शीट पर रखें।

फॉलो किए जानेवाले स्टेप्स:

  • पाँव,
  • पिंडलियाँ (काफ),
  • जांघें,
  • छाती,
  • पेट,
  • दोनों हाथ,
  • चेहरा,
  • पीठ।

पाँव: तेल या लोशन लें, पैर के तलवे पर लगाएं और अपनी अंगूठे के ज़रिए एड़ी से लेकर पैर की उंगलियों की ओर, कम से कम 5 बार मालिश करें, फिर 5 बार पैर की उंगलियों को फैलाएं।

इसके बाद, अपने अंगूठों का उपयोग करके, टखने के दोनों जोड़ों की पाँच बार मालिश करें।

पिंडलियाँ (काफ)पिंडलियों की मालिश दो प्रकार की होती है।

  • स्वीडिश मिल्किंग

स्वीडिश मिल्किंग: पहले पाँवों पर तेल या लोशन लगाएं, फिर टखने के जोड़ से लेकर घुटने के जोड़ तक 5 बार (दोनों तरफ) मालिश शुरू करें; फिर, घुटने के जोड़ से ग्रॉइन एरिया (उरुसंधि क्षेत्र) तक 5 बार (दोनों तरफ)।

  • भारतीय मिल्किंग– (Prefer to give type 1, If the mother ask for type 2 then u can also give type 2 massage.)

भारतीय मिल्किंग: मसाज ग्रॉइन एरिया (उरुसंधि क्षेत्र) से शुरू होता हुआ पैरों की ओर जाता है। (यह केवल वैकल्पिक है यदि माँ पूछे तो।)

छाती:तेल या लोशन लें, छाती के ऊपर से लेकर कंधे तक लगाएँ और नीचे से ऊपर और भीतर से बाहर की साइड 5 बार मालिश करें (जैसे छाती को चौड़ा करना हो)

इसके बाद, अपने हाथों को बाएं से दाएं और दाएं से बाएं तरफ क्रॉस तरीक़े से घुमाएं।

एब्डोमेन (उदर)एब्डोमेन के ऊपर तेल या लोशन लगाएं और ऊपर से नीचे की ओर 5 बार मालिश करें, फिर घुमावदार गति से। (हमेशा एब्डोमिनल मसाज [पेट की मालिश] को अम्बिलिकल कॉर्ड [गर्भ नाल] को छूए बिना क्लॉकवाइज़ [दक्षिणावर्त] तरीक़े से करना चाहिए)।

हाथ: स्वीडिश मिल्किंग भारतीय मिल्किंग की तुलना में दोनों हाथों और पैरों के लिए बेहतर है। यदि आप हाथों और पैरों के लिए भारतीय मिल्किंग करते हैं, तो स्वीडिश मालिश से समाप्त करें।

चेहरा: अंगूठे का उपयोग करके घुमावदार गति से कोमलतापूर्वक गाल की मालिश करें, फिर माथे की। (चेहरे की मालिश अनिवार्य नहीं है)

पीठ: तेल लगाकर ऊपर से नीचे की ओर पाँच बार मालिश करें, फिर एक तरफ से दूसरी तरफ पाँच बार मालिश करें।

बटक्स (नितंब): नितंबों की नीचे से ऊपर तक 5 बार मालिश करें।

मालिश पूरी करने के बाद, शिशु को धीरे-धीरे टर्न करें, शिशु को चादर/शीट पर रखें, और शिशु को लपेटने वाले कपड़े में लपेटें।

चीज़ों को उचित स्थान पर रिप्लेस करें।

क्या करें:

  1. हमेशा हाथ और पैर की मालिश हृदय की ओर की जानी चाहिए।
  2. हमेशा एब्डोमिनल मसाज (पेट की मालिश) केवल क्लॉकवाइज़ (दक्षिणावर्त) की जानी चाहिए।

क्या न करें:

  1. 3 महीने से कम उम्र के शिशुओं को टर्न न करें,
  2. सिर की मालिश न करें,
  3. सिर और चेहरे पर तेल न लगाएं (गालों और माथे को छोड़कर)

बेबी बाथ (शिशु की स्नान)

Baby Bath by Famhealth

एक नवजात को हर रोज़ स्नान कराने की आवश्यकता नहीं है। वास्तव में, शिशु को सप्ताह में कई बार से अधिक नहलाना उसकी त्वचा को सुखा सकता है।

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कब स्नान कराते हैं और यह सुनिश्चित करें कि खिलाने-पिलाने के तुरंत बाद न कराएं।

आवश्यक चीज़ें:

  • बाथ टब
  • 2 कॉटन बॉल (कपास की गेंदों) सहित एक कटोरा - आँखों को साफ़ करने के लिए
  • बॉडी वॉश (साबुन/शैंपू)
  • बड़ा तौलिया
  • लपेटने वाला कपड़ा
  • कॉर्ड केयर (नाल देखभाल) के लिए अल्कोहल स्वैब
  • बेबी ड्रेस, नैपकिन या डायपर
  • कचरे का डिब्बा
  • नाखून काटने के लिए नेल कटर वाली कैंची

प्रक्रिया:

  • अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं।
  •  आवश्यक चीज़ों को इकट्ठा करें।
  • एक टब में 2 से 3 इंच तक गर्म पानी और ठंडा पानी डालें और कोहनी से पानी का तापमान जाँचें। 
  • शिशु के कपड़े निकालें और वेट वाइप्स (गीले पोंछें) का उपयोग करके डायपर की जगह को ऊपर से नीचे तक साफ़ करें। (शिशु ने पेशाब या शौच किया या नहीं यह चेक करें)

फॉलो किए जानेवाले स्टेप्स::

  • दोनों आँखों को कॉटन बॉल के ज़रिए इनर कैंटस से बाहरी कैंटस तक साफ़ पानी से साफ़ करें।
  • इसके बाद, गर्म पानी से चेहरा साफ़ करें। याद रखें, चेहरे पर साबुन न लगाएं और आँखों को न छूए।
  • बालों को पानी से गीला करें और शैम्पू लगाएं, फिर बालों को कोमलतापूर्वक साफ़ करें।
  • ताज़ा गुनगुना पानी सिर पर डालें।
  • इसे बाद, शरीर के सामने वाले हिस्से को गीला करें और शैम्पू लगाएं, फिर कोमलतापूर्वक साफ़ करें; हाथ, गर्दन, ग्रॉइन (उरुसंधि), अंगुलियों के बीच के भाग और फोल्डिंग हिस्सों जैसी जगहों पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है।  (याद रखें, अम्बिलिकल कॉर्ड [गर्भ नाल] को न छूएं)।
  • फिर, शिशु को धीरे-धीरे टर्न करें और शिशु की पीठ को नहलाएं।
  • पूरे शरीर पर ताज़ा गुनगुना पानी डालें और शिशु को तौलिया में रख दें।
  • शिशु का चेहरा पहले सुखाएं, फिर सिर और आख़िर में शरीर।

 हाथ, कान के पीछे, गर्दन, ग्रॉइन (उरुसंधि), उंगलियों के बीच के भाग, डायपर की जगह, फोल्डिंग हिस्सों और पैर की उंगलियों के बीच जैसी जगहों को सुखाते समय अधिक ध्यान देना चाहिए।.

  • अम्बिलिकल कॉर्ड [गर्भ नाल] को अल्कोहल स्वैब से साफ़ करें।
  • शिशु को ड्रेस करें और नैपकिन या डायपर पहनाएं और लपेटने वाले कपड़े का उपयोग करके बच्चे को लपेटें।
  • अपने हाथ धोएं।
  • आखिरकार, आप उसे खिला-पिला सकते हैं।

डायपर कैसे पहनाएं

एक डायपर या एक नैपी (लंगोट) एक प्रकार का अंडरवियर होता है, जो बाहरी कपड़ों या बाहरी वातावरण के गंदे होने को प्रिवेंट करने के लिए वेस्ट प्रोडक्ट्स (अपशिष्ट उत्पादों) को अब्ज़ॉर्ब (अवशोषित) करके या रोककर, पहनने वाले को बिना किसी टॉयलेट का इस्तेमाल किए, शौच करने या पेशाब करने की अनुमति देता है। जब डायपर गंदे हो जाते हैं, तो उन्हें बदलने की आवश्यकता होती है, आमतौर पर माता-पिता या देखभालकर्ता जैसे किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा। पर्याप्त रूप से नियमित तौर पर डायपर बदलने में विफलता के परिणामस्वरूप डायपर द्वारा कवर हुई जगह के आसपास, त्वचा की समस्याएँ पैदा हो सकतीं हैं।

डायपर पहनने के लिए फॉलो किए जानेवाले स्टेप्स:

  • अपने शिशु को उसकी पीठ पर लेटाएं। डायपर तक पहुँच को बाधित करने वाले किसी भी कपड़े को निकाल दें। इस उम्र में, रोमपर्स लोकप्रिय कपड़े के आइटम हैं; उनमें डायपर तक आसन पहुँच के लिए स्नैप्स होते हैं।
  • गंदे डायपर को निकाल दें। डिस्पोज़ेबल (इस्तेमाल के बाद फेंक दिए जानेवाले) डायपरों के लिए, स्टिकी टैब्स को ऊपर खींचें। रीयूज़ेबल (पुन: प्रयोज्य) कपड़े के डायपर के लिए, अपने शिशु की कमर के चारों ओर से डायपर कवर और स्नैप्स या वेल्क्रो को निकाल दें।
  • अपने शिशु को कोमलतापूर्वक उठाएं, ताकि आप उसके नीचे से डायपर को बाहर निकाल सकें।
  • अपने शिशु के डायपर की जगह को साफ़ करने के लिए वाइप्स का उपयोग करें। इन्फेक्शन (संक्रमण) से बचने के लिए, हमेशा आगे से पीछे की ओर पोंछें, खासकर लड़कियों के लिए।
  • यदि वह जगह लाल या सूजी हुई है, तो इसे डायपर मरहम के ज़रिए राहत दें।
  • एक ताज़ा डायपर पहनाने से पहले, अपने शिशु की त्वचा के सूखने की प्रतीक्षा करें।
  • एक ताज़ा डायपर लें और इसे अपने शिशु के नीचे रखें। सामने वाले हिस्से को अपने शिशु के पेट पर ऊपर लाएं और उसकी कमर पर डायपर को बाँधने के लिए टैब्स को जकड़ें।
  • नए डायपर पर पहनाए जानेवाले कपड़ों को रिप्लेस कर दें।

डायपर रैश को कैसे प्रिवेंट करें

डायपर रैश को प्रिवेंट करने के लिए ये सावधानियाँ बरतें। यदि आपको संदेह है कि कोई डायपर रैश इन्फेक्टेड (संक्रमित) हो रहा है, तो हमेशा डॉक्टर को कॉल करें।

  • अपने शिशु के डायपर को अकसर (हर दो घंटे में) जाँचें और इसे तुरंत बदलें।
  • बदलने के दौरान अपने शिशु के डायपर की जगह को अच्छी तरह से साफ़ करें।
  • अपने शिशु के डायपर की जगह पर सुगंधित वाइप्स (पोंछे) या साबुन का उपयोग न करें।
  • आपके शिशु को स्नान के बाद सुखाने के दौरान, शिशु के निचले हिस्से को थपथपाएं, रगड़ें नहीं।
  • प्लास्टिक पैंट से बचें और स्किन मार्क्स (त्वचा के निशानों) पर नज़र रखें, जो इंगित करता है कि डायपर बहुत टाइट है।

नैपी रैश से निपटना

शिशु के निचले हिस्से पर लाल पैच हो सकते हैं, या पूरा क्षेत्र लाल हो सकता है। त्वचा सूजी हुई दिख सकती है और छूने में गर्म महसूस हो सकती है, और धब्बे, पिम्पल (फुंसी) या फफोले हो सकते हैं।

नैपी रैश निम्न की वजह से हो सकता है:

  • मूत्र या मल के साथ लंबे समय तक संपर्क
  •  संवेदनशील त्वचा
  •  घिसना या रगड़ना
  •  साबुन, डिटर्जेंट या बबल बाथ
  •  बेबी वाइप्स
  •  डायरिया (दस्त) या अन्य बीमारी

ये सरल स्टेप्स सहायता करेंगे:

  • जितनी जल्दी हो सके गीले या गंदे नैपी बदलें। छोटे शिशुओं के लिए दिन में 10 या 12 बार बदलने की आवश्यकता पड़ती हैं; उम्र में थोड़े बड़े शिशुओं के लिए कम से कम छह से आठ बार।
  • हमेशा नैपी (लंगोटों) की एक अच्छी आपूर्ति पास रखें।
  • गीले वाइप्स (पोंछे) या साबुन आदि के प्रति किसी भी एलर्जी के लिए नज़र रखें।
  •  यदि आप डायपर की जगह पर रेडनेस (लालिमा) पाते हैं, तो डायपर का उपयोग करने से बचें और उस जगह को हमेशा सूखा रखें।
  •  डॉक्टर की सलाह के अनुसार डायपर रैश क्रीम का उपयोग करें।

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सामग्री सौजन्य: पोर्टिया

Babycare – बच्चे के कान और नाखून की देखभाल

नाखूनों की देखभाल

Babycare - Ear and Nails by Famhealth
  • शिशु के नाखून एडल्ट (वयस्क) नाखूनों से अधिक नरम होते हैं।
  • शिशुओं के नाखून तेज़ होते हैं और एक नवजात, जिसे अपने घिसटते हुए अंगों पर ज़रा-सा कंट्रोल होता है, वह आसानी से अपने चेहरे को खरोंच सकता है।
  •  लंबे नाखून आसानी से इन-ग्रोन (अंतर्वर्धित) भी हो जाते हैं, और बदले में, इन्फेक्टेड (संक्रमित) हो जाते हैं।
  •  छोटे नाखून इतनी तेज़ी से बढ़ते हैं कि आपको उन्हें सप्ताह में कई बार काटना पड़ सकता है।
  • पैर के नाखूनों को कम बार ट्रिमिंग की आवश्यकता होती है।

प्रक्रिया:

  • अपने हाथ धोएं।
  • नाखूनों को ट्रिम करने का सबसे अच्छा समय है जब वह सो रहा हो, और हाल ही में स्नान के बाद, जब वे अभी भी बहुत नरम होते हैं।
  • त्वचा को नोचने से बचने के लिए फिंगर पैड को नाखून से दूर दबाएं, क्लिप करते समय अपने बच्चे के हाथ पर एक मजबूत पकड़ रखें और सीधे काटें।
  • एक नेल फाइल का उपयोग करना अधिक आसान और सुरक्षित हो सकता है।
  • वेट वाइप (गीले पोंछे) से शिशु के हाथ को साफ़ करें और वस्तुओं को रिप्लेस करें।
  • 7 स्टेप्स का उपयोग करके अपने हाथ धोएं।

कान की देखभाल

Ear and Nails by Famhealth

शिशु के कान कैसे साफ़ करें

  • आपको अपने शिशु के कान के अंदर की सफ़ाई करने की आवश्यकता नहीं है। उसके कानों के पीछे वाले हिस्से को धोएं जहाँ मुँह से निकला हुआ दूध साफ़ हो सके
  • आपके शिशु के कान में पानी जाना सामान्य बात है।
  • कॉटन स्वैब (क्यू-टिप्स) से अपने शिशु के कान के अंदर के हिस्से को सुखाने की कोशिश न करें; आप ईयरड्रम को नुकसान पहुँचा सकतीं हैं।
  • चूंकि पहली बात एक कॉटन स्वैब ही अकसर वैक्स बिल्ड-अप (मोम बढ़त) का कारण होता है, आपको शिशु के कान के कैनल को साफ़ करने के लिए उसका उपयोग कभी नहीं करना चाहिए।
  • पानी को बाहर निकालने के लिए, बस कोमलतापूर्वक उसके सिर को साइड में टर्न करें और पानी को बाहर निकलने दें, फिर एक नरम तौलिया से कान के बाहर के हिस्से को सुखाएं।

कान छिदवाने की देखभाल कैसे करें?

हमें कान छिदवाने से पहले और बाद में सावधानी बरतने की जरूरत है।

छिदवाने से पहले हमें जिन मुख्य सावधानियों का पालन करना चाहिए, वे हैं: -

ब्लड थिनर से बचना :- एस्पिरिन, अल्कोहल और अधिक मात्रा में कैफीन सभी ब्लड थिनर (खून को पतला करने वाली चीज़ें) हैं, इसलिए हमें इन चीज़ों से बचना चाहिए, जिस दिन आप पियर्स किए जाए। अगर इसे नजरंदाज कर दिया जाए, तो इससे ब्लीडिंग (रक्तस्राव) हो सकता है।

कान छिदवाने के बाद सावधानियाँ:-

कान छिदवाने के बाद कई सावधानियाँ बरतनी चाहिए। इन्फेक्शन (संक्रमण) से बचने के लिए हाइजीन (स्वच्छता) महत्वपूर्ण है। अन्य सावधानियाँ निम्न हैं:-

  • इन्फेक्शन (संक्रमण) की संभावना से बचने के लिए अपने हाथों को एंटी-बैक्टीरियल (जीवाणुरोधी) साबुन से धोएं।
  • पियर्स किए हुए क्षेत्र को बार-बार छूने से बचें।
  • स्टार्टर ईयरिंग (झुमके) - उन्हें समय से पहले नहीं हटाएं; पियर्सिंग (छेदन) बंद हो सकते हैं या अनुचित तरीक़े से हील हो सकते हैं।
  • पियर्स किए जाने के आठ सप्ताह बाद तक, झुमकों को पहली बार न बदलें।
  • साबुन का उपयोग न करें क्योंकि यह कान के छेदो को हील करने के लिए हानिकारक होता है। यह आपकी त्वचा को ड्राई (शुष्क) कर सकता है और एक पियर्सिंग इन्फेक्शन (छेदन संक्रमण) विकसित करने के लिए उसे अतिसंवेदनशील बना सकता है।
  • उन चीज़ों से सावधान रहें जो आपके झुमके को चीर सकतीं हैं। टोपी, स्कार्फ और अन्य सामान जो आपके झुमके को पकड़ सकते हैं, उन्हें ध्यान से पहना जाना चाहिए।
  • अपने कानों पर शैम्पू, कंडीशनर, और अन्य हेयर प्रोडक्ट के लगने से बचें, क्योंकि इन प्रोडक्ट्स की सामग्री इन्फेक्शन (संक्रमण) का कारण बन सकतीं हैं।
  • तकिये के बल कान रखकर सोने से आपके पियर्सिंग में तकलीफ हो सकती है।
  • उन्हें दिन में तीन बार साफ़ करें
  • पियर्सिंग के दोनों, सामने वाले और पीछे वाले हिस्सों को साफ़ करें, यह सुनिश्चित करते हुए कि पूरा क्षेत्र कवर हो।
  • यह सुनिश्चित करने के लिए कि एंटीसेप्टिक पियर्सिंग के अंदर जा रही है, दो या तीन बार कोमलतापूर्वक झुमकों को घुमाएं।

यदि कोई मवाद (पस) निकलता है, अत्यधिक खुजली, लालिमा, और अत्यधिक दर्द होता है तो यह एक इन्फेक्शन (संक्रमण) का संकेत है, और किसी डॉक्टर को दिखाएं। या तो कान के झुमके को तुरंत स्वयं ही हटा दें, या अगर यह बहुत दर्दनाक महसूस हो रहा है, तो इसे डॉक्टर के द्वारा हटवाएं।

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सामग्री सौजन्य: पोर्टिया

स्तनदूध की पंपिंग और संग्रहण के सुझाव

Breast pump and storage by Famhealth

स्तनदूध की पंपिंग और संग्रहण के सुझाव

दूध एक्सप्रेस (व्यक्त) करने का मतलब है कि पंप या हाथ से स्तन से दूध निचोड़ना।

आपको दूध कब एक्सप्रेस करना चाहिए?:

  • दूध इकट्ठा करने के लिए, ताकि एक प्रीमेच्यौर बेबी (अपरिपक्व शिशु) को पिलाया जा सके या ऐसे शिशु को पिलाया जा सके जो आपके स्तन पर जकड़कर टिके रहने में असहाय हो।
  • जब माँ को आराम की ज़रूरत होती है।
  • जब माँ काम पर जाती है।
  • जब अधिक दूध बनने की वजह से स्तन बहुत ही भारी हो जाते हैं या सूज जाते हैं।
  • जब निप्पल फ्लैट हो।
  • अपने दूध की आपूर्ति बनाए रखने के लिए, यदि आपका हेल्थकेयर प्रोवाइडर (स्वास्थ्य सेवा प्रदाता) आपको अस्थाई रूप से नर्सिंग बंद करने की सलाह देता है, क्योंकि आप ऐसी दवा ले रहीं हैं जो आपके शिशु के लिए हानिकारक हो सकती है (इसकी शायद ही कभी ज़रूरत पड़ती है) या यदि आप थोड़े समय के लिए अस्पताल में भरती हैं और दिन भर में स्तनपान नहीं करा सकतीं हैं।

स्तन के दूध को एक्सप्रेस करने के 2 तरीक़े हैं:

  • मैनुअल या हाथ से
  • स्तन पंप (मैनुअल और इलेक्ट्रिकल पंप) का उपयोग करके

स्तन के दूध को एक्सप्रेस करने की तैयारी करना:

  • बैठने के लिए एक शांत, आरामदायक जगह ढूँढें।
  • एक गिलास दूध या गर्म पानी या कुछ स्नैक लें।
  • अपने पंप को प्लग करें या यह सुनिश्चित करें कि इसमें चलनेवाली बैटरियाँ हैं।
  • अपने हाथ साबुन और पानी से धोए। 
  • पंप किट को असेंबल करें (अर्थात् जोड़ें)।
  • कॉटन (कपास) की मदद से गर्म पानी से स्तन को साफ़ करें।

एक मैनुअल स्तन पंप का उपयोग करना:

  • अपने निप्पल के ऊपर ब्रेस्ट शील्ड (स्तन ढाल) को रखें। यह सुनिश्चित करें कि आपके पास अपने स्तन के लिए उपयुक्त आकार की शील्ड है। अनुचित आकार की शील्ड का चयन करना असफल सक्शन प्रयासों, दर्द और तकलीफ़ का कारण बन सकता है।
  • पंपिंग शुरू करने के लिए, निचोड़ या प्लंजिंग तंत्र का उपयोग करें। एक हाथ से शील्ड को पकड़ें और दूसरे से तंत्र को निचोड़ें। दूध बोतल में पंप होना शुरू हो जाएगा।
  • यदि आवश्यक हो तो पंप के हैंडल को पुन: व्यवस्थित करें। पंप के हैंडल की मुद्रा को बदलने से इसकी सक्शन (चूषण) क्षमता प्रभावित हो सकती है, इसलिए इसे तब तक घुमाएं जब तक आपको एक उपयुक्त सक्शन स्तर न मिल जाए जो आपके स्तन के पंप करने के प्रयासों को आसान बनाएं।
  • दूध को अधिक आसानी से एक्सप्रेस करने के लिए, आगे की ओर झुकने की कोशिश करें। याद रखें कि शुरुआत में दूध बूँद-बूँद बहता है और जब पंपिंग लगातार हो रही होती है, तो धीरे-धीरे इसका प्रवाह बढ़ जाता है।
  • तब तक जारी रखें जब तक दूध का प्रवाह धीमा न हो जाए। मैनुअल पंप से पंप करते समय, आमतौर पर लगभग 45 मिनट लगते हैं।

एक इलेक्ट्रिकल या बैटरी संचालित पंप का उपयोग करना

  • अपने निप्पल के ऊपर ब्रेस्ट शील्ड (स्तन के ढाल) को सही ढंग से रखें। 
  • मशीन को चालू करें और उसे काम करने दें। दूध स्वचालित रूप से आपके स्तन से कंटेनर में पंप होना शुरू कर देगा।
  • आवश्यकता अनुसार आटोमैटिक (स्वचालित) सक्शन को एडजस्ट (समायोजित) करें। यदि ऐसा लग रहा है कि दूध धीरे-धीरे पंप हो रहा है या सक्शन (चूषण) दर्दनाक लग रहा है, तो इसे एडजस्ट करें। अपने स्तनों और अपने शरीर के बाकी हिस्सों को पुनः व्यवस्थित करने की कोशिश करें। प्रक्रिया दर्दनाक नहीं होनी चाहिए, हालांकि यह पहली बार में अजीब लग सकती है।
  • सक्शन होते रहने पर शांत रहें। हालांकि, यदि आप रिलैक्स्ड हैं, तो चिंता की तुलना में आप अकसर कम समय में अधिक दूध बनाएंगी।
  • तब तक जारी रखें जब तक दूध का प्रवाह धीमा न हो जाए। इलेक्ट्रिक या बैटरी-चालित पंप का उपयोग करते समय, आपका 15 से 20 मिनट के भीतर हो जाएगा।

याद रखें:

  • चलते रहें! आप पाएंगी कि प्रैक्टिस (अभ्यास) से पंपिंग तेज़ और आसान हो जाता है।
  • रिलैक्स्ड हो जाए। जब आप रिलैक्स्ड और शांत महसूस कर रहीं हों तो पंपिंग की प्रक्रिया सबसे आसान और कम से कम असहज लगती है।
  • कंटैमिनेशन (दूषण) से बचने के लिए, किसी भी ब्रेस्ट पंपिंग सेशन के बाद हमेशा अपने ब्रेस्ट पंप और उसके रिमूवेबल पार्ट्स (निकाले जा सकनेवाले हिस्सों) को साफ़ करें।

दूध को स्टोर करना:

  • माँ के दूध को 6 घंटे तक कमरे के तापमान पर रखा जा सकता है। 
  • आप फ्रिज में माँ के दूध को 4C या उससे कम पर 5 दिनों तक स्टोर कर सकतीं हैं (आमतौर पर पीछे, कभी दरवाजे पर नहीं)।
  •  माँ का दूध फ्रिज के आइस कम्पार्टमेंट (बर्फ के डिब्बे) में 2 सप्ताहों तक या फ्रीज़र में 6 महीने तक स्टोर (संग्रहीत) किया जा सकता है।
  • मीट प्रोडक्ट, अंडे या किसी भी बिना पके खाद्य पदार्थों से दूर स्टोर करें। फ्रिज के पीछे वाले हिस्से का उपयोग करें, न कि दरवाज़े का।
  • जितने अधिक बार फ्रिज का दरवाज़ा खोला जाएगा, उतने ही अधिक तापमान बढ़ने की संभावना होगी।
  • प्रत्येक बार जब आप उपयोग करतीं हैं, तब आपके दूध को स्टोर करने के लिए उपयोग किए जाने वाले प्रत्येक फ्रिज (या बैग) का तापमान चेक करने का प्रयास करें।

स्टोर किए हुए स्तन के दूध का उपयोग करना:

  • स्तन के दूध को गर्म करने या डीफ्रॉस्ट करने के लिए माइक्रोवेव या गैस स्टोव का उपयोग न करें क्योंकि इससे गर्म स्पॉट आ सकते हैं, जो आपके शिशु के मुंह को जला सकते हैं।
  • रेफ्रीजरेटेड (प्रशीतित) एक्सप्रेस किए गए स्तन के दूध को गुनगुने पानी में रखकर गर्म करें।
  • शिशु को दूध पिलाने से पहले तापमान चेक करें, और डीफ्रॉस्ट किए हुए दूध का तुरंत उपयोग करें और इस्तेमाल न किए हुए किसी भी दूध को फेंक दें।
  • यदि दूध से खट्टी बू आ रही है, तो इसका बिलकुल उपयोग न करें।
  • स्टोर किए जाने पर, क्रीम और दूध अलग हो सकते हैं। यह सामान्य बात है। उपयोग करने से पहले, मिक्स करने के लिए धीरे-धीरे शेक करें।
  • कुछ शिशु, विशेष रूप से पहले-पहले, एक्सप्रेस किए गए स्तन के दूध को लेने से हिचकिचाते हैं। एक कप या चम्मच से दूध ऑफर करने की कोशिश करें।

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बेबी सेफ्टी (शिशु की सुरक्षा)

Baby Safety by Famhealth

बेबी प्रूफिंग बच्चों के लिए किसी पर्यावरण या वस्तु को सुरक्षित बनाने का कार्य है।

खिलौनों के लिए सेफ्टी टिप्स (सुरक्षा युक्तियाँ)

  • वॉकर: उनसे बचें, क्योंकि उनसे सिर की चोट लगने की उच्च संभावनाएँ जुड़ी होतीं हैं।
  • चोकिंग खतरा: 3 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए छोटे खिलौने या एक रुपये के सिक्के से कम डिटैचेबल (वियोज्य) भागों वाले खिलौने न खरीदें। कभी भी छोटे बच्चों को छोटे बॉल (गेंद), बलून (गुब्बारा) न दें - क्योंकि कोई शिशु उन्हें निगल सकता है या उनसे खेलते समय ख़ुद को चोक कर सकता है।
  • मैग्नेटिक खिलौने: छह साल से कम उम्र के बच्चों से शक्तिशाली मैग्नेट वाले मैग्नेटिक खिलौने दूर रखें।
  • टॉक्सिक केमिकल (विषाक्त रसायन): पीवीसी प्लास्टिक से बने खिलौनों से बचें और लेड (सीसा) से पेंट किए हुए लकड़ी के खिलौनों से बचें; एक लकड़ी का खिलौना खरीदते समय, विशेष रूप से यह पूछें कि क्या उसके पेंट में लेड है या नहीं।
  • शोर: बच्चों के कान सेंसिटिव (संवेदनशील) होते हैं। यदि किसी खिलौना की आवाज़ आपके कान के लिए ज़ोरदार की है, तो यह संभवतः आपके बच्चे के लिए बहुत तेज़ है।
  • स्ट्रैंगुलेशन हैज़र्ड (दम घुटने का ख़तरा): स्ट्रिंग, प्लास्टिक बैग और रस्सियाँ आपके बच्चे के गले में उलझ सकती हैं।

घर के आसपास

  • फिसलने से रोकने के लिए, रबर मैट लगाएं। फर्नीचर स्थिर है या नहीं इसकी जाँच करें। भारी वस्तु जैसे किताबें, इलेक्ट्रिकल सामान, सिक्के, घर की चीज़ें आदि सुरक्षित स्थान पर रखें। घर को साफ़ रखें; इससे इन्फेक्शन (संक्रमण) से बचाव होता है।
  • किचन (रसोईघर) में, निचली अलमारी में ग़ैर-टूटने योग्य चीज़ें और प्लास्टिक की चीज़ें रखें। धारदार सामान जैसे चाकू, कैंची आदि ऊपरी अलमारी में रखें। जगह को साफ़ रखें। शिशु को रसोई के अंदर न आने दें। किचन का दरवाज़ा हमेशा बंद रखें।
  • बाथरूम में, सभी ब्यूटी प्रोडक्ट्स, फर्श क्लीनर, साबुन पाउडर, टॉयलेट क्लीनर, साबुन, शैम्पू आदि जैसे क्लीनिंग प्रोडक्ट्स (सफ़ाई के उत्पाद) एक लॉक करने योग्य अलमारी में रखें, जहाँ शिशु का हाथ नहीं पहुँचता हो। अपने बाथरूम को साफ़ रखें। बाथरूम का दरवाज़ा हमेशा बंद रखें।

सुरक्षा और अनुशासन

  • लगभग 9 महीने के आसपास, आपका शिशु स्वाभाविक रूप से जिज्ञासु होगा और जल्दी-जल्दी हलचलें करेगा। जब आप अपने बच्चे को किसी बुरी स्थिति से गुज़रता हुआ देखता है, तो उसे उस स्थिति से हटा दें और दृढ़तापूवर्क 'ना' कहें। वह अभी तक अपने माता-पिता को विकसित रूप से समझ नहीं पा सकता हो और उस कृत्य को दोहरा सकता है। यह कोई अवज्ञा नहीं है; केवल प्राकृतिक जिज्ञासा और एक्सप्लोरेशन (अन्वेषण) है। अपने बच्चे को पनिश (दंडित) न करें, बल्कि एक सुरक्षित घर प्रदान करके उसकी स्वतंत्रता और एक्सप्लोरेशन को प्रोत्साहित करें।
  • कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका घर कितना सुरक्षित है, इस उम्र के बच्चों पर लगातार नज़र रखने की आवश्यकता होती है, जब तक कि वे प्लेपेन या किसी क्रिब (पालने) में न हों।
  • उनके गिरने की आशंका होती है। सीढ़ियों पर फाटकों का उपयोग करें। सभी तेज़ धार वाली वस्तुओं को ज़मीन से हटा दें, जैसे कांच का टेबल और टूटने योग्य वस्तुएँ।
  • यह सुनिश्चित करें कि क्रिब (पालने) के गद्दे जितने हो सकें नीचे हों। यदि क्रिब रेलिंग बच्चों के छाती के स्तर पर आती है, तो आपके बच्चे के इससे गिरने की संभावना है।
  • टेबल क्लॉथ का उपयोग न करें, क्योंकि बच्चे अपने आप को ऊपर खींचने के लिए इन्हें पकड़ सकते हैं, बदले में उन पर रखी भारी या गर्म वस्तुओं का गिराते हुए।
  • दवाओं और जहरीली वस्तुओं जैसे डिटर्जेंट, टॉयलेट क्लीनर आदि को ऊँचे या लॉक किए हुए स्थानों पर रखें।
  • सभी इलेक्ट्रिकल आउटलेट को कवर करें और उनसे मोबाइल चार्ज आदि को लटका कर न छोड़ें।
  • स्टोव के किनारे से बर्तनों और स्किलेट (एक फ्राइंग पैन) के हैंडल को दूसरी तरफ़ टर्न करें। उपयोग में नहीं होने पर, गैस सिलेंडर को बंद कर दें।
  • कभी भी अपने बच्चे को बाथ-टब, पूल या पानी की बाल्टी में अकेला न छोड़ें।

बेबी सेफ्टी [क्रिब या बेड]

एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करना आपके नए शिशु की देखभाल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। शिशुओं को सुरक्षित महसूस करना चाहिए जब वे घर पर हों और जब वे घर से दूर हों। कुछ सरल चीज़ें हैं, जो अपने बेबी को सुरक्षित और कुशल रखने में मदद करने के लिए आप कर सकते हैं। अगर आपको अपने शिशु के बारे में चिंताएँ सता रहीं हैं, तो हमेशा अपने हेल्थकेयर प्रोफेशनल (स्वास्थ्य सेवा पेशेवर) से कंसल्ट करें।

अच्छी नींद की आदतें आपके शिशु के शारीरिक और भावनात्मक भलाई के लिए महत्वपूर्ण होतीं हैं। एक वर्ष से कम उम्र के शिशुओं को अपने पालने में पीठ के बल सोना चाहिए।

शिशु की सोते समय सेफ्टी:

  • सभी शिशुओं को उनकी पीठ के बल सुलाना चाहिए, ताकि सडन इन्फंट सिंड्रोम (अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम) के जोखिम को कम किया जा सकें, जिसे SIDS भी कहा जाता है। सोने से पहले अपने शिशु को एक पैसिफायर दें। ... नरम बिस्तर से बचें जो आपके शिशु का दम घोंट सकते हैं, जैसे कि तकिए, कंबल, प्लश खिलौने और क्रिब (पालने) में बम्पर।
  • जब आप एक क्रिब (पालना) खरीदते हैं, तो यह उन अशुभ शब्दों के साथ आता है: "कुछ असेंबली की आवश्यकता है।" इंस्ट्रक्शन मैनुअल का सावधानीपूर्वक पालन करें, और सुनिश्चित करें कि हार्डवेयर ठीक से टाइट किया हुआ है और कोई तेज़ धार वाले किनारे नहीं हैं। जब आप इसका उपयोग शुरू करते हैं, तो यह सुनिश्चित करने के लिए कि कुछ भी ढीला नहीं निकला है, समय-समय पर क्रिब (पालने) की जाँच करें।

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पैरेंटहुड की अनिवार्यताएँ और बेबी केयर के
for your NEW BORN

पैरेंटहुड की आनंदमय यात्रा में प्रवेश करना इतना आसान नहीं होता और इसमें विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
यहाँ हम आपके लिए कुछ अत्यावश्यक बातें लेकर आए हैं जो आपको पैरेंटहुड संबंधी विभिन्न अनिवार्यताओं के बारे में गाइड कर सकतीं हैं।

बेबी केयर :

जिस दिन एक नवजात आपके घर आता है, जीवन जैसा कि आप जानतीं हैं, हमेशा के लिए बदल जाता है। बेबी केयर ज़ोन में आपका स्वागत है, जो आपको बेबी केयर आवश्यकताओं के लिए गाइड कर सकता है।

अनिवार्यताएँ

पैरेंटहुड एक स्टेप-बाय-स्टेप लर्निंग है, जो आपके शिशु को ख़ुश और स्वस्थ रखने में मदद करता है – आइए, हम कुछ ऐसे शिशु अनिवार्यताओं को चेक करें जिन्हें आपको अवश्य जानना चाहिए।

स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे

ऐसी विभिन्न भीषण बीमारियाँ हैं जो आपके छोटेवाले/छोटीवाली को तकलीफ पहुँचा सकतीं हैं। आइए इन बीमारियों को और उनसे छुटकारा पाने के उपायों को जानने की कोशिश करते हैं।

एक रोगी को आरामदायक खाना कैसे खिलाये

How to Feed a Patient Comfortably by Famhealth

रोगी को भोजन के लिए तैयार करना :

  • भोजनकाल एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय है।
  • इसे एक सुखद और आरामदायक बनाएं।
  • यह देखें कि भोजन को सही तरीके से परोसा गया है, और जितना संभव हो सके ताजा भोजन बनाये है।
  • प्रत्येक भोजन से पहले और बाद में उन सभी चीजों को ध्यान में रखें जो प्रत्येक रोगी के लिए आवश्यक हैं।

रोगी के भोजन करने से पहले देखभाल :

  • रोगी के हाथ धोएंI
  • भोजन से पहले, रोगी से बेडपैन या मूत्र त्याग के बारे में पूछे या रोगी को बाथरूम जाने के लिए याद दिलाएं।
  • रोगी के मुँह की देखभाल करेंI
  • खाने की मेज पर, या बिस्तर पर रोगी के बैठने में सहायता करेंI
  • रोगी के लिए सुविधाजनक स्थिति बनायेI
  • रोगी के कपड़े को नैपकिन, तौलिया या कपड़ों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा कवर रखें।

रोगी के लिए भोजन परोसना:

  • भोजन को खाने के समय तुरंत परोसें ताकि भोजन गर्म रहे।
  • रोगी को भोजन में , गर्म और ठंडे खाये जाने वाले खाद्य पदार्थ परोसे जाने चाहिएI
  • रोगी की भोजन के प्रकार के आधार पर सहायताI

भोजन के बाद रोगी की देखभाल करे :

  • जब रोगी ने भोजन और नैपकिन, तौलिया या कपड़ों को हटाकर खाना समाप्त कर दिया हो।
  • अपने हाथ और चेहरे को धोने के लिए रोगी की सहायता करेंI
  • मौखिक देखभाल के लिए रोगी की सहायता या उन्हें याद दिलाना।
  • ध्यान दें कि रोगी कितना और क्या खाता है।

सावधान:

  • रोगी ने 1 वर्ष के लिए उत्तर प्रदेश के राज्य में स्थित होने की घोषणा की, जो वहां के रिफ्यूक्स मिनोफेगस ( हर्टबर्न) में रहते हैं।
  • यदि कोई ग्राहक अचैतन्य, बेहोश, या अनुत्तरदायी है, तो तरल पदार्थों या भोजन न दें। उत्तर मैथोड (ट्यूनिंग फ़ेडिंग) द्वारा किए जाने वाले अकाउन्टेशन नूट्रिशियन यूनिट।

रोगी की देखभाल पर अधिक पढ़ने के लिए,नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

रोगी की देखभाल

किसी व्यक्ति के कार्यालय में बेहोश होने पर प्राथमिक उपचार :

When Somebody Faints in the Office by Famhealth

किसी भी व्यक्ति को बेहोशी की अवस्था तब आती है, जब मस्तिष्क अस्थायी रूप से पर्याप्त मात्रा में रक्त को ग्रहण नहीं पता है, जिससे व्यक्ति अपनी चेतना खो देता है। इस प्रकार की समस्या होने पर व्यक्ति को काफी नुकसान हो सकता है।

जब व्यक्ति बेहोशी महसूस करता तो क्या करना चाहिए :

  • जब भी कोई व्यक्ति बेहोशी महसूस करता है तो उसे तुरंत बैठ जाना या लेट जाना चाहिए, ऐसा करने से बेहोशी की संभावना कम हो जाती है, यदि व्यक्ति बैठा है तो जल्दी न उठे
  • अपने सिर को घुटनो के बीच में रखें।

अचानक बेहोश होने वाले व्यक्ति को दिये जाने वाले प्राथमिक उपचार :

  • यदि कोई व्यक्ति अचानक बेहोश हो जाता है यदि व्यक्ति को कोई चोट नहीं लगी है तो उसे पीठ के बल सीधा लिटाये , अगर व्यक्ति सांस ले रहा है, तो उसके पैरों को हृदय के स्तर से ऊपर लगभग 12 इंच (30 सेंटीमीटर) तक उठाये, यदि संभव हो तो उनके कपडे बेल्ट, कॉलर या अन्य कंस्ट्रक्टिव कपड़े ढीले करें।
  • बेहोशी की संभावना को कम करने के लिए , व्यक्ति को जल्दी से न उठायें। यदि व्यक्ति एक मिनट के भीतर होश में नहीं आता है, तो 108 या अपने स्थानीय आपातकालीन नंबर पर कॉल करें।
  • अब व्यक्ति की नब्ज चेक करे, 10 सेकंड से कम समय में गर्दन में कैरोटिड पल्स के लिए जाँच करें और इसी समय में सांस लेने के लिए छाती में बदलाव देखें। यदि व्यक्ति की धड़कन कम है, तो सीपीआर शुरू करें। 108 या अपने स्थानीय आपातकालीन नंबर पर कॉल करें।सीपीआर को तब तक जारी रखें जब तक कि मदद न आ जाए या व्यक्ति सांस लेना शुरू न कर दे।
  • यदि व्यक्ति बेहोशी की हालत में गिर जाता है, तो गंभीर रूप से लगे धक्कों, चोटों या खरोचों का इलाज करें। सीधे दबाव से रक्तस्राव को नियंत्रित करें।
  • यदि पल्स चल रही है, तो ग्लूकोमीटर के साथ रक्त ग्लूकोस (शर्करा) की जांच करें। यदि ग्लूकोस (शर्करा) कम है, तो तुरंत चीनी को पानी मिलाकर पीने के लिए दें (कुछ भी शक्कर ठीक है)I

यदि कोई व्यक्ति अचेत अवस्था में है, तो उन्हें अस्पताल में चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए।

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प्राथमिक चिकित्सा

Dealing with स्ट्रोक (आघात)

First Aid: What to do with a patient who has a Stroke by Famhealth

व्यक्ति को स्ट्रोक (आघात) आना :
किसी भी व्यक्ति को अचानक ऑक्सीजन की कमी होना या ऑक्सीजन की कमी से मस्तिष्क की कोशिकाओं की अचानक नष्ट हो जाना या मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह में रुकावट के होने ( ये रूकावट धमनियों के टूटने के कारण होता है।) से आघात आता है।

अचानक किसी व्यक्ति का भाषण रुक जाना , अधिक कमजोरी आना, शरीर के आधे हिस्से काम न करना, स्ट्रोक की ओर संकेत करते है।

स्ट्रोक की पहचान कैसे करे :

स्ट्रोक के संकेत की पहचान करने के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकFAST है। (FAST का मतलब है, (FACE, ARMS, SPEECH, TIME).

  • चेहरा: चेहरे का सुन्न हो जाना या मुँह एक तरफ मुड़ जाना है।
  • हाथ : एक हाथ का सुन्न हो जाना या दूसरे की तुलना में कमजोर होना , जब दोनों हाथ उठाने की कोशिश करने पर एक हाथ दूसरे से नीचे रहता हो ?
  • भाषण: भाषण का धीमा होना या बोलते- बोलते शब्दों का बिगड़ना ?
  • समय: यदि उपरोक्त में कोई भी एक संकेत हो तो आपातकालीन सेवाओं को तुरंत कॉल करें।

स्ट्रोक के होने पर प्राथमिक चिकित्सा कैसेलें ।.

  • यदि आपको स्ट्रोक के लक्षण हो तो आप तुरंत आपातकालीन सेवाओं को कॉल करें। या फिर किसी को अपनी सहायता के लिए बुलाये ,आपातकालीन सहायता के लिए प्रतीक्षा करते समय कोशिश करे की आप शांत रहें।
  • यदि आप किसी अन्य व्यक्ति के लिए स्ट्रोक की देखभाल कर रहे हैं, तो निश्चित करें कि वे सुरक्षित, ओर आरामदायक स्थिति में हैं। व्यक्ति के आधे हिस्से को एक तरफ उनके सिर के साथ थोड़ा सा उठाया जाना चाहिए और यदि व्यक्ति उल्टी करता है तो उल्दी करने दे।
  • यह जांच करे की व्यक्ति सांस ले रहा हैं या नही । यदि व्यक्ति सांस नहीं ले रहे हैं, तो CPR का आरम्भ करें। यदि उन्हें सांस लेने में कठिनाई हो रही है, तो किसी भी प्रतिबंधात्मक कपड़े , जैसे कि टाई या स्कार्फ को ढीला करें।
  • व्यक्ति से शांत, और आश्वस्त तरीके से बात करें।
  • उन्हें गर्म रखने के लिए एक कंबल के साथ कवर करें।
  • उन्हें खाने या पीने के लिए कुछ न दें।
  • यदि व्यक्ति के किसी अंग में कोई कमजोरी दिखा रही है, तो उन्हें स्थानांतरित न करे।
  • व्यक्ति में होने वाले परिवर्तन को ध्यान से देखें, और आपातकालीन चिकित्सक को उनके लक्षणों के बारे में बताने के लिए तैयार रहें चिकित्स्क को चिकत्सा शुरू करने से पहले व्यक्ति के बारे में बातये की वह गिरा या नहीं उनके सिर पर चोट लगी या नहीं ।

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प्राथमिक चिकित्सा

Choose the Right Bandage

Choose the Right Bandage by Famhealth

रोगी को समय से घाव भरने के लिये सही पट्टी का चुनाव करना बहुत महत्वपूर्ण है, सही पट्टी का चुनाव प्राथमिक उपचार का मुख्य अंग है, यह घाव संचालन का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा भी हो सकता है! घाव की ड्रेसिंग और पट्टियों बहुत सारे विकल्पों के साथ नीचे दी गई है।

  • घाव की दो स्थिति घाव गीला है या सूखा, यदि घाव सूखा है तो आप एक ऐसी ड्रेसिंग चुन सकते, हैं जो घाव को नमी प्रदान करेगी, जैसे कि हाइड्रोजेल ड्रेसिंग। घाव यदि अधिक गीला व अधिक पीड़ादायक है, तो आपको ऐसी ड्रेसिंग का चयन करना चाहिए, जो अतिरिक्त नमी को सोख ले, जैसे कि एल्गिनेट ड्रेसिंग।
  • यदि घाव में परिगलित ऊतक मौजूद नहीं है और घाव का बिस्तर दानेदार, है और इसमें कोई दलदल, एस्कॉर, मौजूद नहीं है, तो व्यक्ति को जरूरत है कि वह सभी नाजुक घाव के बिस्तर की सुरक्षित करें और एक नमीदार, आदर्श वातावरण बनाए रखें। इसके लिए एक पारदर्शी फिल्म ड्रेसिंग या एक साधारण धुंध ड्रेसिंग पर्याप्त हो सकती है। यदि यदि घाव में परिगलित ऊतक मौजूद है तो आपको घाव को ठीक करने की स्थिति के आधार पर एक ड्रेसिंग चुनने की ज़रूरत होगी जो ऑटोलिटिक डीब्रिडमेंट को प्रोत्साहित करें है, जैसे कि एक सेपरिमेबल फोम ड्रेसिंग, एक हाइड्रोकार्बोलाइड या एक एल्गिनेट ड्रेसिंग।
  • क्या घाव में संक्रमण के लक्षण या पहचान हैं ? यदि घाव संक्रमित है, तो आप ऐसे ड्रेसिंग का चयन कर जो घाव के बायोब्डेन को कम करने के लिए सिल्वर या आयोडीन के साथ लगाया जा सके। ये ड्रेसिंग घाव को सुखाने की क्षमता में बहुत अलग होते हैं, इसलिए इस ड्रेसिंग का चुनाव करते समय घाव की निकासी की मात्रा का विशेष ध्यान रखे। क्योकि यह संक्रमण का कारण हो सकता है।
  • क्या गंध एक विशेष चिंता है? गंध रोगी के लिए एक विशेष चिंता का विषय है, यदि रोगी को एक फंगिंग कैंसर या एक संक्रमित दबाव अल्सर के परिणामस्वरूप घाव है तो, आप एक चारकोल ड्रेसिंग का उपयोग करने पर विचार करें हैं। ये ड्रेसिंग बैक्टीरिया द्वारा उत्सर्जित गंध बनाने वाली गैसों को अवशोषित करके काम करते हैं।

ये केवल कुछ विचार हैं जिन्हें ड्रेसिंग का चयन करते समय ध्यान में रखना चाहिए। इस विषय में कीमत, उपयोग में सरल, और आराम के स्तर पर भी विचार किया जाना चाहिए इस प्रकार घाव की स्थिति ड्रेसिंग और पट्टियों की विकल्प को प्रभावित कर सकता है।

प्राथमिक उपचार करने के लिए घाव पर पट्टी कैसे करें :

घाव के ऊपर रखी ड्रेसिंग को घूमने, उतरने, या गिरने से रोकने के लिए, रक्तस्राव को रोकने के लिए, एक अंग को सहारा देने सूजन को कम करने के लिए एक घायल अंग को ऊपर उठाने के लिए एक पट्टी का उपयोग करें।

पट्टी के दो मुख्य प्रकार हैं:

  • रोलर पट्टियाँ: मुख्य रूप से टखनों, घुटनों, कलाई या कोहनी की चोट के लिए, जगह-जगह ड्रेसिंग रखने और घायल अंगों को सहारा प्रदान करने के लिए रोलर पट्टियों का उपयोग करे।
  • त्रिकोणीय पट्टियाँ: कलाई, हाथ या कंधे की चोट का सहारा देने के लिए स्लिंग के रूप में, या बड़े ड्रेसिंग के रूप एक अंग को हिलाने से रोकने के लिए एक चौड़ी-पट्टी के रूप में मुड़कर त्रिकोणीय पट्टी का उपयोग करें,

यदि आपको पट्टी नहीं मिल रही है, तो आप हमेशा कपड़ों या अन्य सामग्री के उपयोग का इस्तेमाल कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप एक स्लिंग के लिए त्रिकोणीय पट्टी बनाने के लिए एक हेडस्कार्फ़ को तिरछे मोड़ सकते हैं।

प्राथमिक उपचार करने के लिए घाव पर पट्टी कैसे करें :    

यदि किसी व्यक्ति को या स्वयं को चोट लगी है तो आपको एक पट्टी लगाने की जररूत होती है, पट्टी करने के लिए नीचे दी गई मुख्य बातें को याद रखना आवश्यक है।

  • व्यक्ति को आश्वस्त करें और समझाएं कि आप पट्टी करने से पहले क्या करने जा रहे हैं।
  • व्यक्ति को आरामदायक स्थिति में बैठने या लेटने में सहायता करके उन्हें आरामदायक बनाएं।
  • घायल अंग को सावधानी से पकड़कर चोट सुरक्षित करें, या उन्हें या किसी और को मदद करने के लिए कहें।
  • सामने से और शरीर के साइड से उस घायल अंग पर पट्टी बांधना शुरू करें।
  • पट्टियों को मजबूती से बांधे, लेकिन इतनी कसकर नहीं कि यह अंग के संचलन को रोके।
  • आम तौर पर, सर्पिल का उपयोग करके पट्टी लपेटें जो अंदर से बाहर के अंग तक काम करे है।
  • पास-पास मिली हुई चोटों के लिए, जोड़ के ऊपर और नीचे एक आंकड़ा आठ में विकर्ण बनाते हुए पट्टी करे हैं। (विशिष्ट तकनीकों के लिए नीचे देखें)।
  • एक अंग को स्थिर रखने के लिए, एक चौड़ी गुना पट्टी बनाएं: एक साफ सतह पर एक त्रिकोणीय पट्टी सीध रखें, इसे आधा क्षैतिज रूप से मोड़ें ताकि बिंदु आधार को स्पर्श करें, और फिर इसे फिर से आधा में मोड़ो।  
  • यदि संभव हो तो उंगलियों और पैर की उंगलियों को बाहर छोड़ें, ताकि आप बाद में संचलन की जांच करने के लिए उन्हें दबा कर देख सकें।
  • रोलर पट्टियों को जकड़ने के लिए पिन या टेप का इस्तेमाल करें, अन्यथा, पट्टी को जितना हो सके उतना सुरक्षित रूप से लपेटे ।
  • त्रिकोणीय पट्टियों को बांधने के लिए रीफ नॉट्स का उपयोग करें: दाएं से बाएं और नीचे, फिर दाएं और नीचे के ऊपर।
  • उनके संचलन की जाँच करें: एक बार जब आप पट्टी समाप्त कर लेते हैं, तो संचलन की जाँच करें, जब तक कि यह पीला न हो जाए, तब तक उनकी एक उंगली या पैर के नाखूनों को पांच सेकंड तक दबाकर रखे । यदि रंग दो सेकंड के भीतर वापस नहीं आता है, तो पट्टी बहुत तंग है, इसलिए आपको इसे ढीला करने की जरुरत होगी और इसे फिर से करने की आवश्यकता होगी। हर दस मिनट में उनके परिसंचरण की जाँच करें।

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प्राथमिक चिकित्सा